सरकार को ऑक्सीजन के लिए गुहार लगाते लोगों का सत्य जानना है तो मैं अपनी कॉल डिटेल सार्वजनिक करने को तैयार- दीपेंद्र हुड्डाबार-बार झूठ के गोले दागकर सत्य को मारना चाहती है सरकार- दीपेंद्र हुड्डासिर्फ विज्ञापन और प्रचार कार्यक्रमों को ही सच मानकर चल रही है बीजेपी-जेजेपी सरकार- दीपेंद्र हुड्डासरकार को ना घुट-घुटकर मरते लोग दिखे, ना सड़क पर बैठे किसान, ना बढ़ती बेरोजगारी, अपराध और नशा- दीपेंद्र हुड्डा 27 अगस्तः नारायणगढ़ (अंबाला)अगर सरकार ऑक्सीजन की खातिर गुहार लगाते लोगों के सत्य और पीड़ा को जानना चाहती है तो मैं अपनी कॉल डिटेल सार्वजनिक करने को तैयार हूं। ये कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा का। सांसद दीपेंद्र ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लोग नेताओं, अधिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से ऑक्सीजन के लिए लगातार गुहार लगा रहे थे। वो खुद और उनकी पूरी टीम हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ में ऐसे लोगों को मदद में जुटे थे। दिन-रात, 24 घंटे लोग फोन और सोशल मीडिया के जरिए ऑक्सीजन के लिए गुहार लगा रहे थे। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ऑक्सीजन, दवाई, हॉस्पिटल बेड और वेंटिलेटर की भारी किल्लत के चलते हर ओर चित्कार, चीख-पुकार और मातम पसरा था। उन परिदृश्य के बारे सोचकर आज भी लोग सिहर उठते हैं। लेकिन संवेदनहीनता की सारी सीमाओं को लांघते हुए सरकार बहुत बड़ा अमानवीय झूठ बोल रही है कि ऑक्सीजन की कमी के चलते किसी की मौत नहीं हुई। आज नारायणगढ़ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए सांसद दीपेंद्र ने कहा कि सरकार बार-बार झूठ के गोले दागकर सत्य को मारना चाहती है। उसके ऐसे बयान पीड़ित परिवारों के घावों को कुरेदने का काम कर रहे हैं। अगर सरकार ने उस वक्त अपनी आंख बंद नहीं की होती तो उसे अस्पतालों और सड़कों पर रोते बिलखते लोग जरूर नजर आते। सरकार को दिखाई देता कि कैसे पानीपत में महिलाएं अपने परिजन की जान बचाने के लिए डॉक्टर और सीएमओ के पैर पकड़कर रो रही थीं। सरकार को जरूर नजर आता कि कैसे गुरुग्राम के एक अस्पताल में मरीजों को वेंटिलेटर पर तड़पता छोड़कर हॉस्पिटल का पूरा स्टाफ वहां से भाग गया था। सरकार को रोहतक पीजीआई समेत अलग-अलग अस्पतालों के बाहर ऑक्सीजन की कमी के चलते और मरीज भर्ती नहीं करने के बोर्ड भी दिखाई पड़ते। अगर सरकार मुंह फेरकर नहीं बैठती तो उसे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं बल्कि रेमेडिसिविर, दवाई, वेंटिलेटर, हॉस्पिटल बेड, डॉक्टर समेत हर चीज की कमी नजर आती और उस कमी के चलते लोगों की मौतें भी दिखाई देती। लेकिन सरकार ना उस वक्त सच देखना चाहती थी और ना आज जनता को सच बताना चाहती है। एक मशहूर कहावत है कि सोए हुए को तो जगाया जा सकता है लेकिन उसे जगाना मुश्किल है जो सोने का नाटक कर रहा है। बीजेपी-जेजेपी सरकार भी नाटक कर रही है। इसलिए उसे जनता की कोई समस्या दिखाई नहीं देती। ना उसे ऑक्सीजन की कमी से घुट-घुटकर मरते लोग दिखे, ना लगातार 9 महीने से सड़क पर बैठे किसानों का दर्द, ना देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे युवाओं की पीड़ा, ना बेकाबू अपराध और ना ही बढ़ता नशा। गठबंधन सरकार सिर्फ विज्ञापन और प्रचार कार्यक्रमों को ही सच मानकर चल रही है। उसे जमीनी सच्चाई से कोई सरोकार नहीं है। यही वजह है कि दो-दो दलों के सांझे वाली सरकार इतनी जल्दी लोगों की नजरों में गिर गई। Post navigation गृह मंत्री अनिल विज से प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने की मुलाकात तुम्हारी दुआओं से ही मैं जिंदा हूँ , मैं तो एक छोटा सा परिंदा हूँ ! अस्पताल से लौटकर बोले अनिल विज