किसान, जवान पर केंद्रित रहा राव इंद्रजीत का भाषण शहीद सम्मान समारोह पटौदा में

–बोले, शहीद परिवार से रखता हूं वास्ता, किसानी मेरा धर्म
–किसानों से बात करनी चाहिए

झज्जर। पटौदा में आयोजित शहीद सम्मान समारोह में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत का पूरा भाषण जवान और किसान पर केंद्रीत रहा। रैली में उपस्थित हजारों लोगों के बीच उन्होने कहा शहीद परिवार से वास्ता रखता हूं , इसलिए शहीदों के प्रति कृतज्ञ हूं।

उन्होंने देश की सीमा पर रक्षा कर रहे सैनिकों को किसान का बेटा बताते हुए कहा कि किसानों के बेटे जहां सीमा पर रक्षा कर रहे हैं वही किसान अन्नदाता के रूप में कार्य कर रहा है। किसान आंदोलन को टारगेट करते हुए उन्होने कहा कि किसानों से बात करनी चाहिए उनके बिना बात नहीं बनेगी।

मन की बात में बोले राजनीति से नहीं लूंगा संयास

राव इंद्रजीत ने जनता से मन की बात करने की इच्छा जाहिर करते हुए कहा कि एक बार उनका मन संयास का था लेकिन अब वह राजनीति से संयास नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि उनके दुश्मन उन्हें संन्यास लेने नहीं दे रहे हैं साग्निक तौर पर रोने चौबे ठोकने का काम करते हैं रोकने का काम करते हैं और उनकी कसर निकाल कर रिटायरमेंट लूंगा। उन्होने लोगों से रायशुमारी के लहजे में पूछा कि मैं सेहतमंद हूं तो संयास क्यों लूं। क्षेत्रीय राजनेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होने कहा कि इस उम्र में भी वह दूसरे लोगों से दौड में आगे निकल सकते है तो संयास का सवाल ही नहीं उठता। राव ने माईक संभलते ही कहा कोरोना के कारण 2 साल लोगो से रूबरू नहीं हो पाया। लंबे समय बाद आप से मन की बात करने आया हूं। उन्होने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश की 10 की 10 लोकसभा सीटो पर विजयी हुई। तीन महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 50 फीसदी रह गया। जबकि 75 पार का नारा दिया गया था। उन्होने कहा वो भी मुगालते में थे कि शायद 80 सीटो पर विजय हासिल होगी लेकिन भाजपा अहीरवाल को छोडकर कही भी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई। अहीरवाल में भी पार्टी के कुछ जयचंदों ने सीटे हरवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन जयचंदो को पार्टी ने इनाम देने का काम किया। उन्होने कहा कि मैं 5 बार सांसद और 4 बार विधायक रहा हूं। अगर गलत होता तो लोग मुझे बार बार अपना प्रतिनिधि नहीं चुनते। राजनीतिक लोगों का फर्ज है कि लोगों की भावनाओं को समझकर उनकी भलाई करें। जनता के विश्वास पर खरा उतरते है इसलिए लोग बार बार चुनते है।

पैराशूट नेताओं को दिया करारा जवाब

राव इंद्रजीत सिंह ने इशारों इशारों में कहा कि राजनीति में दो तरह के लोग होते है एक जो पैराशूट के जरिये उपर से आते है दूसरे जनता के बीच से नीचे से आते है। मैं राजनीति में नीचे से आया हूं। जनता मेरे साथ है इसलिए मुझे नीचे से आना पडा। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिपाहसलार बताते हुए कहा कि मैं नरेंद्र भाई मोदी का वजीर हूं। भाजपा मेरी पार्टी है। जिस थाली में खाता हूं उसमे छेद नहीं करता। राव ने कहा, मैं इस मंच के माध्यम से कुछ नहीं मांगता। अपने इलाके औ अपने लोगों के लिए सम्मान मांगता हूं। यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बैठे है निश्चित ही संघ के भी कुछ लोग यहां होंगे जो मुझे कटघरे में खडा करने का प्रयास कर सकते है। लेकिन जो असली बात है वो कहकर रहेंगे। अपने विरोधियोे पर हमलावर होते हुए उन्होने कहा कि जीवन में दुश्मन रखना भी बहुत जरूरी है। मैं अपने दुश्मनों का आभारी हूं जिन्होने मुझे रेस में बनाए रखा है।

पैराशूट नेताओं को दिया करारा जवाब

राव इंद्रजीत सिंह ने इशारों इशारों में कहा कि राजनीति में दो तरह के लोग होते है एक जो पैराशूट के जरिये उपर से आते है दूसरे जनता के बीच से नीचे से आते है। मैं राजनीति में नीचे से आया हूं। जनता मेरे साथ है इसलिए मुझे नीचे से आना पडा। खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सिपाहसलार बताते हुए कहा कि मैं नरेंद्र भाई मोदी का वजीर हूं। भाजपा मेरी पार्टी है। जिस थाली में खाता हूं उसमे छेद नहीं करता। राव ने कहा, मैं इस मंच के माध्यम से कुछ नहीं मांगता। अपने इलाके औ अपने लोगों के लिए सम्मान मांगता हूं। यहां भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बैठे है निश्चित ही संघ के भी कुछ लोग यहां होंगे जो मुझे कटघरे में खडा करने का प्रयास कर सकते है। लेकिन जो असली बात है वो कहकर रहेंगे। अपने विरोधियोे पर हमलावर होते हुए उन्होने कहा कि जीवन में दुश्मन रखना भी बहुत जरूरी है। मैं अपने दुश्मनों का आभारी हूं जिन्होने मुझे रेस में बनाए रखा है।

एकजुट होने का दिया संदेश

राव इंद्रजीत ने समाज को एकजुट रहने का संदेश देते हुए कहा कि एकजुट रहेंगे तो प्रगति होगी। परिवार इकटठा रहता है तो ही तरक्की संभव है। समाज के युवाओं को अपना इतिहास जरूर पढना चाहिए ताकि जीवन में सही फैसले कर सके।

पानीपत की लडाई के बहाने चंडीगढ की ओर किया ईशारा

राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि 1857 में नसीबपुर की धरती से राव तुलाराम ने संघर्ष शुरू किया था। उन्होने लोगो की तरफ सवाल उछालते हुए कहा कि कब तक नसीबपुर की ही लडाई लडते रहेंगे आखिर पानीपत की लडाई कब लडेंगे। राव के इस बयान से साफ है कि प्रदेश नेतृत्व की हसरत राव अभी भी अपने दिल में दबाए बैठे है। पानीपत के जरिए उन्होने चंडीगढ की ओर साफ ईशारा कर दिया कि अहीरवाल का हक चंडीगढ की सीट पर भी है। यानि सूबे का नेतृत्व अब अहीरवाल को मिलना चाहिए।

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