·       किसानों पर हुए लाठीचार्ज की न्यायिक जांच करवाए सरकार, एसडीएम को किया जाए बर्खास्त- दीपेंद्र हुड्डा

·       सरकार की नजरों में नंबर बनाने के लिए जनता पर अत्याचार करने वाले अधिकारी याद रखें, सरकारें बदलती रहती हैं- दीपेंद्र हुड्डा

·       किसानों को उकसाने व कुचलने की नीयत से काम कर रही है सरकार- दीपेंद्र हुड्डा

·       हाईकमान को खुश करने के लिए देश के सबसे बड़े किसान विरोधी मुख्यमंत्री का तमगा जीतना चाहते हैं खट्टर- दीपेंद्र हुड्डा

30 अगस्त, चंडीगढ़ः रोजगार सृजन, प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति निवेश, किसान हित, विकास और खुशहाली में नंबर वन हरियाणा को बेरोजगारी, अपराध, नशे, घोटाले और किसान विरोध में नंबर वन बनाना ही खट्टर सरकार की उपलब्धि है। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। खट्टर सरकार के 2500 दिन पूरे होने पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि आज एक तरफ सरकार सत्ता भोग के 2500 दिनों के जश्न में डूबी है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की जनता रोष और असंतोष में डूबी है।

दीपेंद्र हुड्डा ने करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच होनी चाहिए और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसकी शुरुआत उस एसडीएम से होनी चाहिए जिनका वीडियो वायरल हुआ है। इस घटना के इतने घंटे बीत जाने के बाद भी एसडीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि अधिकारी ने सरकार के निर्देश पर ही किसानों को लहूलुहान करने के आदेश जारी किए थे।

राज्यसभा सांसद ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि जो अधिकारी जनता पर अत्याचार करके सरकार की नजरों में नंबर बनाना चाहते हैं, वो याद रखें कि सरकारें बदलती रहती हैं। समय आने पर ऐसे अधिकारियों को बख्शा नहीं जाएगा। इसलिए अधिकारी अपनी प्रशासनिक व संवैधानिक मर्यादाओं को लांघने की गलती ना करें।

सांसद ने कहा कि करनाल मे शांतिपूर्ण धरने पर लाठीचार्ज और किसान सुशील काजल की दुखद मृत्यु के बाद अब यह मात्र 3 कृषि कानूनों को वापिस लेने की लड़ाई नहीं रह गई है बल्कि यह किसान के स्वाभिमान बनाम सत्ता के अभिमान की भी लड़ाई बन चुकी है। इस संघर्ष में किसान का स्वाभिमान जीतेगा और सत्ता का अभिमान टूटेगा।

उन्होंने कहा कि प्रदेश का अन्नदाता 10 महीने से सड़कों पर है। लेकिन उनसे बातचीत कर समाधान निकालने की बजाए सरकार उन्हें उकसाने और कुचलने की नीयत से काम कर रही है। 3 कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर के किसान आंदोलनरत हैं लेकिन हरियाणा इकलौता ऐसा राज्य है जहां बार-बार किसानों के खिलाफ वाटर कैनन, आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसा लगता है कि मनोहर लाल खट्टर अपने हाईकमान को खुश करने के लिए देश के सबसे बड़े किसान विरोधी मुख्यमंत्री का तमगा जीतना चाहते हैं।

ऐसा लगता है कि बार-बार उकसावे वाली गतिविधियां करके सरकार जानबूझकर प्रदेश में अशांति फैलाना चाहती है। लेकिन आंदोलनकारी किसान धन्यवाद के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद अहिंसा और सत्याग्रह का मार्ग नहीं छोड़ा। सांसद ने किसानों से अपील भी की कि वो किसी भी सूरत में शांति का रास्ता ना छोड़ें, अन्यथा सरकार अपने मंसूबे में कामयाब हो जाएगी।

राज्यसभा सांसद ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार ना अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही है और ना ही मानवीय जिम्मेदारियों का। क्योंकि आंदोलन के दौरान 500 से ज्यादा किसान अपनी जान कुर्बान कर चुके हैं। लेकिन सरकार की तरफ से विधानसभा या संसद में किसानों को श्रद्धांजलि देना तो दूर, सत्ता में बैठे किसी मंत्री, सांसद या विधायक ने किसी शहीद के घर जाकर संवेदना के दो शब्द नहीं कहे।

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