ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला -अमित नेहरा भरत सिंह बेनीवाल 1991 से ऐलनाबाद और उसके आसपास के इलाके में कांग्रेस पार्टी के लिए मेहनत कर रहे भरत सिंह बेनीवाल की टिकट इस उपचुनाव में काट दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दुख यह है कि उनकी टिकट काट कर उनके राजनीतिक विरोधी रहे उनके भतीजे पवन बेनीवाल को दे दी गई। भरत सिंह बेनीवाल का दावा है कि ऐलनाबाद विधानसभा में उनके 35,000 समर्थकों के वोट हैं और उपचुनाव में पवन बेनीवाल को टिकट देने पर कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ेगा। भरत सिंह बेनीवाल अपने कार्यकर्ताओं के साथ लगातार मीटिंग कर रहे हैं। उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की तिथि 13 अक्टूबर के बाद वे अपने कार्यकर्ताओं से मीटिंग करने के बाद 14 अक्टूबर को बड़ा फैसला लेंगे। लेकिन वे फैसला क्या लेंगे ? क्या वे कांग्रेस की बजाय बीजेपी को या इनेलो को अपना समर्थन कर सकते हैं ? पूरे प्रदेश की निगाहें उनके इस फैसले पर टिकी हुई हैं। भरत सिंह बेनीवाल के अभी तक के बयानों से नहीं लगता कि वे ऐलनाबाद उपचुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे। कांग्रेस पार्टी भरत सिंह बेनीवाल को मनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। लेकिन भरत सिंह बेनीवाल के तेवरों से लगता है कि वे कांग्रेस के सामने झुकने को तैयार नहीं है। उनका रोष अपनी जगह सही भी लगता है कि क्योंकि वे पिछले 30 सालों से लगातार कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने महज एक महीने पहले ही पार्टी में शामिल हुए पवन बेनीवाल को टिकट थमा दी। अब उनके सामने विकल्प है कि वे इनेलो या बीजेपी को अपना समर्थन दें। बीजेपी देश और प्रदेश में सत्तारूढ़ है अतः बीजेपी को समर्थन देना उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। मगर संभावना और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क होता है। बेशक बीजेपी इस समय सत्ता में है लेकिन हरियाणा खासकर सिरसा जिले में तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ माहौल बना हुआ है। भरत सिंह बेनीवाल कह भी चुके हैं कि बीजेपी को समर्थन देकर वो किसानों की नाराजगी मोल नहीं ले सकते। क्योंकि उनका कोर वोटर किसान ही हैं। अब भरत सिंह बेनीवाल के सामने अंतिम विकल्प बचता है इनेलो। मगर भरत सिंह बेनीवाल सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि इनेलो कार्यकाल में उनपर बहुत जुल्म हुए। उनपर पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए। उन्होंने पत्रकारों के सामने कहा कि इन सब के पीछे उनके भतीजे का ही हाथ था। कहने का मतलब यह है कि भरत सिंह बेनीवाल के मन में इनेलो के प्रति भी जहर भरा हुआ है। फिर वे अपने समर्थकों के वोट किसको दिलवाएंगे इस बारे में ज्यादा कुरेदने पर वे कहते हैं मैं और किसी का वोट किसको दिलवा सकता हूँ, मेरे पास तो सिर्फ मेरा ही वोट है! कुल मिलाकर भरत सिंह बेनीवाल ने कांग्रेस को आँखें तो दिखा दी हैं मगर ऐसा करके वो खुद भी फँस गए हैं। चलते-चलते ऐलनाबाद उपचुनाव में इस बार एक लाख 85 हजार मतदाता करेंगे विधायक का फैसला। क्रमशः (लेखक वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक, लेखक, समीक्षक और ब्लॉगर हैं) Post navigation रेवाड़ी में एम्स के निर्माण से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी, किसानों को भी जमीन का भुगतान जल्द मनोहरलाल और धनखड़ के राजनैतिक भविष्य का फैैसला करेगा ऐलनाबाद उप चुनाव का परिणाम