गुरु की व्याख्या किया जाना संभव ही नहीं.
गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय सनातन का आधार

फतह सिंह उजाला

पटौदी । गुरु पर्व अथवा गुरु पूर्णिमा महोत्सव शनिवार को विभिन्न आश्रम और गुरु स्थानों पर श्रद्धा पूर्वक मनाया गया । पटौदी में आश्रम हरी मंदिर संस्कृत महाविद्यालय के अधिष्ठाता एवं संचालक महामंडलेश्वर धर्मदेव महाराज से गुरु पर्व के मौके पर आशीर्वाद लेने उनका मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए विभिन्न राजनेताओं सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी पहुंचे ।

इसी मौके पर ही गांव बुचावास में महंत लक्ष्मण गिरि गौशाला में महंत विट्ठल गिरी के द्वारा गुरु पर्व के मौके पर भक्तों और श्रद्धालुओं के साथ हवन यज्ञ का अनुष्ठान किया गया । इस मौके पर विट्ठल गिरी ने कहा की गुरु जो कुछ भी करता है, शिष्य उस कर्म पर ध्यान न देकर गुरु के द्वारा कही गई बातों को ही अपने जीवन में आत्मसात करें । क्योंकि जो कि जो क्रिया गुरु के द्वारा की जाती है उसका महत्व और कारण केवल गुरु ही जानता है ।  वही जो ज्ञान और जनकल्याण की बात अथवा शिक्षा गुरु के द्वारा बताई जाती है , वह गुरु का अपना एक अनुभव होता है । इसी मौके पर श्रद्धालुओं और भक्तों के लिए भंडारा का प्रसाद वितरण किया गया ।गांव इंछापुरी में स्थित हनुमान मंदिर परिसर में भी गुरु पर्व के मौके पर धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन करते हुए सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया । इसी मौके पर यहां आने वाले तमाम श्रद्धालुओं के द्वारा पौराणिक महत्व के इच्छापुरी मंदिर में स्थित शिवलिंग का विशेष रूप से जलाभिषेक भी किया गया और हनुमान मंदिर में संकट मोचन हनुमान की पूजा-अर्चना भी की गई।

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