भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में रोज प्रशासन की ओर से विज्ञप्तियां आती रहती हैं कि जीएमडीए और निगम अधिकारी मानसून से निपटने की तैयारियों में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि इस बार गुरुग्राम में जलभराव नहीं होगा लेकिन धरातल पर देखें तो स्थितियां कहती हैं कि ऐसा संभव है नहीं।

गुरुग्राम निगम और जीएमडीए दोनों ही लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे रहते हैं। जनता में आम धारणा बनी हुई है कि अधिकारियों, ठेकेदारों और पार्षदों का गुट बना हुआ है, जो हर काम में अपना लाभ पहले देखता है, जिसके कुछ प्रमाण भी हैं। निगम से बिना काम के करोड़ों रूपयों की पेमेंट हो जाती है। जब तक उसका पता लगता है, तब तक पेमेंट वापिस लेकर काम खत्म। यह नहीं पता करते कि यह जनता का पैसा किसकी गलती से दिया गया और जिसकी गलती से दिया गया, उसे कोई सजा नहीं मिली।

इसी प्रकार निगमायुक्त खुद कहते हैं कि पार्षदों के जाली दस्तखत कर पेमेंट रिलीज करा ली। जांच हुई और जांच में कुछ नहीं दिखाया गया, जिस अधिकारी पर आरोप थे उसे और अधिक क्षेत्र देकर ड्यूटी पर बहाल कर दिया गया। इसी प्रकार अनेक प्रमाण हैं। जीएमडीए भी अछूता नहीं है। 

मानसून आ चुका है। जिले में नागरिकों को सुविधाएं देने के नाम पर अनेक स्थानों पर केबल बिछाने का कार्य आरंभ किया हुआ है। साइबर सिटी में कम ही क्षेत्र ऐसा बचा है, जहां केबल डालने के लिए गड्ढ़े न खोदे गए हों। वरना अधिकांश स्थानों पर सड़कें काट दी गई हैं, गड्ढ़े खोदे हुए हैं, काम अभी पूरा नहीं हो रहा, थोड़ी-सी बारिश में ही खोदी गए गड्ढ़ों में पानी भर जाता है, क्षेत्रवासी नगर निगम और जीएमडीए से शिकायत करते हैं लेकिन परिणाम शून्य।

नगर निगमायुक्त ने आदेश भी जारी किए थे कि मानसून सीजन को देखते हुए आगामी 15 अगस्त तक केबल डालने, गैस पाइप व बिजली की केबलें डालने के काम को रोक दिया जाए लेकिन उनके आदेशों की कितनी परवाह है, यह दिखाई दे जाता है कि जब विभिन्न प्रतिष्ठानों के कर्मचारी सड़कों पर खुदाई करते दिखते हैं।

पुराने शहर स्थित डाकघर से जुड़ती न्यू रेलवे रोड़ की सड़क को खोद दिया गया है। यह मुख्य माग है, यातायात भी प्रभावित होता है, दुर्घटना का भय रहता है, दुकानों के सामने मिट्टी के ढ़ेर लगे हैं, जिससे दुकानदारी भी प्रभावित होती है। यही नहीं सैक्टर-4, दौलताबाद, धनवापुर रोड, बसई क्षेत्र, न्यू कॉलोनी, सैक्टर-7 एक्सटेंशन, 4-8 मरला, मदनपुरी, जैकमपुरा, सिविल लाइन आदि क्षेत्रों में भी सड़कों की खुदाई कर छोड़ दिया गया है। ऐसे में मानसून आएगा तो स्थिति क्या होगी, अनुमान लगाया जा सकता है।

इसी प्रकार सीवर लाइन अभी भी ब्लॉक पड़ी हैं, जो काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था, वह हुआ ही नहीं है। आमतौर से चर्चा है कि कहा जाता है कि सफाई के ठेके दे दिए जाएं, पहली बरसात आएगी, बरसात के जोर से सीवर साफ हो जाएंगे, नहीं भी हो जाएंगे तो कह दिया जाएगा कि बरसात में गंद से रूक गए और ठेकेदारों के बिल अधिकारियों द्वारा पास कर पेमेंटें हो जाएंगी। ऐसे ही सफाई व्यवस्था का हाल भी बुरा है। जगह-जगह सड़कों के साथ कूडा डंप किया जाता है। इसके पीछे भी सफाई कंपनियों की राजनीति कहें या सैटिंग है। भुगतना जनता को पड़ता है। हालांकि निगमायुक्त ने इसके लिए भी पिछले दिनों आदेश दिए थे। 

वर्तमान स्थितियों में हम तो यही कहेंगे कि मीटिंग-मीटिंग का खेल छोड़ उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियों को आदेश दिए जाएं कि यदि क्षेत्र में जलभराव हुआ तो उसके जिम्मेदार आप होंगे और विभागीय सजा दी जाएगी तथा पुराने सारे कार्यों की जांच कराई जाएगी तो शायद कुछ परिणाम निकल सकें।

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