गुरुग्राम पुलिस द्वारा साईबर अपराधों से बचने के लिए चलाए गए जागरुक अभियान के तहत “Think twice before clicking links & advertisements” पर विस्तापूर्वक जानकारी देते हुए किया जागरुक। लोगों के साथ हो रही साईबर ठगी को रोकने के उद्देश्य से गुरूग्राम द्वारा साईबर ठगों की तकनीकों व उनके निवारण के बारे में लगातार दी जा रही है विस्तृत जानकारी। श्री के.के.राव भा.पु.से., पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम के आदेशानुसार गुरुग्राम पुलिस द्वारा साईबर अपराधों से बचने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है जिसमें लोगों को विभिन्न माध्यमों से साईबर अपराधों के विभिन्न बिंदुओं के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए जागरुक किया जा रहा है ताकि वो साईबर अपराधियों का शिकार ना हो सके और इनके जागरुक रहने से विभिन्न माध्यमों से साईबर अपराध करने वाले अपराधियों को काबू करके अपराधों पर अंकूश लगाया जा सके। गुरुग्राम पुलिस द्वारा इसी कङी में लोगों को साईबर अपराध से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा “Think twice before clicking links and advertisements” साईबर अपराधों से बचाव के लिए इस तथ्य को आधार बनाकर गुरूग्राम पुलिस द्वारा द्वारा इस बार को स्मरण करते हुए कहा कि वर्तमान समय में इन्टनेट एक ऐसा माध्यम बन गया है, जिसके माध्यम से बैंकिंग, खरीददारी तथा प्रत्येक सामान की बिक्री इत्यादि सभी कार्य किए जा रहे है। मोबाईल के इस युग में विभिन्न मोबाईल एप के जरिये सभी कार्य डिजिटल रुप से करने की होड लगी हुई है। साईबर अपराधी ऑनलाईन सेवाओं का गलत प्रयोग करते हुए लोगों के साथ ठगी करते है और उनकी मेहनत की कमाई को ठग लेते है। गुरूग्राम पुलिस द्वारा लोगो का ध्यान “Think twice before clicking links and advertisements” की तरफ आकर्षित करते हुए इस विषय पर निम्नलिखित जानकारी देकर लोगों को जागरूक किया गया:- Do you trust the person who sending/posting link?: जैसे हम अपने बच्चों को बताते है कि किसी अनजान के लिए दरवाजा ना खोले ठीक उसी प्रकार से साईबर अटैक और हैकिंग से बचने के लिए आप बहुत अच्छे से यह सुनिश्चित करे कि ईमेल या अन्य किसी भी माध्यम से आपको जो लिंक प्राप्त हुआ उस लिंक को भेजने वाले व्यक्ति को आप जानते है या नही। यदि नही तो उस लिंक को क्लिक ना करें, उसे ओपन ना करें। Do you trust the platform?: यहां यह समझना बहुत जरूरी है कि जिस माध्यम का प्रयोग करके आपको लिंक भेजा गया है वह माध्यम कितना सुरक्षित है। उदाहरण के लिए आपके बिज़नेस के डोमेन को या वट्सअप को माध्यम बनाकर आपकी किसी व्यक्ति विशेष द्वारा भेजे गए लिंक पर आप विश्वास कर सकते है और वर्तमान में इन पर भी विश्वास करने से पहले सुनिश्चित करना जरूरी है, किन्तु ईमेल, फेसबुक, ट्विटर इत्यादि के माध्यम से कोई भी गुमनाम आपको लिंक भेजे तो उन पर विश्वास नही किया जा सकता। अतः इनसे बचे। Do you trust the destination?: आपको प्राप्त हुए लिंक को आप अच्छे से देखते हुए यह आंकलन करे कि क्या यह किसी ऐसी वेबसाइट पर जाता है जिसे आप जानते है या आप पसन्द करते है। यदि आपको उस वेबसाइट के ऑरिजिनल होने पूर्ण यकीन है फिर भी आप उसे पुनः सुनिश्चित अवश्य करें। पुनः सुनिश्चित करने से पहले उस पर क्लिक ना करे। Does this link coincide with a major world event?: साईबर अपराधी किसी अवसर या किसी आयोजन विशेष पर अधिक सक्रिय हो जाते है। वो अवसर या किसी बड़े आयोजन के नाम पर लोगों को विभिन्न माध्यमों से लिंक भेजते है और लिंक के जरिए आसानी से ठगी कर लेते है। उदाहरण के लिए नेपाल में आए भूकम्प, MH17 आपदा, IPL, ओलंपिक, विश्वकप के दौरान विभिन्न प्रकार के लुभावने ऑफर व इमोशनल ब्लैकमेलिंग करके लोगों के साथ ठगी की जाती है। Is it a shorted link?: जैसे ही ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम इत्यादि सोशल मीडिया का उदय हुआ उसके साथ ही छोटे लिंक ने भी जन्म लिया। ये लिंक अधितम नेक ईरादे के लिए प्रयोग किए जाते है। किंतु साईबर अपराधी Bitly, goo. gl या किसी अन्य प्रोवाइडर्स का प्रयोग करके अपने नापाक लिंक को छोटा इसलिए करते है कि इनके छोटे लिंक पर लोग सटीक मानते हुए जल्दी भरोसा कर लेंगे। साईबर अपराधी इस छोटे लिंक को ट्वीट और ईमेल से जोड़ देते है जो उपयोगकर्ता का ध्यान अपनी और आकर्षित करके लिंक पर क्लिक करवा लेते है और लोग उनका शिकार हो जाते है। साईबर अपराध पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस भी लगातार छापेमारी कर साईबर अपराधियों को गिरफ्तार कर रही है। साईबर अपराधों में सोशल मीडिया को अक्सर माध्यम बनाया जाता है जिसमें फेक न्यूज व फेक अकाउंट से किसी भी प्रकार का फ्रॉड किया जाता है। इसके लिए आवश्यक है कि सोशल मीडिया के प्रयोग में सतर्कता बरती जाए। मोबाइल फोन, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट आदि का किस प्रकार प्रयोग किया जाए जिससे साइबर अपराधों से बचा जा सकता है। साइबर अपराध से स्वयं को बचाने तथा अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को भी इसकी जानकारी देकर फ्रॉड से उन्हें बचाने के लिए मुख्य बातों को ध्यान में रखने की बात अवश्य बताएं। इसमे मुख्य रूप से फेक फोन कॉल्स के माध्यम से निजी जानकारी प्राप्त करने वालों के बारे में बताएं। अपना बैंक एकाउंट नंबर, पासवर्ड आदि किसी को न बताएं। अपने इंटरनेट बैंकिंग और बैंकिग ट्रांजिक्शन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न करें। अपने ए.टी.एम. का पिन कोड न ही तो लिख कर रखें और न हीं किसी को ओ.टी.पी. बताएं। किसी प्रकार के प्रलोभन वाले कॉल से बचे एवं बिना जांच-परख के किसी को भी अपने बैंक खाता से संबंधित किसी प्रकार की जानकारी न बताएं। गुरुग्राम पुलिस आप सभी से अनुरोध करती है कि यदि आप किसी भी प्रकार के साईबर अपराध के शिकार होते है तो आप उसकी शिकायत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन, पुलिस चौकी या साईबर पुलिस स्टेशन में अवश्य दे तथा राष्ट्रीय साईबर कम्पलेंट पोर्टल https://cybercrime.gov पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते है और इस सम्बन्ध में साईबर अपराधों की रोकथाम हेतु आमजान की सहायता के लिए राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय हेल्पलाईन की शुरुआत की है। जिसका नम्बर 155260 है। इसे नोट करें व अपने मोबाईल में सुनिश्चित रखें। साईबर अपराध से सम्बन्धित किसी भी प्रकार धोखाधङी होने पर इस नम्बर 155260 पर अवश्य कॉल करें तथा शिकायत करें, ताकि धोखाधङी में गया पैसा आपको वापिस मिल सके और अपराधियों के खिलाफ कङी कार्यवाही करते हुए अपराधों पर अकुंश लगाया जा सके। गुरुग्राम पुलिस आपसे पुनः अनुरोध करती है कि किसी भी प्रकार से अपनी गोपनीय जानकारी किसी के साथ सांझा ना करें। Post navigation लखीमपुर खीरी हत्याकांड के दोषी तुरंत गिरफ्तार हों : रामफूल नेहरा 1947 के विभाजन का दर्द – बुजुर्गों की जुबानी