हम ब्रेकफास्ट व डिनर की राजनीति में विश्वास नहीं रखते;- डा सुशील गुप्ता 
-हमारा एकमात्र ध्येय है की इस कानून को रद्द कर किसानों को ससम्मान घर भेजा जाए

चंडीगढ, 7 अगस्त। हम ब्रेकफास्ट व डिनर की राजनीति में विश्वास नहीं रखते। संसद मंे हम पहले दिन से तीनों काले कानूनों के खिलाफ थे, हैं और रहेंगे, जब तक यह कानून रदद नहीं किए जाते तब तक हम किसानों की आवाज को बुलंदी से उठाते रहेंगे। आम आदमी पार्टी संसद से सडक तक किसानों के साथ खडी है। यह कहना है आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद डा सुशील गुप्ता का।

 डा गुप्ता ने मीडिया में आई उस खबर का भी खंडन किया, जिसमें कहा गया कि राहुल गांधी के नेत्तृत में जंतर मंतर पर किसानों की संसद में आम आदमी पार्टी भी शामिल हुई। उन्होंने कहा कि बीते शुक्रवार 6 अगस्त को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई विपक्षी पार्टियों की बैठक में शामिल जरूर हुए थे। क्योंकि मल्लिकार्जुन खडगे संसद में विपक्षी दल के नेता के संवैधानिक पद पर है।

मल्लिकाअर्जुन द्वारा बुलाई इसी बैठक मैनें किसानों को अपनी पार्टी के निर्णय से सभी को अगवत करवा दिया था। मैंने साफ-साफ कहा था कि वह किसी पार्टी के नेता के साथ नहीं हैं। बल्कि राज्यसभा मंे विपक्ष के नेता के साथ जरूर किसानों के पक्ष में खडे है। इस बैठक में खूद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी एक सांसद के रूप मंे उपस्थित थे। लेकिन कुछ मीडिया ने आम आदमी पार्टी को उनके साथ खडा होने की बात लिख डाली, जोकि सच नहीं है। जंतर-मंतर में उनके साथ हम ही नहीं, कई अन्य पार्टी भी शामिल नहीं हुई थी।  

 डा सुशील गुप्ता ने स्पष्ट किया है कि वह संसद से सडक तक तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ खडे है, जो आज किसानों की बात कर रहें है, वह उस दिन कहां गए थे, जब यह कानून पास हो रहा था। उन्होंने कहा कि कृषि कानुन पास होने वाले दिन उनके पार्टी के सांसद संसद से वाकआउट कर गए थे। उन्हेंने कहा आम आदमी पार्टी अकेले ही किसानो की आवाज संसद से सडक तक उठाती रही है। उन्होंने कहा बेशक हमारा संख्या बल कम है, लेकिन हमारे अंदर जोश व जज्बे की कमी नहीं है। हमें पता है कि किस प्रकार अन्नदाता दिन रात एक कर धरती का सीना चीरकर हमारे लिए अन्न उगाते है। अब जब उनके लिए आवाज उठाने की बात आई तो हम पीछे नहीं उठेंगे।उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में हम कोई राजनीति नहीं चाहते हैं। हमारा एकमात्र ध्येय है की इस कानून को रद्द कर किसानों को ससम्मान घर भेजा जाए। –

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