• पूरे विपक्ष ने दीपेन्द्र हुड्डा के कामरोको प्रस्ताव का किया समर्थन, जोरदार नारेबाजी के बाद सदन की कार्यवाही नहीं चल पायी• प्रधानमंत्री की मौजूदगी में दीपेन्द्र हुड्डा ने किसानों के मुद्दे को संसद में उठाया• सभापति ने दीपेन्द्र हुड्डा के कामरोको प्रस्ताव को किया खारिज, जिसपर सत्तापक्ष और विपक्ष में ठनी• 8 महीने से लाखों किसान सड़कों पर, लेकिन सरकार का अहंकार अभी नहीं टूटा – दीपेन्द्र हुड्डा चंडीगढ़, 19 जुलाई। राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज मानसून सत्र के पहले ही दिन सदन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में किसानों के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया। उन्होंने नियम 267 के तहत संसद का सारा कामकाज रोककर पहले किसानों के मसले पर चर्चा कराने की मांग की और कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया, जिसे सभापति ने खारिज कर दिया। इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष में ठन गई। विपक्ष के सभी सांसदों ने दीपेन्द्र हुड्डा के कामरोको प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद विपक्षी सांसदों के भारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही नहीं चल पायी और राज्य सभा स्थगित हो गयी। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों की आवाज दबने नहीं देंगे। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि देश के लाखों किसान 8 महीने से सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं। 400 से ज्यादा किसानों की कुर्बानी और हर तरह की मुश्किलों को सहने के बावजूद किसान तीन काले कानूनों की वापसी के लिये शांति और अहिंसा से अपनी बात उठाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सरकार किसानों से बातचीत करने तक को तैयार नहीं है। सरकार का अहंकार अभी नहीं टूटा। ऐसे में हम कामरोको प्रस्ताव लेकर आये, लेकिन राज्य सभा के सभापति ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि हम जो लड़ाई लड़ सकते थे हमने लड़ी और आगे भी किसानों के हक में हर लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे। Post navigation किसानों पर राजद्रोह के केस दर्ज करने पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जताई कड़ी आपत्ति इनेलो ने जिला सोनीपत के जिला/हलका/जोन अध्यक्षों एवं प्रकोष्ठों के जिला संयोजकों की नई नियुक्तियां की