चंडीगढ़
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Rishi Prakash Kaushik
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परदादा की विरासत के लिए शुद्धिकरण के जरिए जंग शुरू
उमेश जोशी
परदादा देवी लाल की विरासत को लेकर जंग शुरू हो गई है। सिरसा में ताऊ देवी लाल विश्वविद्यालय के परिसर में चौधरी साहब की प्रतिमा गंगाजल से धोने के साथ अभय चौटाला के पुत्र करण चौटाला ने दुष्यंत चौटाला से विरासत वापस लेने की जंग का एलान कर दिया है।
अभी तक विरासत पर अलिखित और अघोषित कब्जा प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला सुपुत्र अजय चौटाला का है। अजय चौटाला के भाई अभय चौटाला अपनी पितृ भक्ति के कारण दादा जी की विरासत भुनाने में पीछे रह गए थे जिसका दुष्यंत चौटाला ने 2019 के विधानसभा चुनाव में पूरा लाभ उठाया। पार्टी नाम के साथ जननायक शब्द जोड़ देने से पार्टी सीधे सीधे चौधरी देवी लाल की विरासत से जुड़ गई। किसानों के मसीहा कहलाने वाले चौधरी देवी लाल की विरासत का संकेत देने वाली जनता जननायक पार्टी से किसान स्वतः जुड़ गए। इनेलो से पल्ला झाड़ कर आए किसानों को दुष्यंत में उनके परदादा चौधरी देवी लाल की छवि दिखाई दे रही थी। यही कारण है कि कि जेजेपी ने पहले ही चुनाव में 10 सीट हासिल कर प्रदेश में अपनी धाक जमा ली थी और दुष्यंत चौटाला ने चौधरी देवी लाल का असली वारिस होने का संकेत दे दिया था।
लेकिन अब किसान आंदोलन के बाद हालात बदल गए हैं। किसानों का दुष्यंत चौटाला से मोह भंग हो गया है। बदले हालात में अभय चौटाला के बेटे करण चौटाला का परदादा प्रेम जाग गया और चौधरी देवी लाल की विरासत लेकर दुष्यंत से नाराज किसानों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति में जुट गए हैं।
दुष्यंत चौटाला ने ताऊ देवी लाल की नई प्रतिमा का 21 जून को अनावरण किया। हालांकि ताऊ देवी लाल की प्रतिमा परिसर में पहले से ही थी। वो प्रतिमा छोटी थी और मुख्य द्वार के पास नहीं थी जो सड़क से लोगों को नहीं दिखती थी। दुष्यंत चौटाला ने 18 फुट ऊंची 300 टन की नई प्रतिमा बनाई और उसे विश्विद्यालय के मुख्य द्वार के पास लगवा कर अनावरण कर दिया।
कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए यह सब किया जा रहा है। अजमेर सिंह मलिक को विश्विद्यालय का कुलपति भी दुष्यंत चौटाला ने ही बनवाया है। अजमेर सिंह मलिक के अजय सिंह चौटाला के एहसान हैं और उसी का प्रतिफल मिला है। पीएचडी में अजय चौटाला के गाइड थे अजमेर सिंह मलिक। अपने भरोसे वाले व्यक्ति को कुलपति बनाने के पीछे भी यही मंशा थी कि विश्वविद्यालय पर वर्चस्व बनाया जाए।
करण चौटाला इस मंशा को भांप गए और पहुँच गए विश्वविद्यालय, परदादा की प्रतिमा शुद्ध करने। करण चौटाला इतनी आसानी से दुष्यंत का वर्चस्व कैसे कायम होने देंगे। प्रतिमा को गंगाजल से धोकर करण चौटाला ने साबित किया है कि दुष्यंत के पापों के कारण परदादा की प्रतिमा अशुद्ध हो गई है। करण चौटाला यह भी दिखाना चाहते हैं हैं कि अब दुष्यंत चौटाला को मेरे परदादा चौधरी देवी लाल से कोई वास्ता नहीं रखना चाहिए।
प्रतिमा के शुद्धिकरण का कार्यक्रम उसी दिन तय हो गया जिस दिन दुष्यंत चौटाला ने ताऊ देवी लाल की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया था। यह महज इत्तेफाक है कि इस बीच ओम प्रकाश चौटाला की जेल से रिहाई की ख़बर आ गई। इस ख़बर से अभय चौटाला, उनके बेटे और उस खेमे के सभी लोग उत्साह से भरे हुए थे। इनेलो ने ओम प्रकाश चौटाला की अनुपस्थिति में जो राजनीतिक जमीन खो दी थी, उसे वापस पाने के लिए उसी दिन से नई रणनीति शुरू हो गई थी। प्रतिमा के शुद्धिकरण का कार्यक्रम ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई की खुशी के तौर उत्सव की तरह संपन्न किया गया है।
दुष्यंत चौटाला विश्विद्यालय परिसर से हटायी गई अपने परदादा की छोटी प्रतिमा जींद ले गए। करण चौटाला ने इस पर भी सवाल खड़े किए हैं लेकिन दुष्यंत चुप्पी साधे हुए हैं।