कमलेश भारतीय

जींद के निकट खटकड़ टोल पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला किसानों का समर्थन करने गये लेकिन किसानों ने उन्हें मंच पर आने न दिया । काफी समय तक वे वहां खड़े रहे पौत्र कर्ण के सहारे लेकिन किसानों ने अपना फैसला नहीं बदला । आखिरकार बड़े चौटाला वहां से चल दिये । कुछ खफा , कुछ मायूस । मंच पर उन्हें पहले भी अन्ना आंदोलन में दिल्ली में चल रहे धरने पर नहीं चढ़ने दिया गया था ।

जेल से बाहर आने के बाद बड़े चौटाला इनेलो को फिर से खड़ा करने में लगे हैं । हरियाणा भर में सम्पर्क अभियान चलाये हुए हैं । उनका मानना है कि हरियाणा में मध्यावधि चुनाव आ सकते हैं । वैसे वे ऐलनाबाद उप चुनाव में मैदान से उतर सकते है यदि निर्वाचन आयोग ने उन पर प्रतिबंध हटा लिया तो । यहां से अभय चौटाला विधायक थे इनेलो के इकलौते लेकिन उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन में विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया । अब बड़ी साफ बात है कि वे तो दोबारा चुनाव न लड़ेंगे लेकिन या बड़े चौटाला ये फिर अभय का बेटा राजनीति में पहला कदम रखेगा ।

अब बात आती है बड़े चौटाला को किसानों द्वारा मंच पर न आने देने की । हालांकि मंच संचालक का आरोप है कि गुस्से में चौटाला जी ने उसे डोगा यानी छड़ी मार दी । मैं तो उन्हें बड़े नेता के तौर पर नमस्कार करने गया था । खैर । इस बहस में कुछ नहीं रखा । इस बात में बी कोई दम नहीं कि कुछ शरारती कांग्रेसजनों ने यह काम करवाया । कांग्रेस पर भाजपा भी आरोप लगा रही है जब जब उनके नेताओं को किसान काले झंडे दिखाते हैं या तोड़फोड़ करते हैं । कांग्रेस तो अपने ही में उलझी पड़ी है । कभी पंजाब तो कभी राजस्थान में देखो न क्या हो रहा है ,,,

मैं तो एक सुझाव दे सकता हूं कि बड़े चौटाला जी , आप इनके मंच पर क्यों जाओ और क्यों वहां संबोधित कर अपनी बात रखो । या समर्थन दो । आप खुद ही कहीं बड़ी रैली इनके समर्थन में कीजिए और समर्थन देने की घोषणा कीजिए। फिर हो सकता है यही किसान नेता आपकी रैली में बोलने के लिए समय मांग लें । इस तरह आपका मान /सम्मान भी बना रहेगा और आपको दूसरे मंचों की जरूरत भी न रहेगी । हो सकता है यह बिन मांगी सलाह काम आ जाये ,, ,,

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