• सरकार बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के सामने घुटने टेक चुकी, विकास और रोजगार कहीं नजर नहीं आ रहा – दीपेंद्र हुड्डा
• सरकारी संपत्ति को बेचकर कब तक काम चलायेगी सरकार – दीपेंद्र हुड्डा
• सरकार नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन पर पुनर्विचार करे – दीपेंद्र हुड्डा

झज्जर, 24 अगस्त। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा आज झज्जर के कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे। उन्होंने बादली हलके के गांव सुबाना, समसपुर मजरा आदि जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस दौरान रास्ते में जगह-जगह उनका जोरदार स्वागत हुआ। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के चलते देश आर्थिक दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने नेशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन के जरिये देश की छह लाख करोड़ रुपयों की संपत्ति बेचने की सरकारी योजना पर गहरी चिंता जताते हुए अपनी प्रतिक्रया में कहा कि नोटबंदी के बाद सरकार का ये कदम अर्थव्यवस्था के लिये घातक साबित होगा। सड़क, रेलवे, हवाई अड्डों, खेल स्टेडियमों, बिजली पारेषण लाइनों और गैस पाइपलाइनों सहित देश की संपत्ति को निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला शर्मनाक है और इससे आर्थिक समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा। आखिर सरकारी संपत्ति बेचकर कब तक काम चलायेगी सरकार। हर कोई इस बात को जानता है कि जब परिवार का मुखिया घर की जमीन और जेवर बेचने लगे तो समझ लेना चाहिए कि परिवार भयंकर आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा है। सरकार का ये निर्णय स्वतः दर्शाता है कि देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है। जिसे सरकार भले स्वीकार न करे, लेकिन सरकार के हर कदम से ऐसा लगता है कि स्थिति बहुत दयनीय है। उन्होंने मांग करी कि सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार की नीतियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि सरकार की आर्थिक बदहाली का आलम यह है कि पिछले 7 साल से सरकार ने तेल और गैस कीमतें बढ़ाकर भारी मुनाफा कमाया, आम लोगों पर भारी भरकम टैक्स का बोझ लादा, फिर भी उसे सरकारी संपत्ति बेचनी पड़ रही है। सरकार डीजल-पेट्रोल पर भारी टैक्स लगाकर आम जनता को लूट रही है। बावजूद इसके अगर सरकार को देश की संपत्तियों को बेचना पड़ रहा है तो इससे स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खोखली हो चुकी है।

उन्होंने सरकार की वैचारिक शून्यता पर प्राहर करते हुए कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार बेरोजगारी और आर्थिक मंदी के सामने घुटने टेक चुकी है। विकास और रोजगार कहीं नजर नहीं आ रहा है। सरकार ने बेरोजगार युवाओं को, बेहाल किसानों को और परेशान व्यापारियों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। मंदी, महंगाई, महामारी से करोड़ों लोग गरीबी के कुचक्र में फंस गए, करोड़ों नौकरियां जा चुकी हैं। बेरोज़गारी युवाओं का भविष्य लील रही है। महंगाई से हाहाकार मचा हुआ है। डीजल-पेट्रोल, घरेलू गैस, खाद्य तेल के रोजाना बढते दामों ने आम आदमी को आर्थिक तौर पर तबाह कर दिया है। ऐसे में 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय संपत्तियों का मुद्रीकरण देश को आर्थिक खोखलेपन की ओर ले जायेगा।

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