महापंचायत करनाल अनाज मंडी से शुरू डीसी ऑफिस में धरने पर बदली. किसान प्रतिनिधि मंडल और प्रशासन के बीच 3दौर की बातचीत बेनतीजा. इंटरनेट पर बैठाया गया पहरा फिर भी जो हुआ देश भर में देखा गया. आखिरकार किसान पहुंच ही गए लघु सचिवालय पर अपने तय मुकाम फतह सिंह उजाला संयुक्त किसान मोर्चा की मुजफ्फरनगर की सबसे बड़ी किसान महापंचायत के बाद पूर्व घोषणा के मुताबिक मंगलवार को सीएम सिटी करनाल में भी किसान पंचायत का आयोजन किया गया। मुजफ्फरनगर महापंचायत के मुद्दे अलग है और सीएम सिटी में किसान महापंचायत मांगे अलग थी । बीती 28 अगस्त को करनाल में जो कुछ भी घटा , वह किसी से छिपा नहीं रह सका । 28 अगस्त के घटनाक्रम के बाद से ही संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा करनाल घटनाक्रम को लेकर तीन मांगे शासन प्रशासन और सरकार के समक्ष रखी गई और मंगल के दंगल तक यही तीन मांग बरकरार भी रही। वही करनाल, वही किसान, वहीं प्रशासन लेकिन जो कुछ था वह था एक नया किसान अनुशासन। 28 अगस्त के घटनाक्रम और 7 सितंबर मंगलवार को आहूत महापंचायत में जुटे अनगिनत किसानों के जोश को देखा जाए तो इन बीते 11 दिनों में विशेषज्ञों सहित विश्लेषकों के द्वारा अपना अपना विश्लेषण भी कर लिया गया होगा। क्या कथित रूप से 28 अगस्त को कर्नाटक किसानों को भड़काने और उकसाने के लिए कार्रवाई अंजाम दी गई या फिर वास्तव में ही किसान अपने आप पर काबू नहीं रख पाए थे ? अब सीधी बात यही है कि करनाल में मंगल के दंगल में कथित रूप से शासन प्रशासन और सरकार कहीं ना कहीं संयुक्त किसान मोर्चा और किसानों की एकजुटता के सामने पूरी तरह से बैकफुट पर ही दिखाई दी। जानकारों की माने तो यहां भी महापंचायत और पहुंचे किसान नेताओं को कथित रूप से उनके वास्तविक मुद्दे से भटकाने का प्रयास तो नहीं किया गया? शायद यही कारण रहा कि 3 घंटे तक संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल के 11 सदस्यों और प्रशासन के बीच तीन दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही । संयुक्त किसान मोर्चा की तीन प्रमुख मांगे 28 अगस्त को पुलिस लाठीचार्ज में मृतक किसान को 25 लाख का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और एसडीएम को बर्खास्त करने सहित मुकदमा दर्ज किया जाना प्रशासन के समक्ष रखी गई । लेकिन प्रशासन ने इन मांगों को नजरअंदाज कर दिया । अंततः अंतिम एक ही मांग संयुक्त किसान मोर्चा प्रतिनिधि मंडल के द्वारा रखी गई कि किसानों का सिर फोड़ने के आदेश देने वाले अधिकारी को जांच होने तक बर्खास्त किया जाए। इस मांग को भी प्रशासन के द्वारा कोई तवज्जो नहीं दी गई । अंततः करनाल की अनाज मंडी से किसान महापंचायत के रूप में आरंभ हुआ मंगल का दंगल प्रशासन के तमाम बैरिकेट्स को पार करता हुआ लघु सचिवालय डीसी ऑफिस में पहुंचकर अनिश्चितकालीन धरने में तब्दील हो गया । यहां किसान नेता राकेश टिकैत अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। वही किसान नेता गुरनाम सिंह चुुडैनी ने भी दो टूक शब्दों में कहा कि हमारा किसान आंदोलन किसी वर्ग विशेष नहीं , पूरे देश को बचाने के लिए संघर्ष और एक नई आजादी की लड़ाई है । इसी बीच डीसी ऑफिस में ही तमाम आंदोलनकारी किसानों के लिए लंगर की भी व्यवस्था की गई। संयुक्त किसान मोर्चा और किसानों के द्वारा ही किसान महापंचायत में पहुंचे तथा करनाल लघु सचिवालय में अनिश्चितकालीन धरने के समर्थन में बैठे किसानों को लंगर कराया गया। देर रात तक आईजी ममता सिंह, एसपी गंगाराम पूनिया और डीसी निशांत कुमार यादव सहित अन्य अधिकारियों तथा संयुक्त किसान मोर्चा के 11 सदस्य प्रतिनिधि मंडल के बीच मंगल का बातचीत का अंतिम दौर जारी रहा । क्या प्रशासन और संयुक्त किसान मोर्चा प्रतिनिधिमंडल के बीच कोई सहमति बन सखी ? किसानों की किसी मांग पर प्रशासन के द्वारा तवज्जो दी गई ? इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी। वही करनाल पहुंचे तमांम किसानों को अलग-अलग स्थानों पर बैरिकेट्ड लगाकर रोकने के लिए तैनात और लघु सचिवालय के घेराव को देखते हुए दिन भर डटे हुए विभिन्न सुरक्षा बलों के जवान और अधिकारी भी देर रात को करनाल लघु सचिवालय में सड़क पर ही बैठे सुस्ताते हुए थकान उतारते देखे गए । संयुक्त किसान मोर्चा और किसान नेताओं ने यह तो स्पष्ट तौर से दो टूक शब्दों में करनाल प्रशासन के सामने बोल दिया कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी अनिश्चितकालीन घेराव और धरना जारी ही रहेगा। Post navigation कोर्ट कर्मचारी से दुर्व्यवहार, दी जान से मारने की धमकी जिला गुरुग्राम में 12 से 22 सितंबर के बीच चलेगा राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान