सरकार ने अलाट किए प्लाट, लेकिन अधिकारियों कर रखी है बंद आंख.
निशानदेही और कब्जे का मामला बीडीपीओ तथा तहसील के बीच लटका.
महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के तहत 2010 में सौंपी गई रजिस्ट्रीयां

फतह सिंह उजाला

पटौदी । सरकार की योजनाएं समाज के पिछड़े ,गरीब और जरूरतमंद लोगों को समाज की मुख्यधारा में लाने की रही हैं । इसी कड़ी में हरियाणा सरकार के द्वारा महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के अंतर्गत भूमिहीन कामगारों को प्लाटों की अलॉटमेंट वर्ष 2010 में की गई । यह मामला केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक गढ़ पटौदी जहां से राव इंद्रजीत सिंह के पिता स्वर्गीय राव बिरेंदर सिंह चुनाव लड़ कर हरियाणा के अहीरवाल से पहले मुख्यमंत्री बने , उसी राजनीतिक गढ़ पटौदी क्षेत्र के गांव मिलकपुर का है ।

वर्ष 2010 में गांव मिलकपुर के 42 लाभार्थियों को प्लाटों की रजिस्ट्रीयां सौंपी जा चुकी है और इन प्लाटों की रजिस्ट्री पर मुस्तकिल नंबर किला नंबर और लाभार्थी के प्लाट का क्रमांक नंबर भी विधिवत रूप से अंकित किया गया है । सवाल यह है कि सरकार के द्वारा लाभार्थियों को प्लाटों की रजिस्ट्रीया तो सौंप दी गई , लेकिन 11 वर्ष बीतने को आ रहे हैं संबंधित विभाग और अधिकारियों की आंखें बंद हैं । क्योंकि लाभार्थी जब भी कभी अपने प्लाटों की निशानदेही सहित कब्जे लेने की मांग को लेकर संबंधित विभाग और अधिकारियों के पास पहुंचते हैं तो एक से दूसरे विभाग के चक्कर कटवाए जा रहे हैं ।

शुक्रवार को भी गांव मिलकपुर से लाभार्थी परिवारों की महिलाएं पटौदी तहसील कार्यालय में पहुंची और यहां मौजूद तहसील अधिकारी से अपने अपने प्लाटों की निशानदेही तथा कब्जा दिया जाने की मांग की। बार-बार सरकारी विभागों के चक्कर काटने से परेशान हो चुकी लाभार्थी परिवारों की महिलाओं ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी है कि सोमवार को बीडीपीओ ऑफिस से लेकर तहसील कार्यालय तक घेराव करते हुए अधिकारियों के कार्यालय के बाहर ही लंगर डाल दिया जाएगा। महात्मा गांधी ग्रामीण बस्ती योजना के लाभार्थी परिवारों की महिलाओं संतरा, सुशीला, बीना देवी ,निर्मला ,बाला देवी, सोनिया, विमला देवी, सरोज देवी , इंदिरा देवी, सुमन , गीता देवी, छोटा देवी ने गांव की निवर्तमान सरपंच मंजू देवी के नेतृत्व में पटोदी तहसील अधिकारी से पुरजोर तरीके से मांग की है कि उनके प्लाटों की निशानदेही तथा कब्जा अविलंब दिया जाए । इस कार्य में अब और अधिक लीपापोती को सहन नहीं किया जाएगा । सोमवार को महिलाओं के द्वारा बीडीपीओ पटौदी ऑफिस तथा तहसील कार्यालय में किया जाने वाला घेराव तब तक जारी रहेगा जब तक संबंधित अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए मौके पर पहुंचकर प्लाटों की निशानदेही करते हुए कब्जा नहीं दिलवा देंगे ।

लाभार्थी परिवारों की महिलाओं के मुताबिक गांव में अब पंचायत की ऐसी खाली जमीन पर उनके लिए अपने मवेशी बांधना ईंधन इत्यादि डालना संभव नहीं रह गया है । क्योंकि ऐसी जमीन पर विभिन्न प्रकार की ग्रामीण विकास योजनाएं शुरू हो चुकी हैं । ऐसे में अनेक परिवारों के सामने कई प्रकार की परेशानियां खड़ी हो गई है । हैरानी इस बात को लेकर है कि जब लाभार्थियों को प्लाटों की रजिस्ट्री पर जमीन का मुस्तिल नंबर और किला नंबर तक अंकित है तो ऐसे में राजस्व विभाग के संबंधित कर्मचारी और अधिकारियों को संबंधित नंबर की जमीन पर निशानदेही कर लाभार्थियों को कब्जा उपलब्ध करवाने में क्या और किस प्रकार की परेशानी पेश आ रही है। सरकार के द्वारा लाभार्थियों को प्रति लाभार्थी एक सौ गज के प्लाट की रजिस्ट्री और रजिस्ट्री पर मुस्किल नंबर सहित किला नंबर लिखा गया है , तो ऐसा क्या कारण और रहस्य बना है ।

11 वर्ष बीत जाने के बाद भी लाभार्थियों को सरकार के द्वारा सौंपी गई रजिस्ट्री के मुताबिक जमीन की निशानदेही और प्लाट पर कब्जा देने में संबंधित विभाग अधिकारी और कर्मचारी सरकार की छवि को क्यों और किन कारणों से बट्टा लगाने पर उतारू दिखाई दे रहे हैं । केंद्र में मोदी नेतृत्व और हरियाणा में मनोहर नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पहले दिन से कहती आ रही है कि बीजेपी और सरकार की नीति तथा नियत समाज के अंतिम पायदान के व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ उपलब्ध करवाना पहली प्राथमिकता है । इस पूरे मामले को देखें तो लगता है संबंधित विभाग और अधिकारियों की प्राथमिकता शायद सरकार की प्राथमिकता से बिल्कुल ही अलग दिखाई दे रही है । वहीं सूत्रों के मुताबिक यह भी जानकारी सामने आई है कि शुक्रवार को जब लाभार्थी महिलाएं तहसील अधिकारी के पास पहुंची तो एक बार तो तहसील अधिकारी ने इस प्लाटों के मामले की जानकारी से ही इनकार कर दिया । लेकिन जब अधिकारी के सामने तहसील कार्यालय द्वारा रिसीव किए गए दस्तावेज रखे गए तो इसके बाद में तहसील अधिकारी ने लाभार्थी परिवारों की महिलाओं को यह कहकर वापस लौटा दिया की आगामी 7-8-9 सितंबर के बीच सभी लाभार्थियों के प्लाटों की निशानदेही के साथ में कब्जा भी दिला दिया जाएगा । लेकिन लाभार्थी परिवारों की महिलाओं को अधिकारी के द्वारा दिया गया आश्वासन भरोसे से अधिक बरगलाने वाला महसूस हुआ । इन्हीं सब बातों को देखते हुए लाभार्थी परिवारों की महिलाओं ने बीडीपीओ ऑफिस और तहसील कार्यालय पर सोमवार को अपना घेरा और शिकंजा कसने की चेतावनी दे डाली है।

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