निहित राजनीतिक हितों के लिए राव तुलाराम के शहादत दिवस को भी हथियार क्यों बना रहे है इन्द्रजीत : विद्रोही

राव इन्द्रजीत सिंह भाजपा नेतृत्व को अपनी ताकत व अहीरवाल में राजनीतिक महत्व जताने के लिए 23 सितम्बर को पाटौदा-झज्जर में अपने समर्थकों से जनसभा करवाकर राजनीतिक हित साधना चाहते है।  

रेवाड़ी, 11 सितम्बर 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने गुरूग्राम लोकसभा क्षेत्र के मतदाता होने के नाते गुरूग्राम के सांसद एवं केन्द्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह से साार्वजनिक सवाल किया कि वे अपने निहित राजनीतिक हितों के लिए राव तुलाराम के शहादत दिवस को भी हथियार क्यों बना रहे है? विद्रोही ने कहा कि 23 सितम्बर को राव तुलाराम शहीदी दिवस मनाने का अधिकार राव इन्द्रजीत सिंह सहित सभी राजनीतिक दलों व संगठनों को है, पर क्या इस गौरवमय दिवस को अपने निहित राजनीतिक स्वार्थो के लिए प्रयोग करके जनता का भावनात्मक शोषण उचित है?

विद्रोही ने कहा कि यदि 23 सितम्बर को राव तुलाराम शहीद दिवस पर पाटौदा खेड़ा के ग्रामवासियों द्वारा राव तुलाराम की याद में सम्मान व श्रद्धाजंली समारोह स्वभाविक रूप से किया जाता तो कार्यक्रम में ही एक हीे दल भाजपा के सांसदों व विधायकों को बुलाने की बजाय सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों के नेताओं को समान रूप से बुलाकर सही अर्थो में राव तुलाराम जी के 1857 स्वतत्रंता संग्राम में दिये गए योगदान को याद करके इस स्वतत्रंता सेनानी का मिलकर सम्मान किया जाता। परन्तु कार्यक्रम पोस्टर ही मुंह बोलता प्रमाण है कि ग्रामवासियों की आड़ में इस कार्यक्रम को सुनियोजित ढंग से भाजपा का कार्यक्रम बनाकर राजनीतिक उल्लू सीधा किया जा रहा है। मेरी नजरों में यह राव तुलाराम के प्रति सम्मान की भावना न होकर राव तुलाराम के नाम पर अहीरवाल के लोगों का भावनात्मक शोषण करके अपने राजनीतिक उल्लू साधना मात्र है जिसमें न कोई सम्मान की भावना है और न हीे कहीं स्वाभिमान व गौरव की भावना है। 

विद्रोही ने कहा कि यह अहीरवाल का दुर्भाग्य है कि यहां का नेतृत्व इतना बौना व स्वार्थी है जो अपने राजनीतिक हित साधने शहीदों के नाम का भी दुरूपयोग करने से बाज नही आता। अहीरवाल दक्षिणी हरियाणा का यह नेतृत्व इतना अवसरवादी व स्वार्थी है कि इनके लिए सत्ता व कुर्सी पाना व अपनी राजनीतिक चौधर कायम रखना ही सबसे बड़ा सिद्धांत व क्षेत्र का हित है। इसी सोच के कारण आज अहीरवाल को विकास में वह समान भागीदारी नही मिलती, जिसका वह हकदार है। अपनी सत्ता लिप्सा की पूर्ति के लिए अवसरवादी, सत्ता के भूखे नेता क्षेत्र के स्वाभिमान, चौधर, पगड़ी, सम्मान के नाम पर ठगतेे है। लोगों को भावनात्मक रूप से ठगकर राजनीतिक स्वार्थ साधकर लोगों व दक्षिणी हरियाणा के साथ धोखाधड़ीे करके अपनी राजनीति की दुकान चलाते है। विद्रोही ने कहा कि यहां का बौना, अवसरवादी, स्वार्थी, कुर्सी का भूख नेतृत्व ही दक्षिणी हरियाणा के साथ हर मामले में हो रहे भेदभाव व सौतेले व्यवहार के लिए जिम्मेदार है।  

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