क्या यूरिया जैसे आवश्यक उर्वरक को बिना लाइसेंस के कोई भी कंपनी मनचाहे दाम पर बेच सकती है?
पूंजीपतियों के हित साधने वाली सरकार की गलत नीतियां ही किसान आंदोलन को सही साबित कर रही हैं

3/9/2021 : ‘किसान आय दोगुनी करने का जुमला उछालकर सता पाने वाली बीजेपी अब पूरे कृषि कारोबार को बड़ी कंपनियों के हवाले करने की योजना बना रही है।’ उक्त बातें हरियाणा महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव सुनीता वर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कही। उन्होंने कहा कि 5 किलो फ्री वाला राशन गरीब लोग 1000 रुपए की गैस पर कैसे पकाएंगे सरकार इस पर चिंतन करने की बजाए सपने बेचने में लगी हुई है।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि सोचिये, देश में छोटे-बड़े कितने दुकानदार खाद-बीज की दुकान के सहारे अपना परिवार चलाते हैं। तो क्या ये गरीब व किसान विरोधी सरकार अब उनकी दुकानों पर भी ताला लगवाने की तैयारी में है। देश मे ऑनलाइन रिटेल आने के बाद छोटे व्यापारियों की क्या हालत है, इस बारे छोटे दुकानदारों से पूछकर देखिये? उन्होंने कहा कि लगता है अब इस अच्छे दिनों वाली सरकार में इन खाद-बीज वालों के अच्छे दिन आने वाले हैं।

वर्मा ने कहा कि किसान यह लड़ाई अपने लिए नहीं बल्कि हिंदुस्तान की आम जनता के लिए लड़ रहा है क्योंकि इन काले कृषि कानूनों का असर सीधे सीधे आमजन पर पड़ना तय है सरसों का तेल आपके सामने एक बहुत बड़ा उदाहरण है जो अनियमित सरसों के भंडारण के कारण लगभग दुगने दाम पर बिक रहा है। उन्होंने कहा कि अगर फसल पूंजीपतियों की तिजोरी में पहुंच गई तो हर चीज के दाम बढ़ेंगे, फिर भूमिहीन और गरीब कहाँ जाएगा?

महिला कांग्रेस प्रदेश महासचिव ने कहा कि जो यूरिया इफको 266.50 रुपये का 45 किलो बेचती है, अमेजॉन पर वह 199 रुपये का एक किलो बिक रहा है। क्या यह उर्वरक की खुलेआम कालाबाजारी नहीं है? और दुर्भाग्य देखिए कि अमेजॉन के किसान स्टोर पर इस कई गुणा महंगे खाद-बीज की बिक्री का शुभारंभ खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया है। किसानों की आय दोगुनी करने वाली सरकार इन किसानों की आय तरहं से कैसे दोगुनी करेगी ये तो ये बीजेपी ही जाने।

महिला नेत्री ने कहा कि फ्लिपकार्ट भी यूरिया बेच रही है, 450 ग्राम यूरिया पर 130 किलो का दाम लिखा है। क्या इस जनविरोधी सरकार में किराने के सामान बेचने और फर्टिलाइजर बेचने में कोई फर्क नहीं है? क्या यूरिया जैसे आवश्यक उर्वरक को कोई भी कंपनी मनचाहे दाम पर बेच सकती है? क्या इसके लिए किसी लाइसेंस की ज़रूरत नहीं है?

वर्मा ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि खेत की मिट्टी जानती है, किसान कितना सब्र, संघर्ष और इंतजार कर सकता है वरना खून की सियासत करने वाली इस सरकार ने तो किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों के लिए भी खेद जताने के लिए दो शब्द भी नही कहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरहं से सदन में बैगर कोई चर्चा किये तीन काले कृषि कानूनों को देश मे लागू किया गया था ठीक वैसे ही बिना किसी चर्चा और नफे-नुकसान का आकलन किए पूंजीपतियों के मित्र वाली इस सरकार ने खाद-बीज के बाज़ार को भी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए खोल दिया है।

प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में वर्मा ने कहा कि कुछ लोग कह सकते हैं कि जब इतना कुछ ऑनलाइन बिक रहा है तो खाद-बीज भी बिकने दीजिये। क्या फर्क पड़ता है? लेकिन फर्क तो पड़ता है। वरना रिटेल में एफडीआई के खिलाफ भाजपा विपक्ष में रहते हुए विरोध-प्रदर्शन न करती। उन्होंने कहा कि खुद आरएसएस से जुड़े संगठन दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनियों के तौर-तरीकों को लेकर शिकायत करते रहते हैं।
महिला कांग्रेस से महेंद्रगढ़ की जिला प्रभारी सुनीता वर्मा ने कहा कि यहां सवाल सिर्फ व्यापार का नहीं है। यह पूरी कृषि और खाद्य व्यवस्था को कॉरपोरेट्स के हवाले करने की कवायद है। इसलिए सवाल उठना चाहिए कि ई-कॉमर्स कंपनियों को खाद-बीज बेचने की छूट किसने दी है? कब दी है? खाद-बीज के व्यापार में ई-कॉमर्स को लेकर सरकार की आखिर नीति क्या है?

उन्होंने कहा कि जब तक तीन काले कृषि कानून वापिस नहीं होंगे और अनिवार्य एमएसपी देने पर कानून नहीं बनेगा तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा और सभी देशवासी एकजुटता के साथ किसानों के इस संघर्ष के साथ है।

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