आखिर माजरा क्या है? इस दफा मोदी मंत्रीपरिषद में हुए बदलाव से कईयों को झटका लगा तो कुछ की तरक्की हो गई। तरक्की पाने वालों में फरीदाबाद से लोकसभा सांसद कृष्णपाल गुर्जर भी हैं। अब उन से सामाजिक कल्याण व अधिकारिता मंत्रालय का चार्ज लेकर उनको पावर और हैवी इंडस्ट्रीज मिनीस्ट्रिी में राज्यमंत्री बनाया गया है। देश के दो बड़े-बड़े मंत्रालयों का जिम्मा उनको दिया गया है। गुर्जर जब नई दिल्ली स्थित उद्योग भवन में भारी उद्योग मंत्रालय में चार्ज संभालने गए तो कैबिनेट मंत्री डा.महेंद्र प्रताप पांडे को उनका काफी देर इंतजार करना पड़ा। इसकी वजह ये रही कि इस मंत्रालय में आने से पहले गुर्जर की बिजली मंत्रालय में चल रही एक मीटिंग ज्यादा ही लंबी खिंच गई थी। यूपी भाजपा के अध्यक्ष रह चुके डा.महेंद्र प्रताप पांडे जमीनी नेता हैं। वो चार दफा यूपी में विधायक और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। यूपी की चंदौली लोकसभा सीट से वो दूसरी दफा सांसद चुने गए हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मानव संसाधन राज्यमंत्री रहने के बाद दूसरे कार्यकाल में उनको स्किल डवलपमेंट मिनीस्ट्री में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। अब उनको हैवी इंडस्ट्रीज मिनीस्टरी का चार्ज दिया गया है। गुर्जर के उद्योग मंत्रालय में देरी से आने पर पांडे ने कहा कि मैं आपकी व्यस्ततता समझ सकता हंू,क्योंकि आपके पास दो-दो चार्ज हैं। दोनों में गपशप होने लगी। गुर्जर लोकसभा चुनाव भारी अंतर से जीतने वाले सांसदों में अपने पहले कार्यकाल में देश भर में टोप फाइव और दूसरी दफा टोप टैन में रह चुके हैं। पहली दफा वो करीब चार लाख,60 हजार वोट से जीते तो दूसरी दफा वो करीब छह लाख वोट से जीते। पांडे उनसे ये राज भी जानने के इच्छुक भी थे कि आखिर वो इतने बड़े अंतर से दोनों दफा किस तरह से जीते? गुर्जर ने एक होशियार भाजपाई की तरह अपनी जीत का श्रेय मोदी जी की नीतियों और जनता के प्यार को दिया। फिर ये चर्चा चली कि हैवी इंडस्ट्रीज मंत्रालय में महाराष्ट्र और वो भी शिवसेना के सांसदों का ही आधिपत्य क्यों रहा है? पांडे ने गुर्जर से पूछा कि आखिर क्या माजरा है कि इस मंत्रालय में मराठियों का ही वर्चस्व रहा है? गुर्जर ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। पांडे बोले कि अब जब चार्ज संभाल ही लिया है तो ये पता करना जरूरी हो गया है कि महाराष्ट्र के नेताओं को ये मंत्रालय इतना प्रिय क्यों रहा है? गौरतलब है कि इस से पहले वाजपेयी सरकार में इस मंत्रालय के चारों मंत्री मनोहर जोशी,सुरेशप्रभु,बाला साहिब विखे पाटिल और सुबोध मोहिते महाराष्ट्र से ही थे। ये चारों ही शिवसेना के सांसद थे। इसके बाद यूपीए सरकार में इस मंत्रालय में मंत्री रहे कांग्रेस के विलास राव देशमुख और एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल भी महाराष्ट्र के ही थे। वर्ष 2014 में मोदी सरकार आने के बाद इस मंत्रालय में मराठियों का वर्चस्व जारी रहा। मोदी के पहले कार्यकाल में शिवसेना कोटे से अनंत गीते मंत्री रहे तो दूसरे कार्यकाल में अरविंद सावंत। नवंबर,2019 में शिवसेना के एनडीए छोड़ने के बाद भाजपाई प्रकाश जावेड़कर को नवंबर,2019 में इस मंत्रालय की कमान सौंपी गई थी। जावेड़कर भी महाराष्ट्र से ही हैं। ये पहली दफा हुआ है जब इस मंत्रालय की कमान दो उत्तर भारतीय सांसदों के पास आई है। ..पहले आप आफिस लें देश के बिजली मंत्री राजकुमार सिंह 1975 बैच के बिहार कैडर के रिटायर्ड आईएएस हैं। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कालेज से शिक्षित राजकुमार खुद को आर के सिंह कहलवाना, बुलवाना और लिखवाना पंसद करते हैं। वे भारत के गृह सचिव रह चुके हैं। हरियाणा में उनके बैच मेट आईएएस अफसरों में नरेश गुलाटी,उर्वशी गुलाटी,एचसी सिसौदिया आदि रहे हैं। गुर्जर ने आर के सिंह कोे बताया कि हरियाणा में बंसीलाल सरकार में परिवहन मंत्री के तौर पर उनके बैचमेट नरेश गुलाटी उनके परिवहन आयुक्त रह चुके हैं। आर के सिंह वही चर्चित आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने लालू प्रसाद यादव के बिहार का सीएम रहते हुए लालकृष्ण आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफतार किया था। उस दौरान आडवाणी राम मंदिर के निर्माण के लिए सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा पर निकले थे। इस रथयात्रा से हो रहे साम्प्रदायिक तनाव से निपटने नाम पर आडवाणी को गिरफ्तार किया गया था। उनको अरैस्ट करने की योजना को इतना गुपचुप रखा गया था कि समस्तीपुर के तत्कालीन डीसी और एसपी को भी इसकी भनक नहीं थी। बिहार में रजिस्ट्रार कोपरेटिव सोसायटीज के पद पर पटना में तैनात आरके सिंह की काबलियत को देखते हुए ही लालूप्रसाद यादव ने उनको इस विकट कार्य के लिए छांटा था। आडवाणी को अरैस्ट करने के लिए आर के सिंह को समस्तीपुर का अतिरिक्त जिला मैजिस्ट्रेट का कार्यभार देकर भेजा गया था। 23 अक्टूबर,1990 को आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया था। ये भी इत्तैफाक है जिन आर के सिंह ने आडवाणी को गिरफतार किया उनको ही आडवाणी ने गृहमंत्री रहते हुए अपने यहां बतौर संयुक्त सचिव के दायित्व से नवाजा। वाजपेयी की सरकार में आर के सिंह पांच बरस तक गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहे। आईएएस की नौकरी से रिटायर होने के बाद वो बिहार के आरा लोकसभा सीट से दो दफा भाजपा सांसद चुने जा चुके हैं। आर के सिंह को मोदी कैबिनेट में पहली दफा 3 सितंबर,2017 को बिजली राज्य मंत्री स्वंतत्र प्र्रभार के तौर पर शामिल किया गया था। इस दफा उनको तरक्की देकर कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया है। एक कड़क मिजाज आईएएस रह चुके आर के सिंह बिजली मंत्रालय को एक दम अफसरी-बिहारी इस्टाइल में ही दौड़ा रहे हैं। खुद तक आने वाली फाइलज को वो सूक्ष्मता से पढते हैं। उनकी यादाश्त गजब की है। अपने अधीनस्थ अफसरों को वो बाकायदा कह भी देते हैं कि इस फाइल में अब आप ने ये लिखा है, जबकि पहले ये लिखा था। काम करने वालों को प्रौत्साहित करने के लिए वो शाबाशी देते हैं और जिनसे नाखुश होते हैं उनको इशारे इशारे में संदेश देते हैं कि मुझे पुराने वाला आर के सिंह बनने पर मजबूर मत करिए। यही आप लोगों के लिए उचित होगा। गुर्जर ने आरके सिंह को कहा कि बिजली एक तकनीकी विषय है। पहले वो इसका अध्ययन करना-समझना चाहेंगे। इस पर आरके सिंह ने कहा कि ये जरूरी काम है,लेकिन इस से भी जरूरी है कि पहले आप अपनी पंसद का आफिस लें। चंूकि गुर्जर से पहले इस मंत्रालय में कोई राज्यमंत्री नहीं रहे तो यहां उनका आफिस भी नहीं रहा। आर के सिंह से संयुक्त सचिव प्रशासन तन्मय को तत्काल गुर्जर के लिए उचित आफिस का प्रबंध करने के लिए कहा। टीम हरियाणा टोकियो ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे देश भर के 120 खिलाड़ियों में से 31 हरियाणा से हैं। हरियाणा के लिए निश्चित तौर पर ये गौरव है कि ओलंपिक में शामिल किसी भी प्रदेश के ये सर्वाधिक खिलाड़ी हैं। उम्मीद है कि इस दफा टोकियो ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन से ये खिलाड़ी देश-प्रदेश का नाम रौशन करेंगे। इत्तफाक से हरियाणा खेल विभाग में मंत्री संदीप सिंह,विभागीय सचिव अपूर्व कुमार सिंह और खेल सचिव पंकज नैन भी अच्छे खिलाड़ी हैं। फिटनैस फ्रीक हैं। तीनों ही खिलाड़ियो के लिए पोजिटिव हैं। अगर इन तीनों को फोन-ईमेल-व्यक्तिगत तौर पर भी कोई खिलाड़ी अपनी समस्या के लिए सम्पर्क करता है तो ये उसका समाधान करने की भरपूर कोशिश करते हैं। अब खिलाड़ियों की समस्या का समाधान करने के लिए खेल विभाग आनलाइन सिस्टम स्थापित करने की योजना पर भी काम कर रहे हैं। डैडिकेटिड व्हाहटसअप नंबर तय करने जा रहा है। इस का फायदा ये होगा कि खिलाड़ियों को अपने कामों के लिए बाबूओं के चक्कर नहीं काटने पड़ेगें। भारतीय हाकी टीम के कप्तान रह चुके खेल मंत्री संदीप सिंह, संसार के नंबर वन पेनाल्टी कार्नर विशेषज्ञ रह चुके हैं। उनके जीवन पर सूरमा फिल्म भी बन चुकी है। उनको अर्जुन अवार्ड और राजीव खेल रत्न अवार्ड मिल चुका है। उनसे बेहतर खिलाड़ियों का दर्द-मर्म शायद ही कोई समझता हो। Post navigation इनेलो ने जिला सोनीपत के जिला/हलका/जोन अध्यक्षों एवं प्रकोष्ठों के जिला संयोजकों की नई नियुक्तियां की ‘सरदार पटेल राष्ट्रीय एकता पुरस्कार’ के लिए 9 अगस्त 2021 तक ऑनलाइन नामांकन आमंत्रित