ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला -अमित नेहरा हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में ऐलनाबाद सीट पर इनलो के अभय सिंह चौटाला ने 11922 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। अभय सिंह चौटाला को 57055 वोट मिले, बीजेपी के पवन बेनीवाल 45133 वोट लेकर दूसरे नंबर पर और कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल 35383 वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे। प्रतिशत के हिसाब से इनलो को 37.86 प्रतिशत, बीजेपी को 29.95 प्रतिशत और कांग्रेस को 23.48 प्रतिशत वोट मिले। अगर विधानसभा चुनाव 2014 के परिणामों पर चर्चा करें तो उस समय इंडियन नेशनल लोक दल के अभय चौटाला ने 11539 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार पवन बेनीवाल को हराया था। अभय सिंह चौटाला को 69162 और भाजपा के पवन बेनीवाल को 57623 वोट मिले थे।लेकिन ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 में परिस्थितियां बदली हुई हैं। अभय सिंह तो इनेलो में ही हैं जबकि पवन बेनीवाल भाजपा को छोड़कर कांग्रेस से ताल ठोंक रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 2014 से पहले अभय सिंह चौटाला और पवन बेनीवाल दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू थे। दोनों की दोस्ती मशहूर थी लेकिन राजनीति में न कोई किसी का स्थायी दोस्त होता है न स्थाई दुश्मन। पवन बेनीवाल इस दौरान दो पार्टियां बदल चुके हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड की परछाई ऐलनाबाद उपचुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा में भी देखने को मिली। कांग्रेस आलाकमान खासतौर पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों लखीमपुर खीरी नरसंहार के विरोध में उत्तरप्रदेश में फँसे हुए थे अतः कांग्रेस के प्रत्याशी की घोषणा सबसे बाद हुई। लेकिन पवन बेनीवाल को कांग्रेस का टिकट मिलने से उनके चाचा और ऐलनाबाद से पिछली बार के कांग्रेस के प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक भरत सिंह बेनीवाल बागी हो गए हैं। भरत सिंह बेनीवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए पवन बेनीवाल को गुंडा बता डाला और घोषणा कर दी कि वे पवन बेनीवाल के चुनाव प्रचार के लिए घर से बाहर कदम नहीं रखेंगे। अब देखना होगा कि कांग्रेस भरत सिंह बेनीवाल सरीखे नेताओं की भीतरघात से कैसे निपटेगी और अपने प्रत्याशी को किस प्रकार चुनावी वैतरणी पार करवायेगी। वैसे देश-विदेश में लखीमपुर खीरी नरसंहार के प्रति रोष व्याप्त है और ऐलनाबाद भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन कांग्रेस के साथ यहाँ दिक्कत यह है कि इनेलो के स्थानीय विधायक ने तो 27 जनवरी 2021 से ही किसान आंदोलन में पक्ष में इस्तीफा दे रखा है। कांग्रेस को हर जगह इस सवाल का जवाब देना पड़ेगा कि अगर वह किसान आंदोलन को सपोर्ट कर रही है तो उसने इस आंदोलन के पक्ष में इस्तीफा दे चुके विधायक के सामने अपना उम्मीदवार खड़ा ही क्यों किया! चलते-चलते क्या आप जानते हैं कि ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र से सबसे पहले विधायक वर्ष 1967 में प्रताप सिंह चौटाला चुने गए थे। वे अभय सिंह चौटाला के पिता ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई और अभय सिंह चौटाला के चाचा थे।प्रताप सिंह चौटाला ने यह चुनाव कांग्रेस की टिकट पर जीता था! Post navigation लापरवाही नही की जाएगी बर्दाश्त, समय रहते समझ लें अपने उत्तरदायित्व : उपायुक्त विश्वविद्यालयों को औद्योगिक सहभागिता में कौशल आधारित छोटे-छोटे प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को शुरू करने पर ध्यान देना होगा : राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय