पुराने गुरुकुलों को मिलेगी संजीवनी, नयों के खुलने का मार्ग होगा प्रशस्त

चंडीगढ़, 21 सितंबर -हरियाणा सरकार द्वारा प्राचीन शिक्षा पद्धति के संवाहक रहे ‘गुरुकुलों’ की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए हरियाणा संस्कृत अकादमी के माध्यम से उठाए गए ठोस कदमों के फलस्वरूप प्रदेश में दम तोडऩे के कगार पर खड़े इन गुरुकुलों को अब शीघ्र ही केन्द्र से आर्थिक सहायता मिलनी शुरू हो जाएगी।

हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत अकादमी को इन संस्थाओं में नई जान डालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

उन्होंने कहा कि अकादमी ने इस जिम्मेदारी को शीघ्रता से निभाते हुए ग्रांट प्राप्त करने के लिए गुरुकुलों और संस्कृत संस्थानों के दस्तावेज केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में जमा करवा दिए हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही विश्वविद्यालय की टीम इन संस्थाओं का दौरा करेगी और इसके सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बिना किसी रूकावट के जल्द ही केंद्र से सीधे इनके खातों में राशि आना शुरू हो जाएगी।     

संस्कृत अकादमी प्रदेश में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है। प्रदेश सरकार का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। प्रत्येक जिले में संस्कृत के प्रति रचनात्मक और क्रियात्मक कार्य के लिए स्वयंसेवी जिला संयोजकों को जिम्मेदारी दी गई है जिसके लगातार आशातीत परिणाम आ रहे हैं। अकादमी द्वारा तकनीकी माध्यमों को अपनाते हुए संस्कृत का प्रचार-प्रसार आधुनिक तरीकों से किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सोच है कि प्रदेश का हर बच्चा त्याग और समर्पण पर आधारित शिक्षा प्राप्त करे। अन्य विषयों के साथ-साथ उन्हें नैतिक मूल्यों, योग एवं देशभक्ति की शिक्षा प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि आज की चकाचौंध और भागदौड़ भरे जीवन में अग्रणी बने रहने के लिए लक्ष्य के प्रति एकाग्रता और संयम बहुत जरूरी है।  उन्होंने कहा कि बच्चों में संयम और एकाग्रता की नींव संस्कृत ही डाल सकती है।

उन्होंने बताया कि राज्य की संस्कृत संस्थाएं अब तक केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से प्राप्त होने वाली ग्रांट से वंचित थीं। प्रदेश सरकार द्वारा संस्थाओं को यह वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी संस्कृत अकादमी को सौंपे जाने पर इस दिशा में तेजी से कार्य किया गया। उन्होंने बताया कि ग्रांट प्राप्त करने के लिए प्रदेश की कुल 18 सम्बंधित संस्थाओं के आवेदन-पत्र सरकार से स्वीकृति प्राप्त कर केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में जमा करवा दिए गए हैं।

विश्वविद्यालय से मिलने वाली इस ग्रांट की मदद से बंद होने की कगार पर खड़ी  संस्कृत संस्थाएं अब पुन: कार्य करने लग जाएंगी। इससे भविष्य में और भी संस्कृत संस्थाएं खुलने का मार्ग प्रशस्त होगा।

भिवानी, जींद, रोहतक, गुरुग्राम, दादरी को सर्वाधिक लाभ

अकादमी के निदेशक डॉ. दिनेश शास्त्री ने बताया कि इस योजना के तहत भिवानी, जींद, रोहतक, गुरुग्राम एवं दादरी जिला की दो-दो संस्थाएं और कुरुक्षेत्र, झज्जर, सोनीपत, पानीपत, करनाल,अम्बाला, फरीदाबाद और पलवल की एक-एक संस्था लाभान्वित होंगी।

आचार्यों ,उप-आचार्यों के मानदेय की समस्या होगी हल

उन्होंने बताया कि उचित मार्गदर्शन के अभाव में गुरुकुल संचालक केंद्र की इस ग्रांट का फायदा नहीं उठा पा रहे थे। बहुत से गुरुकुल बन्द होने की कगार पर हैं। इस ग्रांट के सीधे उन तक पहुंचने पर सबसे पहले संस्थाएं योग्य आचार्य एवं उप-आचार्य नियुक्त कर उन्हें समुचित मानदेय दे सकेंगी।

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