किसान भाईयों की सेवा में हरियाणा पुलिस

करनाल में पुलिस और खुद को किसान बताने वाले कुछ लोगों के बीच शनिवार को जोर आजमाइश हो गई। ऐसा कहा जाता है कि इस संघर्ष में पुलिस ने अपने लट्ठ से कईयों के सिर फोड़ दिए गए। सवाल ये है कि जिन पर पुलिस ने लट्ठ से प्रहार किया वो कौन लोग थे? क्या वो किसान थे? भाजपा के कुछ प्रवक्त्ताओं की मानें तो ये लोग किसान नहीं थे। उनकी नजर में ये असमाजिक तत्व हैं और ये समाज में शांति और भाईचारा बिगाड़ने की साजिश रच रहे हैं। इधर, हरियाणा के एडीजीपी कानून व व्यवस्था, नवदीप विर्क ने इस सारे हालात पर कुछ तथ्य रखते हुए एक वीडियो जारी कर इन सभी को न केवल किसान करार दिया है, बल्कि इनको किसान भाई के खिताब से भी नवाजा है। अब जब सरकार अपने भाईयों की, अपने तरीके से सेवा कर रही है-करवा रही है, तो फिर इस पर किसी को, खासकर विपक्ष के नेताओं को ऐतराज नहीं होना चाहिए। उनको सरकार के खिलाफ भारी भरकम बयान नहीं देने चाहिए। ये तो एक तरह से घर की बात है। आपस की बात है। अंदर की बात है। सरकार अपने भाईयों की जैसे मर्जी और जैसे चाहे, खातिरदारी करवाए, इस पर विपक्ष को सियासी रोटियां नहीं सेंकनी चाहिए। आखिर सरकार का भी तो फर्ज बनता है कि वो मौके बे मौके अपने भाईयों का करंट चैक करती रहे कि उनमें कितना दम बचा है? एक तरफ भाजपाई इनको किसान मानने से इंकार कर रहे हैं, उधर इन्हीं कुछ लोगों को केंद्र सरकार के लोग कई दफा नई दिल्ली में न्यौता देकर वार्ता कर चुके हैं। बहुत ए कन्फयूजन है कि ये लोग आखिर हैं क्या?

एक सवाल ये कि इस किसान आंदोलन का केंद्र हरियाणा ही क्यंू बना? तीन कृषि कानूनों का विरोध तो अन्य राज्यों के किसान भी कर रहे हैं,लेकिन ज्यादा शोर शराबा हरियाणा में ही ज्यादा क्यंू है? क्या इस आंदोलन का पंजाब के विधानसभा चुनाव से भी कुछ कनैक्शन है? क्या ये किसान भाई पंजाब विधानसभा के चुनाव के बाद भी यंू ही अपना आंदोलन को जारी रखेंगे? क्या ये ऐसे तो गायब नहीं हो जाएंगे जैसे कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद से शाहीन बाग के आंदोलनकारी गायब हो गए थे? पता नहीं भविष्य में इनका क्या होगा,लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि हरियाणा पुलिस जितनी इज्जत अपने किसान भाईयों की कर रही है,जितनी खातिरदारी कर रही है,उस से अन्य राज्यों की पुलिस भी हमारी बहादुर पलिस से प्रेरणा लेने के लिए आतुर दिख रही है। इस हालात पर कहा जा सकता है:
तो क्या वो हम को हर इक जुर्म की सजा देगा
फिर अपने रहमो करम का सबूत क्या देगा
मैं रोजे हश्र (आखिरी समय) का कायल हंू फिर भी हंसता हंू
कि एक बंदा खुदा को हिसाब क्या देगा

पति का उत्पीड़न

दिल्ली से सटे हरियाणा के एक बड़े जिले में तैनात महिला आईएएस अधिकारी के खिलाफ उनके पति ने पुलिस में शिकायत कर दी है। शिकायत की प्रति मुख्यमंत्री,मुख्य सचिव और मानवाधिकार आयोग को भी भेजी गई है। इन महिला आईएएस अधिकारी के पति को ऐसा लगता है-न जाने क्यों ये लगता है कि उनकी बीवी उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न कर रही है। उन पर हमला कर चुकी है। उनको धमकाती रहती है। इस बारे में वो कई दफा पुलिस को शिकायत कर चुके हैं,लेकिन पुलिस उनकी बीवी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रही। उनको इंसाफ नहीं दिला रही। उन्होंने हरियाणा पुलिस से विनती की है कि उनकी बीवी से उनकी जान बचाई जाए। इन महिला के पति को शायद अहसास नहीं है कि हरियाणा पुलिस को और भी कई काम हैं। अगर हमारी काबिल पुलिस इस तरह के पचड़ों में पड़ने लग गई तो यहां हर दूसरे-तीसरे घर में इस से मिलती जुलती कहानियां सुनने को मिल जाएंगी। कहीं पति परेशान पत्नी से है, तो कहीं पत्नी परेशान अपने पति से है। एक हरियाणा पुलिस बेचारी कहां कहा जाएं? किस किस को इंसाफ दिलाए? अभी तो अपनी बहादुर-शूरवीर पुलिस को किसान भाईयों की सेवा से ही फुर्सत नहीं मिल रही। इस हालात पर कहा जा सकता है:
सबब वो पूछ रहे हैं उदास होने का
मेरा मिजाज नहीं बेलिबास होने का

दो आईएएस डैपुटेशन पर

हरियाणा के दो आईएएस अधिकारियों की सेवाएं पांच बरस के लिए केंद्र सरकार को सौंप दी गई हैं। एक समय हरियाणा मुख्यमंत्री सचिवालय में ताकतवर आईएएस अधिकारी के तौर पर कार्यरत रहे वर्ष 1997 बैच के आईएएस राकेश गुप्ता को अब भारत सरकार के महिला और बाल कल्याण मंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव तैनात किया गया है। वर्ष 2004 बैच के सीजी रजनीकांथन को गृहमंत्रालय में बतौर संयुक्त सचिव तैनात किया गया है। रजनीकांथन कई बरसों से इंटर स्टेट डैपुटेशन पर पहले से ही तमिलनाडु में सेवाएं दे रहे हैं।

दो आईएएस की रिटायरमेंट

इस महीने हरियाणा के दो आईएएस अधिकारी रिटायर होने जा रहे हैं। ये हैं वर्ष 1986 बैच की धीरा खंडेलवाल और वर्ष 2009 के गिरीश अरोड़ा। धीरा खंडेलवाल पर्यावरण विभाग में बतौर अतिरिक्त मुख्य सचिव सेवारत हैं तो गिरीश यमुनानगर के डीसी हैं। इसके अलावा चंडीगढ प्रशासन में गृह सचिव के तौर पर तैनात अरूण कुमार गुप्ता की सेवाएं फिर से हरियाणा सरकार को वापस मिलने जा रही हैं। वर्ष 1992 बैच के गुप्ता का कार्यकाल यंू तो चंडीगढ प्रशासन में पहले से ही पूरा हो चुका है,लेकिन उनको वहां एक्सटेंशन दे दी गई थी। उनकी एक्सटेंशन अवधि 31 अगस्त को पूरा हो रही है। हरियाणा शिक्षा विभाग में कार्यरत वर्ष 2000 के आईएएस अधिकारी नितिन यादव का गुप्ता के स्थान पर चंडीगढ का गृह सचिव लगना करीब करीब फाइनल हो चुका है। उनके जल्द ही औपचारिक आदेश जारी होने के आसार हैं। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि वाले समय में हरियाणा में आईएएस अफसरों के तबादले का प्रशासनिक आधार तैयार हो गया है।

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