बाजरे की तीन किस्मों को किसानों तक पहुचानें के लिए देश की नामी कंपनियों से समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर हिसार: 4 सितंबर – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की उन्नत किस्में अब न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य प्रदेशों में भी अपना परचम लहराएंगी। इसके लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए दक्षिण भारत की तीन प्रमुख कंपनियों से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध किसानों तक नहीं पहुंच पाएगा तब तक उसका कोई फायदा नहीं है। इसलिए इस तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां से विकसित उन्नत किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए विश्वविद्यालय निरंतर प्रयासरत है। समझौते के तहत विश्वविद्यालय द्वारा विकसित बाजरे की किस्मों एचएचबी 67 संशोधित, एचएचबी 299 व एचएचबी 311 का बीज तैयार कर कंपनियां किसानों तक पहुंचाएंगी ताकि किसानों को उन्नत किस्मों का विश्वसनीय बीज मिल सके और उनकी पैदावार में इजाफा हो सके। इन कंपनियों के साथ हुआ है समझौता दक्षिण भारत की श्री सांइ सदगुरू सीड्स, हैदराबाद(तेलंगाना) के साथ बाजरे की किस्मों एचएचबी 67 संशोधित व एचएचबी 299 के समझौता ज्ञापन पर एचएयू की ओर से अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने हस्ताक्षर किए हैं जबकि कंपनी की तरफ से श्री अम्बाती संजीव रेड्डी ने हस्ताक्षर किए। इसी प्रकार बाजरे की एचएचबी 299 व एचएचबी 311 किस्मों के लिए समझौता श्री मुरलीधर सीड् कॉरपोरेशन, कुरनूल, आंधप्रदेश के साथ हुआ है जिसमें कंपनी की ओर से मुरलीधर रेड्डी ने हस्ताक्षर किए हैं। इन्ही दो किस्मों के लिए तीसरी कंपनी, मैसर्ज देव एग्रीटेक. गुरूग्राम के साथ समझौता हुआ है जिसमें कंपनी की ओर से डॉ. यशपाल ने हस्ताक्षर किए। इससे पहले भी इन किस्मों के लिए आंध्रप्रदेश की बीज कंपनी संपूर्ण सीड्स व श्री लक्ष्मी वेंकटेश्वर बीज के साथ पहले समझौता हो चुका है। विश्वविद्यालय के साथ किसानों को भी होगा फायदा समझौता ज्ञापन पर हस्तारक्षर होने के बाद अब कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस अदा करेगी जिसके तहत उसे बीज का उत्पादन व विपणन करने का अधिकार प्राप्त होगा। इसके बाद किसानों को भी उन्नत किस्मों का बीज मिल सकेगा। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इन किस्मों में अन्य किस्मों की तुलना में अधिक खनिज व पैदावार मिलती है तथा ये रोगरोधी भी हैं। ये है इन किस्मों की खासियत एचएचबी 67(संशोधित) संकर किस्म में बायो टैक्नोलाजी विधि द्वारा जोगिया प्रतिरोधी जीन डाले गए हैं। एचएचबी 299 व एचएचबी 311 अधिक लौह युक्त(73-83 पी.पी.एम.)संकर बाजरा की किस्में हैंैं। इनके सिट्टे शंक्वाकार व मध्यम लंबे होते हैंैं। एचएचबी 299 किस्म 80-82 दिनों में जबकि एचएचबी 311 किस्म 75-80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। अच्छा रख रखाव करने पर एचएचबी 299 व एचएचबी 311 क्रमश: 49.0 व 45.0 मनप्रति एकड़ तक पैदावार देने की क्षमता रखती हैं। ये किस्में जोगिया रोगरोधी हैं। ये रहे मौजूद समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते समय विश्वविद्यालय के कुलपति के ओएसडी एवं मानव संसाधन निदेशालय के निदेशक डॉ. अतुल ढींगड़ा, अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत, डॉ. एस.के. पाहुजा, डॉ. अनिल यादव, डॉ. विनोद कुमार आदि मौजूद रहे। Post navigation राजनीति पर कमलेश भारतीय की कुछ लघुकथाएं गुजरात में अनियमितता के चलते हरियाणा में नही लगा देश का पहला सोलर पावर सी एन जी गैस स्टेशन