-एक ही समय में दो जगह सरकारी नौकरी करने और दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने पर उठाए थे सवाल
-शिक्षा विभाग के कर्मचारी संतोष ने सीएम विंडों में दी थी डीईओ के खिलाफ शिकायत, शिक्षा निदेशालय ने डीईओ को ही बना दिया जांच अधिकारी
-स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन की शिकायत पर डीईओ के खिलाफ दर्ज हो चुका है पहले ही धोखाधड़ी का केस

भिवानी, 01 जुलाई – हरियाणा स्कूली शिक्षा निदेशालय का नया कारनामा सामने आया है। जिस अधिकारी के खिलाफ शिकायत दी, उसे ही जांच अधिकारी बना डाला, यानी बिल्ली ही दूध की रखवाली करेगी।

दरअसल शिक्षा विभाग में तैनात कर्मचारी संतोष कुमार ने भिवानी जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ 23 अप्रैल को सीएम विंडो में शिकायत दी थी। संतोष कुमार ने सीएम विंडो की शिकायत में आरोप लगाया था कि भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी ने एक ही समय में दो जगह सरकारी नौकरी का लाभ लेकर सरकार को गुमराह किया और 50 फीसदी दिव्यांगता का प्रमाण पत्र भी बनवाया था, जिसके जरिए शिक्षा विभाग में नौकरी में पदोन्नति का अनुचित लाभ भी उठाया था। शिकायत में यह भी आरोप था कि फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट देकर दूसरी जगह नौकरी की और बिना वेतन अवकाश अवधि को भी अपने अनुभव में दर्शाकर प्राचार्य पद की नौकरी हासिल कर ली।

सीएम विंडो में शिकायत करने से पहले ही अलग अलग जगहों से आरटीआई के जरिए तथ्य भी जुटाए गए थे, जिनमें यह पुष्टि हो गई थी कि अजीत सिंह ने एक ही समय में दो संस्थानों में नौकरी की, जिनकी ड्यूटी का समय भी एक ही था और दोनों संस्थानों की दूरी करीब 150 किलोमीटर थी। संतोष कमार की सीएम विंडो की शिकायत पर शिक्षा निदेशालय ने आरोपी जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह को ही जांच अधिकारी बना दिया। संतोष कुमार ने मांग उठाई है कि एक के बाद एक सरकारी नौकरी का एक ही समय में लाभ उठाने वाले अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच कराकर कार्रवाई करने की बजाए शिक्षा निदेशालय ऐसे अधिकारियों को बचाने में जुटा है। उसने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है।

गौरतलब होगा कि स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह की शिकायत पर निजी स्कूल की फर्जी फायर एनओसी मामले में भिवानी जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ पहले से ही जुईकलां पुलिस थाना में धोखाधड़ी व मिलीभगत का केस दर्ज है। बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह के खिलाफ आरटीआई में जुटाए गए सबूतों को अब न्यायालय में ले जाकर उसके खिलाफ कड़ी विभागीय और कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी। 

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