किसानों पर लाठीचार्ज करने से कोई हल नहीं निकलने वाला । परिस्थितियां बदलनी चाहिएं । यह सरकार का अहम् है जो इनसे वार्ता नहीं की जा रही । सरकार अपना अहम् छोड़ कर किसान आंदोलन को समाप्त करवाये । प्रो सम्पत सिंह -कमलेश भारतीय मेरे घर इनेलो या जजपा नहीं है , मेरा घर है चौ देवीलाल की नीतियां । यह कहना है वरिष्ठ नेता प्रो सम्पत सिंह का । सेक्टर पंद्रह स्थित उनके आवास पर नया घर तलाशने पर बातचीत की गयी तो उन्होंने यह जवाब दिया । उल्लेखनीय है कि इन दिनों भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य बनने से इंकार कर देने से राजनीति के गलियारों में यह चर्चा जोरों से चल निकली है कि प्रो सम्पत सिंह भाजपा छोड़ कर किसी नये घर की तलाश में हैं । -आज की राजनीति में खासकर पंजाब, हरियाणा की राजनीति में पारिवारिक पार्टियों की क्या अहमियत रह गयी?-पारिवारिक पार्टियों का भविष्य धूमिल है । हां , जहां जहां राष्ट्रीय पार्टियां कमजोर पड़ती हैं , वहां वहां इनका दांव लग जाता है । -तो आपका नया राजनीतिक घर कौन सा होगा और आपके ड्राइंग रूम में मोदी जी के साथ आपकी फोटो कब तक लगी रहेगी?-देखिए । मैं किसे अपना घर कहूं ? न इनेलो मेरा घर और न कांग्रेस मेरा घर रही । अब चुनाव नहीं हैं और किसी घर की तलाश भी नहीं है । -यह कैसी चर्चा आपके बारे में शुरू हो गयी है कि आप अपना राजनीतिक घर बदलने जा रहे हैं ?-इसका इतना ही कारण है कि मैंने प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्यता से इंकार कर दिया है। -इंकार करने का कारण?-किसान आंदोलन इसका आधार है । पिछले सात माह से किसान आंदोलन चल रहा है। किसान सरकार से नाराज हैं और हरियाणा में भाजपा जजपा नेताओं का घेराव किया जा रहा है । इसलिए मैं यह पद स॔भालने में सक्षम नहीं महसूस कर रहा । -ऐसा क्यों ?-आप ही बताइये कि पुलिस संरक्षण में ही मंत्री या मुख्य मंत्री जा पा रहे हैं । इसीलिए मैं हिसार में हुई भाजपा की बैठक में भी नहीं गया था बल्कि जब तक किसान आंदोलन चलेगा तब तक मैं किसी बैठक में भाग नहीं लूंगा और न ही कोई पद लूंगा । -किसानों पर तो जगह जगह जैसे हिसार, टोहाना आदि में लाठीचार्ज हो रहे हैं । इन पर क्या कहेंगे ?-किसानों पर लाठीचार्ज करने से कोई हल नहीं निकलने वाला । परिस्थितियां बदलनी चाहिएं । यह सरकार का अहम् है जो इनसे वार्ता नहीं की जा रही । सरकार अपना अहम् छोड़ कर किसान आंदोलन को समाप्त करवाये । Post navigation सरकार से नाराज हर वर्ग के लोग सड़कों पर उतरने की तैयारी में : सैलजा किस बात का मनाया छह सौ दिनों का जश्न: सैलजा