डीसी और अवैध खनन

यशवीर कादियान

खनन विभाग में होते खेल-इसकी महिमा से कम लोग ही वाकिफ हैं। बताते हैं कि खनन का काम करने वाले, खास तौर पर अवैध खनन का काम करने वाले लोग बहोत जल्द दो से दस और दस से सौ बना लिया करते हैं। जीटी रोड़ पर एक बड़े जिले की पहली दफा बतौर डीसी की कमान संभाल रहे एक साहब बहोत पहले से इस कारोबार की बारीकियों से अवगत हो गए थे। इन साहब ने एडीसी रहते हुए इस अवैध कारोबार में संलिप्त रहने वालों को सरपरस्ती दे कर खूब वारे न्यारे किए थे। चंूकि साहब का इस धंधे पर हाथ बैठा हुआ है, इसलिए उनको पता है कि कब, कहां, किस को, कैसे कैसे कसना-डसना है। लिहाजा साहब ने अपने अधीन एक एसडीएम को टाइट किया कि उनके यहां अवैध खनन की बहुत शिकायतें आ रही हैं। सरकारी राजस्व को चूना लग रहा है। मैं कुछ भी बर्दाश्त कर सकता हंू,लेकिन सरकारी खजाने पर आंच सहन नहीं कर सकता।

एसडीएम ने डीसी की मंशा को भांपते हुए अवैध खनन करने वालों पर शिंकजा कस दिया। जैसा कि डीसी साहब ने सोचा था, एकदम वैसा ही हुआ। उनका तीर एक दम निशाने पर लगा। अवैध खनन करने वाले लोग एसडीएम के पास पहुंचे। एसडीएम ने अपनी बेबसी और लाचारी जताते हुए कहा कि डीसी साहब के सख्त आदेश हैं। माफ कीजिए, मैं विवश हंू। मैं आपकी मदद नहीं कर सकता। उसके बाद ये लोग डीसी के दरबार में नतमस्तक हो गए। डीसी ने इनसे टू द प्वाइंट बात की। मेरा क्या-मुझे क्या, का मंत्र पढ दिया। डीसी भी आखिर इंसान ही तो है। उनका का दिल अवैध कारोबारियों की फरियाद से पसीज गया। लाखों रूपए की मंथली में सैटिंग हो गई।

इसके बाद डीसी ने एसडीएम को फोन कर दिया कि तुम्हारी बहुत शिकायतें आ रही है। लोगों को बेवजह तंग कर रहे हो। इतनी सख्ती करना ठीक नहीं है। किसी की रोजी रोटी पर हमला करना ठीक नहीं है। कोरोना ने पहले ही लोगों के काम धंधे ठप्प कर रखे हैं।बड़ी मुश्किल से लोग मंदी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सरकार का काम इन कोशिश करने वालों को प्रौत्साहित करना है। जैसा कि हमें सरकार ने सिखाया है कि हमें कोरोना की बीमारी से लड़ना है, बीमार से नहीं। ये बीमार लोग हैं। हमें तो इनको सपोर्ट देना है। इनका उपचार करना है। इस नाजुक मौके पर इनका उपचार यही है कि इनको हम परेशान ना करें। इन बेचारों को खा कमा लेने दें। इनको कारोबार के लिए उपयुक्त माहौल प्रदान करें। डीसी के यंू एसडीएम को इस्तेमाल करने के तरीके से-दूसरे के कंधे पर रख कर बंदूक चलाने से ये एसडीएम अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। खैर इन एसडीएम को परेशान होने की दरकार नहीं है। इस तरह ही नौकरी में किस्म किस्म के अनुभव से इंसान सीखता है। ये अनुभव आगे बहोत काम आएगा। उनका भी कभी डीसी का नंबर आएगा।

…थाणे काजलियो बणा ल्यूं

हरियाणा कैडर की 1986 बैच की आईएएस अधिकारी धीरा खंडेलवाल नौकरी से रिटायर हो गई। उनके रिटायर्ड आईएएस पति और गुड़गामा रेरा के चेयरमैन डा.कृष्ण कुमार खंडेलवाल ने धीरा की रिटायरमेंट के मौके पर उनके लिए सप्राइज पार्टी आयोजित की। पार्टी रिटायरमेंट के दिन 31 अगस्त को ही जल्दबाजी में प्लान-साकार हुई। ये ठीक भी है, क्योंकि अगर पहले से इसका शोर मचा होता तो फिर सप्राइज कहां रह पाता? ऐन मौके पर पार्टी तय होने के कारण व्यस्त हुए केके खंडेलवाल अपने कई चाहने वालों को इसका व्यक्तिगत न्यौता भी न दे पाए। इससे कुछ लोग उनसे रूष्ट भी हुए।

रिटायरमेंट के बाद धीरा खंडेलवाल आफिस से अपने चंडीगढ स्थित सरकारी आवास पर शाम को पहुंची तो उनका घर रौशनी में नहाया हुआ था। इसे फूलों से सुंदर ढंग से सजाया गया था। उनके स्वागत के लिए बैंड बाजे वाले मुस्तैदी से तैनात थे। इस पार्टी में आईएएएस-आईपीएस, जज,वकील,पत्रकार,डाक्टरत विभिन्न वर्गो के लोग पहुंचे हुए थे। इस आयोजन में केके खंडेलवाल ने मेहमानों का दिल खोल कर स्वागत किया। एक तरह से उनके पांव जमीं पर नहीं थे। यंू समझिए कि जिस तरह से बेटी के ब्याह में पिता की जिस तरह से भागदौड़ रहती है, कुछ कुछ वैसी सी खंडेलवाल की व्यस्तता थी। उन्होंने मेहमानों की व्यक्तिगत तौर पर खातिरदारी की-करवाई। कुछ गायकों ने पुराने फिल्मी तराने भी सुनाए ।मौसम एक दम मदमस्त था। बादल आ रहे थे,लेकिन माहौल की नजाकत भांपते हुए बारिश ने बरसने से किनारा किए रखा। बड़ी मुश्किल से खुद को रोके रखा। माहौल की जरूरत के मुताबिक सिंगल माल्ट स्काच व लजीज खाने का इंतजाम भी था। धीरा खंडेलवाल के व्यक्तित्व पर रौशनी डालने के लिए दो फिल्म भी दिखाई गई। एक तो लघु फिल्म थी जिसमें उनके कामों-जीवन से जुड़ी यादगार तस्वीरें शामिल की गर्इ्र थी। दूसरी फिल्म दो घंटे से ज्यादा की थी, जिसमें नेताओं,अफसरों,पत्रकारों और दोस्तों ने धीरा के बारे में अपने उदगार-विचार व्यक्त किए।

इतने सुंदर उदगार सुन कर संभवत: धीरा को भी शायद पहली दफा अहसास हुआ होगा कि ओ हो मेरे में ये गुण भी विद्यमान है। इसका तो मुझे पता ही नहीं था। पर्यावरण विभाग से जड़े निमयों पर हिंदी भाषा में धीरा की लिखित एक पुस्तक का मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने विमोचन किया। अपने कैंप आफिस में आयोजित इस समारोह में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा कि किसी आदमी की कामयाबी के पीछे महिला का हाथ होने के तो बहुत किस्से सुने हैं,लेकिन वो ये पहली दफा महसूस कर रहे हैं किसी महिला की कामयाबी के पीछे किसी पुरूष का यानी उनके पति का हाथा है। अपने पति का अपने प्रति यंू समर्पण भाव को देखते हुए धीरा उनको 1960 में आई फिल्म वीर दुर्गादास का एक कर्णप्रिय गीत समर्पित कर सकती है। इस गीत को लिखा भरत व्यास ने है और इसमें संगीत एस.एन.त्रिपाठी का है। राजस्थानी और गुजराती शैली के इस गीत के बोल हैं:थाणे काजलियो बणा ल्यूं,म्हारे नैना मैं रमाल्यूं-राज पलकां मैं बंद कर राखूंली।

एचसीएस

ऐसा लगता है कि सरकार एचसीएस अफसरों की बहुतायत कर के ही मानेगी। इनकी अफसरी की सारी टौर निकाल कर रहेगी। एचसीएस ओर अलाइड सर्विसिज के 156 पदों के लिए रविवार को परीक्षा आयोजित हो गई है। इधर, इस से पहले कई सीधी और विभागीय तरक्की से एचसीएस बन चुके हैं। पिछले दिनों तो ये नौबत तक आई की सरकार ने कई एचसीएस अफसरों को बीडीपीओ के पद पर ही तैनात कर दिया। कई एचसीएस अफसरों ने इन कनिष्ठ पदों पर ज्वाइन भी नहीं किया। माजरा भांपते हुए उनको एडिशनल सीईओ के पद का भी चार्ज देना पड़ा। जब ये नए एचसीएस और आ जाएंगे, तब इनमें पोस्टिग के लिए काफी मारामरारी और जददोजहद होने की आशंका है।

राज्यपाल

हरियाणा के राज्यपाल ने शनिवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत की। पत्रकारों ने राज्यपाल की इस पहल को हाथों हाथ लपकते हुए-स्वागत करते हुए, इसे एक स्वर में इतिहासिक बता दिया है। संभवत: जब राज्यपाल ने इस विराट कार्यक्रम को अंजाम देने की सोची हो, तब उनको ये तनिक भी अहसास न हो कि वो कितना बड़ा इतिहास रचने जा रहे हैं। चार दफा लोकसभा सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके बंडारू दत्तात्रेय के लिए राज्यपाल बनना एक अलग ही अनुभव है। इसमें प्रोटोकाल का काफी बंधन है। वो मानते हैं कि राज्यपाल बनने से पहले इस तरह के बंधनों के आदी नहीं रहे। उन्होंने अपनी हाजिर जवाबी से प्रभावित किया। एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या हरियाणा के राज्यपाल को रोटेशन के आधार पर पंजाब के राज्यपाल की तर्ज पर चंडीगढ प्रशासक का दायित्व सौंपा जाना चाहिए? इस पर वो मुस्कराते हुए बोले- आप की सिफारिश अच्छी है। किसान आंदोलन से जुड़े सवालों पर विवादित जवाब देने से बचते हुए उन्होंने होशियारी से कहा- मुझे पता है कि कहां पर, किस से, कितनी बात करनी है। किसको क्या बताना है और क्या नहीं।

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