बाजरा खरीद के मामले को लेकर भावांतर भुगतान को बढ़ाए जाने की मांग. भारतीय किसान संघ के बैनर तले पटौदी लघु सचिवालय में किसानों का धरना. बाजरा खरीद में भावातर भुगतान कम से कम 12 सौ रूपए प्रति क्विंटल की मांग फतह सिंह उजाला पटौदी । हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के द्वारा बाजरा खरीदने में सरकार की भावांतर योजना का प्रयोग दक्षिणी हरियाणा सहित अहीरवाल के किसानों को रास नहीं आ रहा है । भारतीय किसान संघ ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को सीधे-सीधे शब्दों में नसीहत दे डाली है कि मंडियों में सरकार के द्वारा एमएसपी पर खरीद की जाने वाली फसलों को लेकर दक्षिणी हरियाणा को राजनीति की प्रयोगशाला नहीं बनाया जाए। बाजरा सबसे अधिक दक्षिणी हरियाणा और अहीरवाल क्षेत्र में ही किसानों के द्वारा उपजाया जाता है । इसके अलावा हरियाणा के अन्य क्षेत्रों में धान की फसल सरकार के द्वारा सरकारी एजेंसियों के माध्यम से घोषित एमएसपी पर ही खरीद की जा रही है । भारतीय किसान संघ के द्वारा खरा सवाल किया गया है कि जब धान की खरीद सरकार के द्वारा एमएसपी पर की जा रही है तो फिर बाजरा की खरीद सरकार के द्वारा एमएसपी पर क्यों नहीं की जा रही ? दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र के किसान अपनी बाजरा की फसल को लेकर वैसे ही बर्बादी के कगार पर पहुंच चुके हैं , इसका मुख्य कारण है लगातार और बे मौसम बरसात का होना। बरसात होने के कारण अधिकांश किसानों के बाजरे की फसल खेतों में ही खराब हो चुकी है । इसके अलावा बाजरा की बिक्री किया जाने के बाद जो कुछ भी भुगतान किसानों को मिलता है उसी पैसे से ही किसान सरसों की फसल की बिजाई की तैयारी भी करते हैं । सरसों के बीज खरीदना, जरूरत के मुताबिक खाद खरीदना, अपने अपने खेतों को तैयार करना यह सभी कार्य बाजरा को बिक्री के बाद मिलने वाली रकम के बदौलत ही किसानों के द्वारा किया जाता है । इसी कड़ी में त्योहारी सीजन को देखते हुए किसान और किसान परिवारों के द्वारा अपने बच्चों के विवाह शादी इत्यादि की भी समय रहते तैयारी करना शुरू कर दिया जाता है । सबसे महत्वपूर्ण किसानों के द्वारा अपनी फसल की बिजाई के लिए अथवा अन्य सामान की खरीद फरोख्त के लिए आढ़ती और व्यापारियों से भी लेनदेन चलता रहता है और इस लेनदेन का हिसाब भी किसानों के द्वारा बाजरा फसल की बिक्री के बाद मिलने वाले भुगतान के माध्यम से ही किया जाता रहा है । इसी मुद्दे को लेकर भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर ओम सिंह चौहान के नेतृत्व में उमेद सिंह, रिछपाल, होशियार सिंह , अजीत सिंह , धर्मवीर, नरेश कुमार, बिल्लू , भंवर सिंह, विनोद सहित अन्य किसानों के द्वारा शुक्रवार को पटौदी के लघु सचिवालय परिसर में सांकेतिक धरना प्रदर्शन भी किया गया। भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष मास्टर ओम सिंह चौहान ने किसानों और कृषि के मुद्दे को लेकर साफ-साफ कहा की किसान और कृषि के मामले में खट्टर सरकार दक्षिणी हरियाणा को अपनी राजनीति की प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल करने से बचें। एक तरफ धान की खरीद एमएसपी पर की जा रही है, दूसरी तरफ बाजरा की सरकारी खरीद बिल्कुल भी नहीं की जा रही। उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि यह सब किसानों के बीच में मतभेद और मनभेद बढ़ाने जैसा ही कार्य है और भविष्य में इसके परिणाम सत्ता पक्ष और सरकार के लिए अच्छे नहीं हो सकते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पर बाजरा खरीद में भावांतर के भुगतान को बढ़ाया जाने के लिए दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र के कुछ विधायकों के द्वारा भी सीएम खट्टर के समक्ष मांग करते हुए पैरवी की गई है, लेकिन अभी तक इसका सरकार की तरफ से कोई भी सकारात्मक जवाब सामने नहीं आया है । उन्होंने हरियाणा सरकार से मांग की है कि बाजरा खरीद में भावांतर भुगतान बाजरा विक्रेता किसानों को औसतन 1200 प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाए । इससे कम का भुगतान किया जाना बाजरा उत्पादक किसानों के लिए आर्थिक संकट का कारण बनता जा रहा है । किसान अपनी परेशानी बताएंइसी मौके पर पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार ने भी किसानों के बीच पहुंचकर उनकी मांगों और समस्याओं को जाना । एसडीएम प्रदीप कुमार ने बताया की किसानों को तीन प्रकार की परेशानियां हो रही हैं और इन सभी परेशानियों को दूर करने के लिए कृषि विभाग, राजस्व विभाग और स्वयं वह किसानों की जो भी परेशानियां सामने आ रही हैं उनका समाधान करने का काम भी कर रहे हैं । एसडीएम प्रदीप कुमार ने किसानों को यह भी कहा कि फिर भी किसानों की कोई समस्या का समाधान नहीं हो रहा है तो वह एसडीएम कार्यालय या फिर मार्केट कमेटी कार्यालय, तहसीलदार कार्यालय में कृषि विभाग कार्यालय में अपनी संबंधित शिकायतों को लिख कर दे सकते हैं। जिससे कि जल्द से जल्द समस्याओं का समाधान किया जा सके । खुले बाजार में 12 से 14 सौ दामवही जाटोली अनाज मंडी में जारी सीजन में अभी तक करीब 20000 क्विंटल बाजरा किसानों के द्वारा बिक्री के लिए लाया जा चुका है । इस बात की पुष्टि मार्केटिंग बोर्ड के सचिव नरेंद्र यादव के द्वारा की गई है । खुले बाजार में बाजरा का भाव 1190 रुपए से लेकर 1390 प्रति क्विंटल किसानों को उपलब्ध हो रहा है । दूसरी ओर सरकार के द्वारा भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को 600 प्रति क्विंटल का भुगतान किया जाने की बात कही गई है । इस प्रकार खुले बाजार मैं बाजरा बिक्री के औसत रेट 13 सौ रूपए प्रति क्विंटल देखते हुए बाजरा उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल औसतन 1200 रुपए से अधिक की सीधी सीधी आर्थिक चपत अथवा मार पड़ रही है। अब देखना यह है कि हरियाणा सरकार और सरकार में भागीदार जननायक जनता पार्टी के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला जोकि एमएसपी की जबरदस्त तरीके से वकालत करते आ रहे हैं , बाजरे की मौजूदा खरीद और मिल रहे बाजार में जाम को देखते हुए क्या और किस प्रकार की रणनीति अपनाकर किसानों से किए गए वायदे को पूरा करने अथवा करवाने में कामयाब रहेंगे। कोसली क्षेत्र के किसानों में भी उबालबाजरा की एमएसपी पर खरीद नहीं होने को लेकर अहीरवाल क्षेत्र के ही कोसली विधानसभा इलाके में भी बाजरा उत्पादक किसानों में जबरदस्त रोष बना हुआ है । 1 दिन पहले कोसली में हुई किसान संगठनों और नेताओं की पंचायत में सरकार को 2 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था । अब एक बार फिर से शनिवार को नयागांव मोड कोसली में किसानों के द्वारा पंचायत का आह्वान किया गया है। किसान नेताओं का आरोप है कि वोट देकर जिन नेताओं को हरियाणा विधानसभा और देश की लोकसभा में अपना पैरोकार बनाकर भेजा , उनके द्वारा भी अभी तक बाजरे कि सरकार के द्वारा खरीद नहीं किया जाने के मामले को लेकर किसी भी प्रकार का दबाव राज्य और केंद्र सरकार पर नहीं बनाया गया है । कोसली क्षेत्र के किसानों के मुताबिक शनिवार को पंचायत में स्थानीय एमएलए और सांसद को भी आने का निमंत्रण दिया गया है। किसानों का आरोप है सरकार का किसान और कृषि विरोधी चेहरा पूरी तरह से सभी के सामने आ चुका है। अभी भी समय है , हरियाणा में गठबंधन सरकार के द्वारा किसानों का एमएसपी पर बाजरा नहीं खरीदा गया तो आने वाले समय में जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को और सत्तापक्ष को इसका खामियाजा भुगतने के लिए अभी से तैयार हो जाना चाहिए । दक्षिणी हरियाणा के किसानों के हित के साथ में किया जा रहा है अहित किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। Post navigation महाराजा अग्रसेन के जीवन आदर्श आज भी प्रासंगिक: सूरज अग्रवाल पटौदी सब्जी मंडी आढ़तियों के सामने टेके प्रशासन ने घुटने