बिना ऊपर से इशारा मिले एसडीएम लेवल का अफसर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश कैसे दे सकता है – दीपेंद्र हुड्डा

·            न्यायिक जांच के बगैर ये सामने आ ही नहीं सकता कि एसडीएम ने ये आदेश किसके इशारे पर दिया – दीपेंद्र हुड्डा

·            करनाल लाठीचार्ज की सरकारी अधिकारियों से जांच कराने का कोई औचित्य नहीं – दीपेंद्र हुड्डा

·            सब जानते हैं कि बिल्ली को दूध की रखवाली देने से क्या होगा – दीपेंद्र हुड्डा

·            कानून किसी का भी सिर फोड़ने की इजाजत नहीं देता – दीपेंद्र हुड्डा

·            करनाल लाठीचार्ज के दोषी अफसर पर तुरंत कार्रवाई हो, मामले की सिटिंग जज से न्यायिक जांच करायी जाए – दीपेंद्र हुड्डा

चंडीगढ़, 8 सितंबर। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि करनाल में जो घटित हुआ उससे हरियाणा सरकार की नीयत सामने आ गयी है। सरकार किसानों के सिर फोड़ने का आदेश देने वाले अधिकारी का जितना बचाव करेगी, उतना ही ये साबित होगा कि सारी कार्रवाई सरकार के इशारे पर हुई। उन्होंने कहा कि बिना ऊपर से इशारा मिले एसडीएम लेवल का अफसर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश कैसे दे सकता है? आज ये सवाल जन-जन की जबान पर है कि एसडीएम ने किसानों के सिर फोड़ने का आदेश क्यों दिया और इससे भी बड़ा सवाल ये है कि ये आदेश किसके इशारे पर दिया। कानून किसी का भी सिर फोड़ने की इजाजत नहीं देता। उन्होंने फिर ये मांग दोहरायी कि करनाल लाठीचार्ज के दोषी अफसर पर तुरंत कार्रवाई हो और पूरी घटना की सिटिंग जज से न्यायिक जांच करायी जाए। न्यायिक जांच के बगैर ये सामने आ ही नहीं सकता कि एसडीएम ने ये आदेश किसके इशारे पर दिये।

दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकारी अधिकारियों द्वारा करनाल लाठीचार्ज की जांच करने का कोई औचित्य नहीं है। बिल्ली को दूध की रखवाली का काम देने से क्या फायदा। हरियाणा सरकार लगातार किसानों की आवाज़ कुचलने के लिये पुलिस बलप्रयोग करा रही है, कहीं लाठीचार्ज, कहीं आंसू गैस, कहीं वाटर कैनन की बौछारें और किसानों पर देशद्रोह के झूठे मुकदमे दर्ज कराना आम बात हो गयी है। 10 महीने से चल रहे किसान आंदोलन में 500-600 किसानों ने अपनी जान कुर्बान कर दी। मगर सरकार और सरकार में बैठे किसी नेता के मुंह से संवेदना के दो शब्द तक नहीं निकले।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि वे लाठीचार्ज में चोटिल एक-एक किसान और लाठीचार्ज के बाद जान गंवाने वाले किसान स्व. सुशील काजल के परिवार से स्वयं मिलकर आये हैं। उन्होंने हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि करनाल में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से 15 किलोमीटर दूर शांति से धरने पर बैठे किसानों पर बर्बरता से लाठीचार्ज करने का क्या मतलब था। इस घटना में घायल किसानों ने उनको बताया कि जब किसान बचने के लिये खेतों की तरफ गये तो खेतों में जाकर भी उन पर लाठियां बरसायी गयीं। सरकार बार-बार अपनी हरकतों से किसानों को उकसाने का प्रयास कर रही है।

उन्होंने हरियाणा के कई जिलों में एक बार फिर इंटरनेट बंद किये जाने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को इस बात का जवाब देना चाहिए कि हरियाणा में जम्मू-कश्मीर से भी ज्यादा बार इंटरनेट बंद करने के हालात क्यों बने। इन हालातों के लिये पूरी तरह से प्रदेश सरकार जिम्मेदार है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार कठोर रवैया छोड़ अपने दिल में थोड़ी करुणा लाए, खुले मन से किसान संगठनों को बातचीत के लिये आमंत्रित करे और किसानों की मांगे मानकर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेते हुए समाधान निकाले। ये किसानों के हित में भी है, देश हित में भी है और सरकार के हित में भी है।

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