पर्यांवरण को प्रदुषण से बचने के लिए प्रेरणादायक ओर अनूठी मुहीम……

त्रिवेणी लगाकर दी दिवंगत को श्रद्धांजलि
हिमांशु शर्मा ने अपने दिवंगत पिता रक्तदानी अशोक कुमार शर्मा की याद में अपने हाथो से त्रिवेणी के पेड़ लगाये ।

झज्जर : जिला मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसे वीरों की देवभूमि कहे जाने वाले धारौली गांव की सामाजिक संस्था मां-मातृभूमि सेवा समिति की ओर से धारौली गाँव के शमशान घाट में त्रिवेणी पीपल नीम और शीशम के पेड़ लगाकर दिवंगत रक्तदानी अशोक कुमार शर्मा को विशेष श्रद्धांजलि दी गई।

धारौली गांव की सामाजिक संस्था मां-मातृभूमि सेवा समिति की ओर से आयोजित कार्यक्रम में हिमांशु शर्मा ने अपने दिवंगत पिता रक्तदानी अशोक कुमार शर्मा की याद में अपने हाथो से त्रिवेणी के पेड़ लगाये ।

आपको बता दें कि धारौली निवासी 43 वर्षीय रक्तदानी अशोक कुमार शर्मा का 29 अप्रैल, 2021 को स्वर्गवास हो गया था ।

त्रिवेणी पेड़ पौधे लगाने के अवसर पर 15 बार रक्तदान कर चुके जितेंद्र शर्मा धारौली ने कहा हम सभी का फर्ज है कि हम वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए आस-पास छायादार पौधे लगाएं। पर्यावरण संरक्षण के लिए सभी को पहल करनी चाहिए। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में वृक्षों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

16 बार रक्तदान कर चुके युद्धवीर सिंह लांबा, अध्यक्ष, मां-मातृभूमि सेवा समिति, वीरों की देवभूमि धारौली ने कहा कि किसी भी व्यक्ति महिला की मृत्यु होने पर गाँव में सार्वजनिक स्थानों पर एक पेड़ लगाए जाने की अच्छी परंपरा हैं। युद्धवीर सिंह लांबा ने कहा कि लोग अपने घर परिवार के किसी भी शुभ अवसर जैसे जन्मदिन, त्योहार या सालगिरह आदि पर भी एक पौधा अवश्य लगाएं। साथ ही पौधों को लगाने के साथ-साथ उनका ध्यान भी अवश्य रखें।

माननीय श्री सुखबीर जाखड़, चेयरमैन, रिलायस डेवलपमेंट पब्लिक स्कूल, गिरधरपुर ने दिवंगत रक्तदानी अशोक कुमार शर्मा की याद में लगाये त्रिवेणी के पेड़ की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड भेट किया ।

अंत में दिवंगत रक्तदानी अशोक कुमार शर्मा की आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन रखकर आए सभी द्वारा श्रद्धां सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी । उपस्थित युवा साथियों ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और परिवार को दुख सहने की क्षमता प्रदान करने की भी प्रार्थना की।

इस अवसर पर जितेंद्र शर्मा, कटार शर्मा, केशव शर्मा रजनीश शर्मा, भोलू और गौरव आदि उपस्थित थे।

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