भाजपा शासन के 2500 दिन गौरव के या शर्म के
हरियाणा पर कर्ज बोझ तीन गुणा बढक़र 60 हजार करोड़ से 2 लाख करोड़ रूपये हो गया
भाजपा के चुने सासंदों, विधायकों की हैसियत मात्र एक कठपुतली की

खट्टर राज के 2500 दिन के राज में लगभग 95 किसानों ने क्या तो कृषि कर्ज बोझ के कारण आत्महत्याएं की या फसल बर्बादी को देखकर खेतों में जान दी। अभी तक खट्टर राज मेें चार जातिय दंगे हुए जिनमें पुलिस नेे 83 से ज्यादा निर्दोष नागरिकों को गोलियों से भूना। किसान आंदोलने ंमे देशद्रोह सहित विभिन्न संगीन धाराओं में 15 हजारे से ज्यादा किसानों पर पुलिस एफआईआर दर्ज हो चुकी है। 

31 अगस्त 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से सवाल किया कि हरियाणा में भाजपा शासन के 2500 दिन पूरे होने पर क्या वे किसानों की मौतो, दमन, कुशासन, घोटाले, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महिलाओं से बढ़ते रेप, बिगडती कानून व्यवस्था, बेलगाम अफसरशाही व संघी लूट का जश्न मना रहे है? विद्रोही ने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों पर जो हरियाणा भाजपा सरकार का किसान विरोधी फासिस्ट चेहरा सामने आया है और बर्बरता से सत्ता बल पर किसानों का दमन करने का कुप्रयास किया जा रहा है, वह जीवंत प्रमाण है कि भाजपा खट्टर सरकार का 2500 दिन का शासन किसान, मजदूर विरोधी मानसिकता से भरा रहा है। खट्टर राज के 2500 दिन के राज में लगभग 95 किसानों ने क्या तो कृषि कर्ज बोझ के कारण आत्महत्याएं की या फसल बर्बादी को देखकर खेतों में जान दी। अभी तक खट्टर राज मेें चार जातिय दंगे हुए जिनमें पुलिस नेे 83 से ज्यादा निर्दोष नागरिकों को गोलियों से भूना। किसान आंदोलने ंमे देशद्रोह सहित विभिन्न संगीन धाराओं में 15 हजारे से ज्यादा किसानों पर पुलिस एफआईआर दर्ज हो चुकी है। 

विद्रोही ने कहा कि किसान आंदोलन में हरियाणा से सम्बन्धित सौ से ज्यादा किसान धरना-प्रदर्शन में अपने अमूल्य जीवने का बलिदान कर चुके है। खट्टर राज के 2500 दिन के शासन में 15 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा धोटाले हो चुके है। डाडम माईन घोटाला, अवैध खनन घोटाला, ओवर लोड वसूली, पिछड़े छात्रों केे वजीफा घोटाला, बिजली मीटर घोटाला, बस किलोमीटर स्कीम घोटाला, शराब घोटाला जैसे हजारे करोड़ रूपये के घोटालों को स्वयं मुख्यमंत्री खट्टर सार्वजनिक रूप से व विधानसभा में स्वीकार कर चुके है। क्या खट्टर जी अपने राज के इन घोटालों का जश्न मना रहे है? मुख्यमंत्री दावा कर रहे है कि उनके राज में 82 हजार युवाओं को सरकारी नौकरियां मैरिट, पारदर्शिता व ईमानदारी से बिना पर्ची-खर्ची मिली है। विद्रोही ने कहा कि वास्तविकता यह है कि खट्टर जी तो एचएसएससी भर्तीे कमीशन के चेयरमैन को भर्ती घोटाले के कारण लगभग छह माह तक अपने काम से अलग करना पडा था। यह दूसरी बात है कि सत्ता दुरूपयोग से हरियाणा स्टाफ सर्विस स्लैेक्शन कमीशन के घोटाले को दबा दिया गया और भारी मांग के बावजूद भी हाईकोर्ट निगरानी में सीबीआई जांच ठुकरा दी गई। हरियाणा में पुलिस सिपाहियों व गु्रप डी की चपरासियों की नौकरी को छोडक़र प्रदेश के किसी भी आममजन को अन्य नौकरियां मुफ्त में नही मिली। सभी व्हाईट कॉलर जॉब भर्ती पेपर लीक करके चुन-चुनकर तीन जातियों के संघीयों को दी गई। प्रदेश में एक भी ऐसी सरकारी भर्ती नही हुई जिसका पेपर लीक नही हुआ हो और आश्चर्य है कि पेपर लीक आधार पर ही विभिन्न 28 भर्तीया हुई। फिर भी मैरिट, पारदर्शिता, ईमानदारी, बिना पर्ची-खर्चीे का राग बेशर्मी की पराकाष्ठा नही तो क्या है। 

विद्रोही ने कहा कि खट्टर राज में 2500 दिनोंमें हरियाणा पर कर्ज बोझ तीन गुणा बढक़र 60 हजार करोड़ से 2 लाख करोड़ रूपये हो गया जबकि 2500 दिनों में खट्टर सरकार ने विकास का एक भी बड़ा प्रोजेक्ट नही बनाया। फिर तीन गुणा कर्ज का बोझ कैसे हो गया और यह पैसा कौन हडप गया? खट्टर राज में दक्षिणी हरियाणा के साथ विकास कार्यो में भारी भेदभाव हुआ। कांग्रेस जमाने में शुरू किये गए प्रोजेक्ट सात साल बाद भी  क्या तो अधूरे है या कछुआ गति से निर्माण हो रहा है या निर्माण कार्य शुरू ही नही हुआ। दक्षिणी हरियाणा में थोड़ा बहुत जो भी विकास कार्य हुआ है, वह जनता के भारी दबाव व विरोध के बाद हुआ। खट्टर सरकारे का यह आचरण बताता है कि वे घोर जातिवादी है। प्रदेश की सारी मलाई तीन जातियों के संघी सत्ता दुरूपयोग से खा रहे है। पुलिस, प्रशासन की सभी महत्वपूर्ण पोस्टिंग सुनियोजित ढंग से तीन जातियों के संघीयों को दी जा रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय को हरियाणा से बाहर नागपुर द्वारा भेजे गए संघी चला रहे है। अफसरशाही बेलगाम है, सभी महत्वपूर्ण पोस्टों की खुली बोली लगती है, जिसके चलते उच्च स्तर का प्रशासन भ्रष्टाचार चरम पर है। भाजपा के चुने सासंदों, विधायकों की हैसियत मात्र एक कठपुतली की है। पिछडे, दलितों के प्रति खट्टर सरकार का मानसिक विरोध, घृणा छुपाये भी नही छिपती है। विद्रोही ने कहा कि कटु सत्य यह है कि हरियाणवी लोगों की पुलिस गोलियों से हुई मौत, किसान आत्म हत्याएं, भ्रष्टाचार, घोटाले, बेरोजगारी, कुव्यवस्था व संघी सरकार की जनविरोधी-किसान विरोधी नीतियों का जश्न मनाकर सत्ता मद में चूर होकर आम लोगों के जख्मों पर नमक छिडक़र खट्टर सरकार अपने सत्ता अहंकार का भौंडा प्रदर्शन कर रही है। 

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