विश्वविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में रखे व्याख्यान हिसार : 12 अगस्त – देश के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा प्रदेश के हिसार जिले के लोगों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए हमें हमारे पूर्वजों द्वारा देश की आजादी में दी गई अपने प्राणों की आहुति, शहादत व बलिदान को सदैव याद रखना चाहिए। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार की ओर से मनाए जा रहे अभियान आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के उपलक्ष्य में आयोजित व्याख्यान श्रृंखला में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन स्वदेशी जागरण मंच हिसार की ओर से विश्वविद्यालय के मौलिक एवं मानिकवी महाविद्यालय के सभागार में आयोजित किया गया। संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहा कि हमारे महापुरूषों ने विषम परिस्थितियों में संसाधनों के अभाव में भी अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी और उसमें सफलता हासिल की। उन्होंने कहा कि हमारा यह नैतिक दायित्व बनता है कि आजादी की लड़ाई में उनके योगदान, उनके संस्कारों, उनके आत्मनिर्भर भारत के सपने व सकारात्मक संदेश को संजोकर रखते हुए आगामी पीढिय़ों तक पहुंचाना चाहिए। तभी हमारा भारत देश दोबारा से विश्व गुरू व सोने की चिडिय़ा बन सकता है। हमें शिक्षा, खेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करना है। हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम स्वदेशी खाएंगे, स्वदेशी निर्माण करेंगे और स्वदेश को अपनाते हुए देश को ऊंचाइयों पर लेकर जाएंगे तभी हम आत्मनिर्भर भारत के सपने को यथार्थ रूप दे सकते हैं। जिले के 52 गांवों के लोगों ने निभाई अहम भूमिका कार्यक्रम में मुख्य वक्ता दयानंद महाविद्यालय से इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह ने हिसार जिले के लोगों का 1857 की क्रांति में योगदान को बहुत ही बारीकी से समझाया व इतिहास की एक-एक घटना को विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में हिसार जिले के लगभग 52 गांवों के लोगों का अहम योगदान रहा है। इसमें किसान, मजदूर, युवा, महिलाएं व बच्चों ने भी अपने प्राणों की आहुति देने में संकोच नहीं किया और स्वयं को देश पर न्यौछावर कर दिया। उन्होंने लाला लाजपराय, लाला हुक्म चंद जैन सहित अनेकों आजादी के परवानों का जिक्र करते हुए इतिहास के संबंध में हिसार जिले के योगदान को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आजादी का अमृतमहोत्सव अभियान देश की आजादी को 75 वर्ष पूर्ण होने से 75 सप्ताह पहले गत वर्ष मार्च माह में चलाया गया था जो 15 अगस्त 2022 तक चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य आजादी की लड़ाई में बलिदान, शहादत की जानकारी देते हुए महापुरूषों की देश के प्रति सोच को जन-जन तक पहुंचाना है ताकि आज की पीढ़ी उनके विचारों को ग्रहण करे और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े। कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ. अनिल ढ़ाका ने किया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजवीर सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इस अवसर पर गुरू जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अवनीश वर्मा, दयानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विक्रमजीत सिंह, राजकीय बहुतकनीकी महाविद्यालय के लेक्चरर डॉ. अजीत कुमार, मंच के प्रांत प्रचार प्रमुख अनिल, हरियाणा थिंक टैंक के सदस्य संजय सूरा, डॉ. करमल मलिक जिला संयोजक संजीव शर्मा, सह-संयोजक ईश्वर सैनी, नगर प्रमुख विनय असीजा, प्रदीप वर्मा, महिला जिला प्रमुख मोना जैन, विचार विभाग सह प्रमुख डॉ. अजीत कुमार सहित इस मंच के अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे। Post navigation वकालत के साथ सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की कोशिश : विक्रम मित्तल भारत निर्वाचन आयोग 14 अगस्त को नये पंजीकृत मतदाताओं के ई-ऐपिक डाउनलोड करवाकर करेगा सर्वर की लोड टेस्टिंग