-जिन कंपनी को मिला उसके खिलाफ पहले से चल रही जांच
-टेंडर ओपन होने के बाद नेगोशिएशन का कोई मतलब नहीं

गुरुग्राम। हरियाणा में स्ट्रीट लाइट लगाने के टेंडर को लेकर एक और नया खुलासा हुआ है। वह यह है कि जिन कंपनियों को यह टेंडर अलॉट किया गया है, उनके खिलाफ फरीदाबाद में पहले से ही जांच चल रही है। ऐसे में उस कंपनी को सरकार टेंडर कैसे दे सकती है। आरोप हैं कि यह सीधे तौर पर भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। अब इस टेंडर को ही रद्द करने की मांग उठ रही है।

स्ट्रीट लाइट लगाने को 22 जून 2021 को टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई। उस पर विवाद होने के बाद इसकी फाइनेंशियल एवं टेक्नीकल जांच लिए 9 सदस्यीय कमेटी गठित की गई। कमेटी की रिपोर्ट आने से पहले ही सरकार ने कमेटी को ही भंग कर दिया। यहां तक कि मुख्य सचिव एसएन राय के तबादले से ठीक पहले स्ट्रीट लाइट टेंडर बड़ी कंपनियों को आवंटित कर दिये गये। सरकार ने इस काम के लिए के लिए टेंडर लेने वाली कंपनियों का 1150 करोड़ रुपये टर्नओवर की शर्त रखी थी। अब तीन बड़ी कंपनियों को यह टेंडर को 900 करोड़ रुपये में दिया गया है।

राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला का कहना है कि जिन कंपनियों को यह टेंडर दिया गया है, उनके खिलाफ बड़े घोटाले में फरीदाबाद में पहले से ही जांच चल रही है। ऐसी कंपनी को टेंडर अलॉट कर देना भी भ्रष्टाचार ही तो है। क्योंकि सरकार कंपनियों के रिकॉर्ड के बारे में सब जानती है। उसके बावजूद भी टेंडर अलॉट कर देना सरकार की कार्यप्रणाली पर ही सवालिया निशान लगाता है। हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र में तोशाम से विधायक किरण चौधरी व फरीदाबाद से विधायक नीरज शर्मा भी इस पूरे मामले को पटल पर रख चुके हैं। उनके बाद भी सरकार इस मामले में गंभीरता दिखाने की बजाय पूंजीपतियों को टेंडर अलॉट कर रही है।

अशोक बुवानीवाला के मुताबिक टेंडर में दी गई राशि को नैगोशिएसन की बात कही जा रही है। ऐसा क्यों। नैगोसिएशन करने वाले चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर खुद फरीदाबाद से ट्रांसफर होकर चंडीगढ़ पहुंचे हें। सरकार को चाहिए कि इस टेंडर को रद्द करके नए सिरे से टेंडर आमंत्रित करे। सरकार अपनी मंशा छोटी औद्योगिक इकाइयों को चलाने की होनी चाहिए, ना कि पूंजीपतियों के घर भरने की। सरकार इस मामले में जनहित में काम करे। क्योंकि इस काम में जनता द्वारा दिए गए टैक्स का पैसा ही लगना है। प्रदेश की जनता की खून-पसीने की कमाई को ऐसे लुटाना सही नहीं। सरकार जनभावनाएं का ख्याल जरूर रखे। अशोक बुवानीवाला का कहना है कि इस मामले में जल्द ही प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज को भी मांग पत्र सौंपा जाएगा।

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