राज्य सभा में दीपेन्द्र हुड्डा का माइक बंद करने से हुआ भारी हंगामा

• उप-सभापति के नाम पुकारने पर राज्य सभा में बोलने खड़े हुए दीपेंद्र हुड्डा ने जैसे ही किसानों की बात शुरू की उनका माइक बंद कर दिया गया, पूरे विपक्ष ने एकजुट होकर किया विरोध
• ऐसा लगता है कि सरकार को किसान शब्द से ही चिढ़ हो गयी है –दीपेन्द्र हुड्डा
• आज फिर कामरोको प्रस्ताव का नोटिस दिया सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने, सभापति ने अस्वीकार कर कार्यवाही स्थगित की

चंडीगढ़, 4 अगस्त। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज राज्य सभा में जैसे ही किसानों की बात शुरू की उनका माइक बंद कर दिया गया। निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (संशोधन) विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान उप-सभापति के पुकारने पर सदन में बोलने खड़़े हुए दीपेंद्र हुड्डा ने जैसे ही किसान की बात उठायी उनका माइक बंद कर दिया गया। इस पर भारी हंगामा हुआ और पूरे विपक्ष ने एकजुट होकर इसका विरोध किया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार को किसान शब्द से ही चिढ़ हो गयी है। किसान का नाम सुनते ही पूरी सरकार बौखला जाती है। देश के किसान की आवाज़ इस देश की संसद में नहीं सुनी जायेगी तो फिर कहाँ सुनी जाएगी। सरकार राजहठ और घमंड में इस कदर कायम है कि संसद में और संसद के बाहर भी विपक्ष और किसान दोनों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। न विपक्ष की आवाज दबेगी न किसान की आवाज़ दबेगी।

इससे पहले दीपेन्द्र हुड्डा ने आज फिर राज्य सभा में किसानों के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने का नोटिस दिया। जिसे अस्वीकार कर सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। मानसून सत्र के तीसरे हफ्ते में भी सरकार और विपक्ष के बीच कड़ा गतिरोध बना रहा। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि वो लगातार नियम 267 के तहत चर्चा कराने का नोटिस दे रहे हैं, लेकिन माननीय सभापति बिना चर्चा कराये उसे खारिज कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार चर्चा ही नहीं चाहती। उन्होंने कहा कि 8 महीनों में 400 से ज्यादा शव किसान धरनों से वापस गाँवों में जा चुके फिर भी किसान मौसम और सरकार की मार सहकर सड़कों पर आन्दोलनरत हैं। क्या देश के अन्नदाता देश के नागरिक नहीं हैं सरकार जवाब दे। उन्होंने चेताया कि जब तक सरकार संसद में किसानों की बात नहीं सुनेगी, वो भी सरकार की बात नहीं सुनेंगे।

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