गुजवि का कुलगीत लिखना ही मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार : प्रो तिलक सेठी

कमलेश भारतीय

मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार और सम्मान है अपने गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय का कुलगीत लिखना जो मेरे रिटायर होने के बाद भी गूंजता रहेगा । यह मेरी खुशी है कि आदरणीय कुलपति टंकेश्वर कुमार जी ने कुलगीत लिखने का अवसर प्रदान किया । यह कहना है गुजवि के एमबीए विभाग के प्रो तिलक सेठी का । वे मूल रूप से रोहतक के निवासी हैं और एमबीए रोहतक की एमडीयू से ही की । पीएचडी गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के प्रो एच एल वर्मा के निर्देशन में की ।

-पहली जाॅब ?
-कुछ समय इंडस्ट्रियल एरिया में और सन् 1998 से गुजवि में पहले एसिस्टेंट प्रोफेसर । बाद में प्रो बना सन् 2015 में ।

साहित्य व शायरी का शौक कब से ?
-बचपन से ही । वैसे कहानियां भी लिखीं और उपन्यास भी लेकिन लौट लौट कर शायरी पर आता रहा ।

-आपके पसंदीदा शायर ?

-बशीर बद्र।
-लिखने से क्या उपलब्धि?

-मानसिक संतुष्टि । पाठक के साथ जुड़ने की कोशिश ।

-कुलगीत कैसे लिखा ?
-कुलपति महोदय ने ऑफर दी, दो तीन महीने लगे इस सवा दो मिनट के कुलगीत को लिखने में थोड़े शब्दों में सब गुण समाहित करने थे ।

-कोई पुरस्कार?
-गुजवि का कुलगीत लिखना ही मेरा सबसे बड़ा पुरस्कार ।

-लक्ष्य ? अभी तो शिक्षण ही । बाद में साहित्य ।
हमारी शुभकामनाएं प्रो तिलक सेठी को ।

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