महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत भूमिहीन कामगारों के प्लाट.
लाभार्थी परिवारों की महिलाओं ने तहसीलदार कार्यालय पर दिया धरना  .
एसडीएम और तहसीलदार ने एक सप्ताह में कब्जा का दिया आश्वासन

फतह सिंह उजाला

पटौदी । गलती किसी की और सजा भुगते कोई और ? क्या यही व्यवस्था और सरकारी सिस्टम चलता रहेगा । अक्सर होता यही है की गलतियां सरकारी विभाग के द्वारा की जाती हैं और उनका खामियाजा लाभार्थियों को भुगतना पड़ता है । लाभार्थी को अपने हक हकूक के लिए संबंधित विभाग और अधिकारियों की चौखट पर अनगिनत चक्कर काटने के लिए मजबूर होना पड़ जाता है और विभागीय कार्यप्रणाली का नमूना यह होता है कि एक दूसरे की गलतियां या फिर खामियां बताते रहते हैं । होना यह चाहिए की सरकार और सरकारी व्यवस्था कि कम से कम बदनामी हो इस बात को ध्यान में रखते हुए समस्या का आपसी तालमेल से समाधान किया जाना चाहिए । लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।

हरियाणा सरकार के द्वारा महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत भूमिहीन कामगारों को प्लाटों की अलॉटमेंट की गई थी । यह अलॉटमेंट का मामला पटौदी विधानसभा क्षेत्र के गांव मिलकपुर का है। मिलकपुर गांव में करीब 43 लाभार्थियों को उपरोक्त योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी को एक सौ गज प्लाट की रजिस्ट्री मकान अथवा आवास बनाने के लिए वर्ष 2010 में सौंपी जा चुकी हैं। लेकिन हकीकत में लाभार्थियों को आज तक अलाट किए गए प्लाट कहां है और कब कब्जा मिलेगा ? यह एक रहस्य बनकर रह गया । गांव मिलकपुर के लाभार्थियों को खंड विकास एवं पंचायत विभाग कार्यालय पटौदी के द्वारा मुश्तिल नंबर 130, 131 किला नंबर 7/23 8/बी में 100-100 वर्ग गज के प्लाट आट किए जाने की रजिस्ट्री सरकार के द्वारा सौंपी गई हैं ।

लाभार्थी परिवार के सदस्य योजना के तहत उपलब्ध करवाए गए प्लाटों पर कब्जा देने की मांग को लेकर बीते कई दिनों से खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय पटौदी तथा तहसील कार्यालय पटौदी में चक्कर लगा रहे हैं । लेकिन समस्या का समाधान बीरबल की खिचड़ी बना दिया गया है । लाभार्थियों को प्लाटों के निशानदेही सहित कब्जा देने के लिए पटोदी तहसील कार्यालय में खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय के द्वारा पत्र लिखा गया । वही तहसील कार्यालय का कहना है कि संबंधित प्लाटों की निशानदेही और जगह की पहचान करना खंड विकास एवं पंचायत विभाग का काम है । लाभार्थी परिवारों की महिलाओं में संतरा, सुशीला, बीना, देवी, मंजू देवी, निर्मला , बाला देवी , सोनिया, विमला देवी, सरोज देवी, इंदिरा देवी, सुमन, गीता देवी व अन्य महिलाओं ने आखिरकार अधिकारियों के बार-बार के आश्वासन के बाद काम नहीं किया जाने से परेशान होकर लघु सचिवालय परिसर में शासन पशासन की आंखें खोलने और जगाने के लिए पतीले और थालियां बजाते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया।  

इसके साथ ही लाभार्थी परिवारों की महिलाएं तहसील कार्यालय के समक्ष धरना देकर बैठ गई । इनकी एक ही मांग थी की रजिस्ट्री में जो सरकारी विभाग के द्वारा लिखित में प्लाट अलाट किए गए हैं , उसी लिखित के मुताबिक प्लाट की निशानदेही करके जल्द से जल्द कब्जा दिया जाए। रजिस्ट्री में जो कुछ भी लिखा गया है वह सरकारी विभाग और सरकारी अधिकारियों के द्वारा लिखा गया है । लाभार्थी महिलाओं के गुस्से और नाराजगी को देखते हुए तहसीलदार सज्जन कुमार ने 1 सप्ताह में समस्या के समाधान का लिखित में आश्वासन दिया है। वही जब यह मामला पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने लाभार्थी महिलाओं के समूह में से महिलाओं के एक प्रतिनिधिमंडल को अपने कार्यालय में आमंत्रित कर आश्वासन दिलाया कि उनकी जो भी रजिस्ट्री में तकनीकी खामियां हैं उनका जल्द से जल्द पता लगाकर समाधान किया जाएगा । पटौदी एसडीएम प्रदीप कुमार के मुताबिक रजिस्ट्री जो मुश्तिल नंबर लिखा गया , वह शायद गलत लिखा गया है और यही कारण है कि समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा।

मंगल को घेराव की चेतावनी
महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत भूमिहीन कामगारों को आवंटित प्लाटों से अभी तक वंचित रहने वाले लाभार्थी परिवारों की महिलाओं ने पटौदी के एसडीएम प्रदीप कुमार के आश्वासन पर अपना धरना समाप्त कर दिया। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि मंगलवार को खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय पटौदी में धरना प्रदर्शन किया जाएगा । क्योंकि प्लाटों की रजिस्ट्री खंड विकास एवं पंचायत विभाग के द्वारा रजिस्ट्री पर जमीनों के नंबर लिखकर करवाई गई हैं । ऐसे में जो कुछ भी गड़बड़ी हुई है , उसके लिए पूरी तरह से खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय ही है। इससे पहले भी खंड विकास एवं पंचायत कार्यालय में कई बार लाभार्थियों के द्वारा प्लाटों की निशानदेही सहित कब्जा उपलब्ध करवाने के लिए लिखित में अनुरोध सहित आवेदन किए जा चुके हैं। लेकिन मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा । अब लाभार्थी परिवारों की महिलाओं का गुस्सा प्रतिदिन विभागीय लापरवाही को देखते हुए बढ़ता ही जा रहा है।

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