किसानों को बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रूपए प्रति क्विंटल दे सरकार
भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा पल्लेदारों की मजदूरी का रेट 12 रूपए 40 पैसे से घटा कर 10 रूपए 31 पैसे करना सीधे-सीधे गरीबों के पेट पर लात मारने वाला फैसला

चंडीगढ़, 29 सितंबर: इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेशाध्यक्ष नफे सिंह राठी ने कहा कि प्रदेश की भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा बाजरा फसल की एमएसपी पर खरीद न करके भावांतर भरपाई योजना के तहत 600 रूपए प्रति क्विंटल भावांतर देने का फैसला बेहद निराश करने वाला है। उन्होंने कहा कि किसानों ने बाजरा की बिजाई एमएसपी रेट पर बेचने के लिए की थी लेकिन भाजपा सरकार ने अब बाजरा की खरीद एमएसपी पर न करने की बजाए किसानों को ठेंगा दिखा दिया है जिस कारण किसानों को अपना बाजरा अब कोडिय़ों के भाव बेचना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारी बरसात की वजह से किसानों की खरीफ की फसल बिल्कुल बर्बाद हो चुकी है जहां भाजपा गठबंधन सरकार को विशेष गिरदावरी करके 50 हजार रूपए प्रति एकड़ मुआवजा किसानों को देना चाहिए वहीं भावांतर भरपाई योजना के तहत बाजरा की खरीद किासानों के साथ भद्दा मजाक है। भाजपा गठबंधन सरकार का किसान हितैषी होने का दावा प्रदेश की जनता के सामने बेनकाब हो चुका है। बाजरा खरीद नही करने का निर्णय न केवल किसान विरोधी है बल्कि गरीब जनता विरोधी भी है।

राठी ने कहा कि बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2240 रूपए प्रति क्विंटल है और ऐसे में बाजरा की फसल की खरीद एमएसपी पर न करना किसानों की उस आशंका को भी बल देता है जिसके कारण आज अन्नदाता पिछले 10 महीनों से केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा बनाए गए तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बार्डर और हरियाणा के विभिन्न टोलों पर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि किसानों के बाजरे की फसल को एमएसपी पर खरीदा जाए। उन्होंने भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा पल्लेदारों की मजदूरी का रेट 12 रूपए 40 पैसे से घटा कर 10 रूपए 31 पैसे करने की भी कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यह सीधे-सीधे गरीबों के पेट पर लात मारने का काम है। भाजपा गठबंधन सरकार तुरंत प्रभाव से पल्लेदारों को उनकी मजदूरी का रेट बढ़ा कर दे।

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