चण्डीगढ़। हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने बातचीत के दौरान एक और जहां तथाकथित किसानों के तथाकथित नेताओं पर तीखी टिप्पणियां की। वहीं प्रदेश के भोले-भाले किसानों से अपील भी की कि उनके द्वारा प्रदेश में किसी प्रकार की अव्यवस्था फैलाने से प्रदेश के लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, कृपया ऐसा ना करें। उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज की घटना तो पंजाब में भी हुई थी। जत्थेदार भी सारे पंजाब के हैं। कानून पार्लियामेंट में बने, केंद्र ने बनाए। लेकिन यह लोग फिर भी केंद्र बिंदु हरियाणा को क्यों बनाना चाहते हैं? जेपी दलाल ने कहा कि गुरनाम सिंह चढूनी कांग्रेस के एक एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं। वह कांग्रेस के हाथों में खेल रहे हैं। खुद आढ़त का काम करते हैं और चुनाव लड़ चुके हैं, उनका किसानों से कोई लेना-देना नहीं है। उनको हरियाणा प्रदेश में अव्यवस्था फैलाने की जिम्मेदारी मिली है। जेपी दलाल ने कहा कि पंजाब की जत्थे बंदियों आखिर हरियाणा को रणभूमि क्यों बनाना चाहती हैं? कानून पार्लियामेंट में बनाए गए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे लगाया गया है। कानून अभी लागू नहीं है। पंजाब से चलाए गए इस आंदोलन का उत्पात हमारी जमीन पर क्यों मचाया जा रहा है ? दलाल ने कहा कि इससे आम जनता परेशान हो रही है। हर आदमी दिक्कत का सामना कर रहा है। रास्ते जाम करना, पथराव करना, घेराबंदी करना अच्छी विचारधारा नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में किसानों के लिए सर्वश्रेष्ठ नीतियां हरियाणा प्रदेश की हैं। हमारी सरकार किसानों की 10 फसलें खरीदती है। किसान के खाते में हम सीधा पैसे भेजते हैं। देश में गन्ने का सबसे अच्छा भाव हमारा प्रदेश देता है। बिजली बिल बेहद कम है, सबसे अधिक मंडियां हैं। हम किसानों के लिए सबसे बेहतर काम कर रहे हैं। भोले-भाले किसानों को बहला-फुसलाकर अवस्था फैलाने वाले लोग अपने राजनीतिक हित साधना चाहते हैं। प्रदेश के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि चढूनी से प्रार्थना करता हूं कि हरियाणा पर रहम करो। भोले-भाले किसानों पर रहम करो। राजनीति करनी है तो अपनी पार्टी बनाओ। किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर मत चलाओ। हरियाणा में अव्यवस्था मत फैलाओ। उन्होंने कहा कि आंदोलन करने का सभी को हक है। लेकिन रास्ते जाम करना, परिवहन व्यवस्था ठप करना, अच्छी बात नहीं है। यह नुकसान देश का है। आम आदमी को इससे दिक्कत होती है लेकिन इसे हासिल कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि करनाल में एसडीएम की भाषा का किसी ने भी समर्थन नहीं किया। हर आदमी ने उनकी भाषा को अनुचित बताया। इसी कारण उन्हें वहां से बदला गया। लेकिन चढूनी कहता है कि बैरिकेड तोड़कर आगे बढऩा है। अगर ऐसी अव्यवस्था फैलाने की कोशिश की जाएगी तो प्रशासन क्या करेगा? प्रशासन को फिर से बल प्रयोग करना पड़ेगा और चढूनी चाहता है जिससे कोई भोला भाला वाला किसान, कोई बुजुर्ग, नौजवान इस चक्कर में आए और नई मांग-नया मुद्दा पैदा हो। किसानों से अपील करता हूं कि इनकी बातों में मत आएं। इससे अपने भाइयों को दिक्कत होती है। जो अच्छी बात नहीं है। राहगीर संकट में आ जाते हैं। इस प्रकार का कदम ना उठाएं। Post navigation संवाद पुन: शुरू करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास कर रहा हूँ : चौधरी बीरेंद्र सिंह करनाल उपायुक्त क्या कह रहे हैं किसान महापंचायत पर