आयोग का गठन न करके प्रदेश के दबे-कुचले लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करके उन्हें इंसाफ से महरूम रखने की ये बीजेपी साजिश है
15 फरवरी 2019 से लागू कानून, 24 जुलाई 2019 को नोटिफाई हुए नियम

पटौदी 16/8/2021 : हरियाणा के राज्यपाल द्वारा राज्य अनुसूचित जाति आयोग विधेयक को मंजूरी देने के बाद भी अभी तक आयोग के पदाधिकारियों की नियुक्ति नही की गई है जिसके कारण दलित, पिछड़ों व वंचित तबके के लोगों को न्याय पाने के लिए भटकना पड़ रहा है, इस तबके के लोगों को परेशान करने व उन्हें इंसाफ से महरूम रखने की ये बीजेपी साजिश है, ये कहना है हरियाणा प्रदेश महिला कॉन्ग्रेस की प्रदेश महासचिव सुनीता वर्मा का।

महिला कॉन्ग्रेस नेत्री वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कहा कि 15 फरवरी 2019 को हरियाणा सरकार के अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव धनपत सिंह द्वारा एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर उसी तिथि से यह कानून लागू कर दिया गया, परंतु दो वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी इस आयोग का गठन नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा की हुड्डा सरकार ने 8 वर्ष पूर्व 10 अक्टूबर 2013 को एक सरकारी नोटिफिकेशन द्वारा हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की स्थापना की थी, जिसके चेयरमैन के रूप में हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष फूल चंद मुलाना को नियुक्त किया गया था किंतु जब अक्टूबर 2014 में भाजपा की सरकार बनी तो दिसंबर 2014 में आयोग को भंग कर दिया गया था, जिसे मुलाना ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका डालकर चुनौती भी थी। मुलाना की इस याचिका को दिसंबर 2016 में हाई कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया था, वर्मा के कथनानुसार तब से अब तक ये आयोग केवल सफेद हाथी ही बना हुआ है, इसमें चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्तियां नही होने से प्रदेश का ये कमजोर तबका न्याय पाने को तरस गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दलित उत्पीडऩ के मामलों की सुनवाई के लिए पुलिस के अलावा राज्य में कोई दूसरी एजेंसी नहीं है। आयोग के अभाव में पीडि़त लोग अपनी समस्या के समाधान की आस छोड़ चुके हैं। थानों-चौकियों में उनकी वाजिब सुनवाई नहीं होने से उनके बदतर हालात बने हुए हैं।

महिला कांग्रेस प्रदेश महासचिव वर्मा ने कहा कि अनुसूचित आयोग के चेयरपर्सन व सदस्यों की नियुक्ति न होने से आयोग के पास शिकायतों का अम्बार लग गया गया है, अब भी 1लाख के करीब शिकायतें पेंडिंग हैं लेकिन सुनवाई करने वाला कोई नही है और ये वंचित तबका न्याय पाने को भटक रहा है। इस आयोग के सदस्यों के पास सिविल कोर्ट की पावर होती है, इसलिये प्रताड़ना के मामले में इस वर्ग के लोगों को यहां से फौरन न्याय मिल जाता है, लेकिन आयोग में फिलहाल सिर्फ अधिकारियों का राज है जिनके पास न तो अधिकार है और न ही इन दबे कुचले लोगों को इंसाफ दिलाने की मानसिकता है।

कॉन्ग्रेस नेत्री ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी दलितों के अधिकारों व उनके लिए न्याय की लड़ाई में हमेशा संघर्षरत है। दलितों के खिलाफ़ बढ़ रहे अपराधों में कांग्रेस पीड़ितों को न्याय दिलाने में कभी पीछे नहीं हटेगी। इसलिए हम खट्टर सरकार से मांग करते हैं कि इस अनुसूचित जाति आयोग के पदाधिकारियों की जल्द से जल्द नियुक्तियां की जाएं ताकि ये गरीब व दलित तबका अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके और अपने विरुद्ध होने वाले अन्याय व हक़ और अधिकारों कि लड़ाई लड़ सके

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