मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी

रमेश गोयत

चंडीगढ़/पंचकूला, 17 अगस्त। एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में हाईकोर्ट द्वारा स्टे के चलते पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट मेें कोई सुनवाई नही हुई। मामले की अगली अब सुनवाई 8 सितंबर को होगी।

वकील एसपी परमार ने जानकारी देते हुए बताया कि पंचकूला स्थित हरियाणा की विशेष सीबीआई कोर्ट में प्लॉट आवंटन मामले में सुनवाई होनी थी। हाइकोर्ट द्वारा स्टे के चलते कोई सुनवाई नही हुई। एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हूड्डा मुख्य आरोपी है। एजेएल प्लॉट आवंटन मामले के दूसरे मुख्य आरोपी रहे एजेएल हाउस के चेयरमैन मोती लाल वोरा की मौत हो चुकी है।

प्लॉट आवंटन मामला
एजेएल प्लॉट आवंटन मामला 1982 में पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 तब के सीएम भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था। कंपनी को इस पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई। अक्टूबर 1992 को हुड्डा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था। 18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए। इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई। अगस्त 2005 को हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन किए, साथ ही कंपनी को 6 महीने में निर्माण शुरू करके 1 साल में काम पूरा करने को भी कहा गया।  हुड्डा पर आरोप है कि उनकी सरकार के दौरान नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली कंपनी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) को नियमों के विपरीत भूखंड आवंटित किया। इससे सरकार को 67 लाख 65 हजार रुपये का नुकसान हुआ।

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया। मुख्यमंत्री हुड्डा तब इस विभाग के अध्यक्ष थे और यह गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में दिसंबर 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा, एजेएल के तत्कालीन चेयरमैन कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एजेएल के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई थी। एजेएल पर कांग्रेस के नेताओं का कथित तौर पर नियंत्रण है, जिसमें नेहरु-गांधी परिवार भी शामिल है।