आजादी आंदोलन में संघी जिस अंग्रेजी हुकूमत के मुखबीर, दलाल, गुलाम रहे थे। वह अंग्रेजी हुकूमत भी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को गदर ही कहती थी।

रेवाड़ी, 15 सितम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को उनके जन्मदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं देतेे हुए उनके अच्छे स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना की ताकि वे लम्बे समय तक हरियाणा, किसान, मजदूर व आम आदमी के हित के लिए काम करते रहे। वहीं विद्रोही ने हरियाणा के सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से आग्रह किया कि वे आपसी समन्वय बनाकर यथाशीघ्र हरियाणा में प्रदेश, जिला व ब्लॉक स्तर के संगठन पदाधिकारियों की नियुक्तियां करवाये ताकि हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार व केन्द्र की मोदी-भाजपा संघी सरकार की जनविरोधी फासिस्ट नीतियों के खिलाफ प्रदेश में जमीनी स्तर पर धारदार व जोरदार आंदोलन खडा करके इन जनविरोधी फासिस्ट सरकारों को चलता करने का ठोस रास्ता बनाया जा सके।  

वहीं विद्रोही ने हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज के तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को गदर कहने की कठोर आलोचना करते हुए इसे किसान विरोधी फासिस्ट संघी मानसिकता बताया। विद्रोही ने कहा कि वैसे गृह मंत्री द्वारा किसान आंदोलन को गदर कहने से उन्हे कोई आश्चर्य नही हुआ क्योंकि आजादी आंदोलन में संघी जिस अंग्रेजी हुकूमत के मुखबीर, दलाल, गुलाम रहे थे। वह अंग्रेजी हुकूमत भी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को गदर ही कहती थी। अनिल विज के संघी पुरखों ने अंग्रेजी हुकूमत की दलाली, मुखबरी करके अपने अंग्रेज आकाओं से जो कुछ सिखा उसे ही अब संघी पाठशाला में विज जैसे स्वयंसेवकों को सिखाया-पढ़ाया गया है। इस कारण अनिल विज ने संघी पाठशाला में सिखाई गई किसान, मजदूर, मेहनतकश वर्ग विरोधी सोच का ही सार्वजनिक इजहार किया है। 

विद्रोही ने कहा कि काले कृषि कानूनों के बहाने किसान, खेती को बर्बाद करके अम्बानी-अडानी जैसे बड़े पूंजीपतियों की तिजौरियां सत्ता दुरूपयोग से भरने का आमदा भाजपाई-संधीयों को अपना मकसद पूरा करने की सनक में किसान आंदोलन को गदर कहकर अपनी भडास निकालना स्वभाविक है। किसान आंदोलन को भडकाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व कांग्रेस पर संघीयों का आरोप असंगत व बेतुका है। यदि हरियाणा भाजपा सरकार किसानों की इतनी ही हितैषी है तो केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार पर काले कृषि कानून वापिस लेने के लिए दबाव क्यों नही बनाती।

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