विश्वविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में व्याख्यान आयोजित हिसार : 27 जून – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में एक जर्नल क्लब स्थापित किया जाएगा, जो विद्यार्थियों व वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रकाशन में लाभकारी होगा। इससे गुणवत्तापूर्वक उच्च रेटिंग व इम्पैक्ट फैक्टर के प्रकाशन किए जा सकेंगे। ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बी.आर. काम्बोज ने कहे। वे विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार की ओर से मनाए जा रहे अभियान आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं मेें शोध प्रकाशन विषय पर आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान की प्रथम कड़ी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। भविष्य में भी इस कार्यक्रम के तहत अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले वैज्ञानिक व विशेषज्ञ अपने व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। मुख्यातिथि ने कहा कि इस जर्नल क्लब की स्थापना के बाद विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विद्यार्थी व वैज्ञानिक अपने शोध परिणामों को एक-दूसरे के साथ सांझा कर सकेंगे और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं मेें शोध प्रकाशन की रूपरेखा तैयार कर सकेंगे। सभी वैज्ञानिकों व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को इसमें शामिल होना अनिवार्य होगा, जिससे विश्वविद्यालय के शोध पत्रों की गुणवत्ता में सुधार होगा और उच्च रेटिंग व इम्पैक्ट फैक्टर वाली अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित किए जा सकेंगे। उन्होंने वैज्ञानिक व विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे शोध पत्र जमा करवाने से पहले उस पत्रिका की नास रेटिंग, स्कॉपस इंडैक्स आदि की पूरी जानकारी हासिल कर लें ताकि भविष्य में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े। इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञों की टीम गठित करने का आह्वान किया ताकि उच्च गुणवत्ता की शोध की जा सके और शोध पत्र भी उच्च श्रेणी की पत्रिकाओं में प्रकाशित हो सकें। कुलपति ने कहा कि उच्च श्रेणी की के शोध पत्रों का प्रकाशन न केवल किसी शोधार्थी की व्यक्तिगत पहचान है बल्कि किसी भी विश्वविद्यालय की रेटिंग तय करने में भी अह्म भूमिका निभाते हैं। शोध क्षेत्र व प्रयोगशाला के आंकड़ों का हो विशेष ध्यान ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड विश्वविद्यालय के खरपतवार विज्ञान के प्रोफेसर भागीरथ चौहान ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि किसी भी शोध पत्रिका में प्रकाशन से पूर्व ध्यान रखने वाली बातों को बारीकी से समझाया। उन्होंने कहा कि इसके लिए अनुसंधान क्षेत्र व प्रयोगशाला में एकत्रित किए जाने वाले आंकड़ों को ध्यानपूर्वक शामिल किया जाना चाहिए ताकि उच्च श्रेणी की शोध पत्रिकाओं मेें प्रकाशित हो सकें। उन्होंने कहा कि शोध पत्र लिखने के पश्चात उसकी शैली, भाषा, साहित्य दोहराव आदि की अच्छे से जांच की जानी चाहिए। कार्यक्रम का आयोजन अनुसंधान निदेशालय की ओर से किया गया था, जिसमें अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत चैयरमेन, अतिरिक्त अनुसंधान निदेशक डॉ. नीरज कुमार संयोजक व प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. सतीश कुमार सह-संयोजक थे। इस कार्यक्रम में एमएचयू करनाल के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह, कुलपति के ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कुलसचिव डॉ. राजवीर सिंह, विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास, सहित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक व विशेषज्ञों, विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्षों,विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों व विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। Post navigation लोगों की सेवा कर सकूं , इसलिए बनी प्रशासनिक अधिकारी : सपना शिवाले सोलंकी मेरा कश्मीर यानी कश्मीर में लोकतंत्र