भारत सारथी

-बोध राज सीकरी (उपाध्यक्ष हरियाणा सीएसआर ट्रस्ट)

गुरुग्राम। आज का दिन 14 अगस्त 1947 उन पंजाबियों के लिए काली अंधी रात की तरह था, जब हमारे पूर्वज विभाजन के समय अपने सगे-सम्बन्धी के साथ घर-बार, जायदाद, पैसा छोड़कर चल दिए थे और अत्याचारी लोगों ने भयावह नरसंहार कर न जाने कितने लोगों को मौत की गोद में सुलाया और कितनी मां-बेटी के साथ घृणात्मक कृत्य किए कि उस दृश्य को याद कर ही हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं और दिल मलीन हो जाता है।

धन्य हैं हमारे वे पूर्वज जो उन राक्षसों के हाथों बच गए और जिन्होंने सब कुछ न्योछावर कर जैसे-तैसे अपनी बेटियों की और महिलाओं की लाज बचाई। नमन और अभिनंदन है मेरा उन महान आत्माओं को जो शहीद हुए अत्याचारी के अत्याचार से और सर्वशक्तिमान प्रभु से प्रार्थना है कि जहां कहीं भी वे महान आत्मायें हों बस प्रसन्न हों और जिन लोगों ने अत्याचार किए, उन्हें नर्क रूपी काल कोठरी में तड़पने की सजा दें। जय पंजाबीयत, जय इंसानियत और जय रूहानियत। 

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