रमेश गोयत

पंचकूला। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मांग की है कि हरियाणा प्रदेश में अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्गों के कर्मचारियों का, सरकारी नौकरियों में जो बैंक लॉग है उसके बारे में सरकार द्वारा एक श्वेत पत्र जारी किया जाए इसके साथ ही उन खाली पदों को भरने के लिए एक विशेष कार्य योजना तैयार की जाए और इन खाली पदों को भरने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाए ताकि इन वर्गों के कर्मचारियों  को अपना अधिकार प्राप्त हो सके। उन्होंने  कहा कि हरियाणा प्रदेश में लगभग 4 लाख कर्मचारी विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं और इसमें से लगभग 42000 कर्मचारी  अनुसूचित जाति से सम्बन्धित हैं जो कि 20 प्रतिशत के हिसाब से बहुत ही कम हैं। उन्होंने याद दिलाया कि हरियाणा प्रदेश में चौधरी भजनलाल ही केवल मात्र एक ऐसे मुख्यमंत्री हुए हैं, जिन्होंने  प्रदेश में अपने 12 साल के सबसे लम्बे शासनकाल में तीन बार मुख्यमंत्री रहते हुए न केवल सभी भर्तियों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को नौकरियों में पूरा आरक्षण का लाभ दिया अपितु सारा बैकलाग भी पूरा किया।

उन्होंने कहा कि चौधरी भजनलाल ने पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश में 1980 में हरियाणा अनुसूचित जाति कल्याण निगम की स्थापना करके अनुसूचित जाति के लोगों के उत्थान का रास्ता प्रशस्त किया। उन्होंने याद दिलाया कि भारत सरकार ने लेटरल इन्ट्री के माध्यम से  संयुक्त सचिव स्तर के 12 अधिकारियों की सीधी भर्ती की थी और इस भर्ती की विशेषता यह रही कि इन 12 अधिकारियों में से  एक भी अधिकारी अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग से सम्बन्धित नहीं  है। देश में पहली बार यह सीधी भर्ती बिना कोई परीक्षा आयोजित किए अपने चहेतों को समायोजित करने के लिए, भारतीय प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा करके की गई। एक आईएएस अधिकारी को संयुक्त सचिव के पद तक पदोन्नति के द्वारा पहुंचने में लगभग 20 साल का समय लग जाता है, लेकिन इन को सीधे ही संयुक्त सचिव के पद पर तैनात करके उन आईएएस अधिकारियों के सिर पर बैठा दिया गया है। जिन्होंने रात-रात भर जाग कर अपनी मेहनत के बल पर आईंएएस की परीक्षा पास की है।

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