कहा- आज सभी देशवासियों के लिए दिवाली मनाने जैसा उत्सव है नीरज चौपड़ा, रवि दहिया, बजरंग पूनिया और हॉकी के खिलाडिय़ों ने हरियाणा का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया: अभय सिंह चौटाला सरकार ‘‘कैच दैम यंग’’ का सिद्धांत अपना कर खिलाडिय़ों को तैयार करे सबसे पहले खेलकूद नीति इनेलो सरकार ने 2001 में बनाई थी जिसको पूरे देश के राज्यों ने लागू किया: अभय ओलंपिक में भाग लेने वाले सभी खिलाडिय़ों को एक करोड़ की धनराशि और सरकारी नौकरी दे सरकार: अभय चौटाला चंडीगढ़, 7 अगस्त: भारतीय ओलंपिक संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं इंडियन नेशनल लोकदल के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने ओलंपिक में पदक जीत कर आए देश के सभी खिलाडिय़ों को बधाई दी है और कहा कि आज सभी देशवासियों के लिए दिवाली मनाने जैसा उत्सव है। नीरज चौपड़ा के स्वर्ण पदक, रवि दहिया का रजत पदक, बजरंग पूनिया के कांस्य पदक और हॉकी के पुरूष एवं महिला खिलाडिय़ों ने हरियाणा का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण और उनके लिए खेलकूद वाले साधन जुटाती तो ओलंपिक पदकों की संख्या चार गुणा होती। सबसे पहले खेलकूद नीति इनेलो सरकार ने 2001 में बनाई थी जिसको पूरे देश के राज्यों ने लागू किया। अगर सरकार इनेलो द्वारा बनाई गई खेल नीति के मूल बिंदुओं पर ध्यान देती तो आज शानदार परिणाम सामने आते। पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला पूरे देश के एकमात्र ऐसे पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने 2002 में सिडनी ओलंपिक शुरू होने से पहले घोषणा की थी कि स्वर्ण पदक लाने वाले को एक करोड़, रजत पदक लाने वाले को 50 लाख और कांस्य पदक लाने वाले खिलाडिय़ों को 25 लाख रूपए इनाम स्वरूप देगी। जिसके परिणामस्वरूप उस समय हरियाणा की पुत्रवधू कर्णम मल्लेश्वरी ने ओलंपिक में कांस्य पदक जिता था और इनेलो सरकार ने 25 लाख रूपए की इनाम राशि भेंट की थी। खिलाडिय़ों को नौकरी में आरक्षण देने की शुरूआत भी स्वर्गीय ताऊ देवी लाल ने 1988 में 3 प्रतिशत कोटा देकर की थी। खिलाडिय़ों को खेल के साथ अच्छी शिक्षा मिले इसकी शुरूआत भी कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में 5 प्रतिशत स्पोर्ट्स कोटा देकर इनेलो सरकार ने की थी। जब तक सरकार ‘‘कैच दैम यंग’’ का सिद्धांत नहीं अपनाती तब तक ओलंपिक के लिए खिलाडिय़ों को तैयार करना और ज्यादा पदक लाना बेहद मुश्किल है। अगर प्योध अच्छी नहीं लगेगी तो फसल कैसे अच्छी होगी। भूपेन्द्र हुड्डा ने कांग्रेस सरकार के शासन के दौरान स्पोटर््स नर्सरी और स्पोटर््स केंद्रों को बंद कर छोटे बच्चों को खिलाड़ी के रूप में तैयार करने पर रोक लगा दी थी। वहीं भाजपा सरकार ने 2018 में स्पोटर््स पालिसी के तहत खिलाडिय़ों को खेल के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के रास्ते ही बंद कर दिए हैं। जो पावर गेम हैं चाहे बॉक्सिंग, रेसलिंग, हॉकी या वेट लिनिफ्टंग हो, इनके खिलाड़ी बेहद गरीब घरों से आते हैं और वो सभी कर्जा ले कर खेल की तैयारी का खर्चा उठाते हैं। ऐसे बहुत से नाम हैं जैसे रवि दहिया, नेहा गोयल, सुमित कुमार और सुरेंद्र जो सरकार की तरफ से नजरअंदाज किए जाने और आर्थिक तंगी के बावजूद भी पदक लाने या चौथा स्थान प्राप्त करने में सफल रहे हैं, वहीं हॉकी की टीम को तीन साल तक कोई आथर््िाक मदद देने वाला नहीं मिला तब ओडि़सा के मुख्यमंत्री ने मदद की लेकिन भाजपा सरकार जीत का श्रेय खुद ले रही है। सरकार ओलंपिक में भाग लेने वाले सभी खिलाडिय़ों को एक करोड़ की धनराशि और सरकारी नौकरी दे ताकि खिलाड़ी आर्थिक अभाव के कारण अपने खेल की तैयारी से वंचित न रह जाए। साथ ही खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देने वाले कोच को भी सरकार प्रोत्साहन दे क्योंकि कोच ही खिलाडिय़ों की प्रतिभा को संवारता है। Post navigation डिप्टी सीएम ने कोरोना वॉरियर्स को किया सम्मानित टोक्यो ओलंपिक में चमका हरियाणा, सात पदक हुए भारत के नाम