ऋषि प्रकाश कौशिक

हमलावर बदल गया लेकिन भाषा वही है। इस बार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हमला किया है लेकिन हमले की भाषा वही है जो कुछ दिन पहले राज्य के गृहमंत्री अनिल विज के आक्रामक तेवर में थी। यूँ तो मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के ग्रह आपस में हमेशा टकराते हैं इसलिए एक दूसरे के बोल दोनों को कभी नहीं सुहाते लेकिन इस बार, ना जाने क्या मजबूरी थी, अरविंद केजरीवाल को कोसने के लिए खट्टर को विज की भाषा अपने गले में  उतारनी पड़ी।

  पानी के मुद्दे पर गृहमंत्री अनिल विज ने 12 जुलाई को अरविंद केजरीवाल को कड़ी भाषा में जवाब दिया था। पानी के साथ वे अॉक्सीजन गैस का मुद्दा भी घसीट लाए जबकि उस पर अनिल विज कुछ दिन पहले तीखी टिप्पणी कर चुके थे और उस पर अपनी आलोचना भी झेल चुके थे। बावजूद इसके, उन्होंने सामयिक विषय पानी से हट कर अॉक्सीजन गैस के मुद्दे पर केजरीवाल की फिर आलोचना की।

दो दिन बाद 14 जुलाई को वही भाषा और शैली मुख्यमंत्री ने भी इस्तेमाल की। वे पहले दिल्ली में पानी की किल्लत के लिए हरियाणा को जिम्मेदार ठहराने संबंधी अरविंद केजरीवाल के आरोपों का जवाब देते रहे। इस बीच वे अॉक्सीजन का मुद्दा घसीट लाए। इससे ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दिल्ली के मुख्यमंत्री को जली कटी तो सुनाना चाहते हैं लेकिन मुद्दों का अकाल है।

मुख्यमंत्री कहते हैं कि हमारे पास दिल्ली के मुकाबले जनसंख्या अधिक है; अस्पताल अधिक हैं और दिल्ली के मरीज़ भी हमारे यहाँ इलाज के लिए आ रहे थे। इस लिहाज से हमें अॉक्सीजन गैस की ज्यादा जरूरत थी। मुख्यमंत्री की बात पर पूरा यकीन है लेकिन उन्होंने कभी ऐसी कोई माँग नहीं की कि उनके प्रदेश में अॉक्सीजन गैस की किल्लत है और मरीजों की मौत अॉक्सीजन गैस की कमी के कारण हो रही है। हरियाणा में भी कोरोना मरीजों की मौत हुई है। यदि अॉक्सीजन की कमी के कारण मौतें हुईं तो मुख्यमंत्री ने ज्यादा सप्लाई की माँग क्यों नहीं की। केंद में बीजेपी की सरकार है। वो हरियाणा में अपनी पार्टी की सरकार को पूरी सप्लाई ना दे, यह मुमकिन नहीं है। ऐसा भी नहीं हो सकता कि हरियाणा का कोटा काट कर दिल्ली को दिया गया हो। हरियाणा को गैस पूरी मिल रही थी तो मुख्यमंत्री को दिल्ली की गैस सप्लाई को लेकर पीड़ा नहीं होनी चाहिए और  गृहमंत्री लाल पीला नहीं होना चाहिए। 

 हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि उन्हें भी अपने राज्य में तकरीबन डेढ़ गुना ज्यादा पानी की जरूरत है। इसके बावजूद वह दिल्ली को पानी सप्लाई जारी रखे हुए हैं। उनका कहना है कि दिल्ली और हरियाणा अलग राज्य नहीं बल्कि एक अच्छे पड़ोसी हैं।

  12 जुलाई को गृहमंत्री अनिल विज ने लगभग ऐसा ही बयान दिया था। विज ने कहा था कि पहले केजरीवाल ने कोरोना काल में झूठ बोलकर जरूरत से ज्यादा ऑक्सीजन ले ली, अब पानी के मुद्दे पर भी वो इसी तरीके की राजनीति कर रहे हैं, जबकि हरियाणा उनकी जरूरत का पानी उन्हें दे रहा है।

बीते दिनों दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा था कि हरियाणा की ओर से दिल्ली को दी जाने वाली पानी की सप्लाई में कमी की जा रही है। उन्होंने कहा था कि हरियाणा सरकार दिल्ली को करीब 12 करोड़ गैलन प्रतिदिन की दर से कम पानी की सप्लाई कर रही है। इस पर राघव चड्ढा का कहना था कि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में दिल्ली को पानी की समस्या से जूझना पड़ सकता है।   

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का यह भी कहना है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली की हर समस्या के लिए हरियाणा पर ठीकरा फोड़ रहें जबकि उनसे अपना राज्य नहीं सम्भल पा रहा है। साथ ही, केजरीवाल को यह भी सलाह दे दी कि दिल्ली नहीं सम्भाल पा रहे हो हमें सौंप दो। खट्टर साहब अपने प्रदेश में तो कहीं निकल नहीं पा रहे है; दिल्ली पाकर स्वच्छंद घूमने की इच्छा तो पूरी कर सकते हैं। 

error: Content is protected !!