गुरुग्राम शहर के डीसी साहब ने आज फिर एक नई गाइडलाइन जारी की है जिसमे उन्होंने कहा है कि नो मास्क नो सर्विस वाली थ्योरी अपनाई जाएगी और आदेश दिया है कि किसी भी कार्यक्रम में 200 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर व जरूरी सावधानियाँ नहीं बरती जाने पर कार्यवाही की जाएगी व कुछ हिदायतों के साथ पाबंदियां लागू रखी जाने की बात कही मगर अब सवाल यह उठता है कि क्या यह हिदायतें और नियम आमलोगों पर ही लागू होते हैं और क्या सत्ताधारी दल के लोगों पर नहीं ?

महामारी एलर्ट सुरक्षित हरियाणा स्लोगन देने वाली भाजपा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के अनुयायियों ने ही सभी नियम कायदों की धज्जियाँ उड़ा रखी है लोगों की जानों को जोखिम में डालने का काम कर रहे हैं उनपर कोई एक्शन नहीं ? और क्या गुरुग्राम डीसी साहब के आदेश उन्हें नक्कारखाने में बजने वाली तूती के जैसे लग रहे हैं ?

भाजपाई मशहूर होने के लिए – फोटो खिंचवाने की होड़ में दौड़ रहे हैं छद्म राष्ट्रवाद की चादर ओढ़े हुए वो भी बगैर मास्क लगाए बगैर शोशल डिस्टेंसिंग के नियमों को अपनाए सैंकड़ों की संख्या में खुलेआम कोई कार्यवाही नहीं आखिर क्यों ? और एक सवाल है कि डीसी साहब जब ये लोग नहीं मानते हैं आपके आदेशों को तो फिर आमजन ने मानने से इंकार कर दिया जिसदिन उसदिन आप कहाँ और कैसे बजाएंगे अपनी तूती को ?

कमाल के कमलछाप पार्टी के लोग हैं जिन्हें लोगों के जीवन की कतई परवाह नहीं और न ही इनके नेताओं को हैं – जब्कि तीसरी आने को है बताई जा रही है इन्हीं की सरकार द्वारा जो बच्चों के जीवन पर गंभीर संकट बनकर टूटने वाली है तो ऐसे में घोर लापरवाही कैसे कर रहे हैं भाजपा के नेता-कार्यकर्ता ?

एक तरफ बाजारों में दुकानदारों के सड़कों पर आमजन के मास्क नहीं लगाने पर अभी भी मोटे चालान काटे जा रहे हैं मगर ये लोग विभिन्न प्रकार केके बहाने लगाकर रैलियों का आयोजन कर रहे हैं , यात्राएँ निकाल रहे हैं खुलेआम सड़कों पर – आखिर कबतक अपनी पार्टी के प्रचार के लिए भाजपा वाले लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहेंगे ?

तरविंदर सैनी (माईकल ) आम आदमी पार्टी गुरुग्राम का मानना है कि यदि महामारी खत्म हो गई है तो सार्वजनिक रूप से घोषणा करे सरकार ताकि सभी लोग खुले आसमान में सांस ले सकें और अपनी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में जुट सके और सामान्य जीवन जी सकें शादी समारोहों में आ जा सकें खुशियों से त्यौहार मना सकेंगें और सरकार को भी बीमारी के नाम पर खर्च नहीं करना पड़ेगा तथा अन्य विकास कार्यो पर फोकस कर पाएगी सरकार – और यदि नहीं गई है तो यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जा रहा है मोदी सरकार में ?

न्यायपालिका की भी कोई नजर नहीं इनकी गतिविधियों पर तथा देश का चौथा स्तंभ थोथा साबित हो रहा है इनकी गैरजरूरी यात्राओं के दृश्यों को प्रमुखता से मुख्य पृष्ठ पर स्थान देकर इनके लिए प्रचार प्रसार करने में जुटा रहकर दिन रात – हद होती है किसी चीज की ।

लोगों को अब लगने लगा है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए केवल आम लोग ही कार्यवाहियां करने को मिलते हैं कार्यपालिका को इन जैसे सत्ता के मद्द में चूर अहंकारी सरकार के कार्यकर्ताओं पर उसका भी कोई जोर नहीं चलता है ।।

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