“झोटो” की लड़ाई मैं “झाड़का” के नाश होने से बचा “ओम”
खट्टर इंद्रजीत व खट्टर गब्बर के बीच “36 के आंकड़े” कारण “विटो” हो गया मंत्रिमंडल विस्तार ।
“गब्बर” से पंगा भी मोल लेना नहीं चाहता शीर्ष नेतृत्व।
किसान आंदोलन भी बना हुआ है खट्टर के गले की “फांस”

अशोक कुमार कौशिक 

वर्चस्व और इंकार की लड़ाई में अब लगता है अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का अनुसरण करने लग गए । अपने विरोधियों पर लगाम लगाने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं को हवा दी। पर अब भाजपा की पहले वाली लोकप्रियता भी नहीं रही और ना ही प्रधानमंत्री मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह कि वह “शाख” जिसकी बदौलत खट्टर अपनी “मनमानी” कर सके। बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश ने दोनों की चौधराहट को कम किया है। राव राजा के वीटो और गब्बर की नाराजगी के साथ साथ समय की परिस्थितियां अनुरूप न होना भी मंत्रिमंडल के विस्तार में रुकावट बना। भाजपा कि वैशाखी वाली गठबंधन सरकार कि अपनी “विवशताये” खट्टर को मंत्रिमंडल फेरबदल न करने पर “रोक” कर रही है। रही सही कसर हरियाणा में किसान आंदोलन ने पूरी कर रखी है। इस मामले में सरकार के सारे हथकंडे फेल हो रहे है।

राजनीति हवा “बयां” कर रही है कि अनिल विज से गृह विभाग वापस लेने की संभावनाएं, दो से तीन मंत्रियों की छुट्टी करने की तैयारी, पद की समानता को लेकर निर्दलीय भी लामबद्ध के साथ साथ खट्टर ओम प्रकाश यादव को हटाकर अभय सिंह यादव को मंत्री बनाना चाहते हैं। जबकि अभय सिंह यादव को  किसी भी “सूरत” में राव इंद्रजीत सिंह नहीं मंत्री नही बनने देंगे । मुख्यमंत्री की इच्छा पर इंद्रजीत और खट्टर इंद्रजीत के बीच लड़ाई से अहीरवाल का हो रहा भारी नुकसान हो रहा है। राव इंद्रजीत सिंह को “मनाकर” रखना भाजपा के लिए बेहद जरूरी क्योंकि राव इंद्रजीत “बिदक” गए तो भाजपा हो जाएगी सत्ता से बाहर। इसी मंथन के चलते तथा मोदी शाह की लोकप्रियता में गिरावट के मद्देनजर अब सीएम मनोहर लाल ने कैबिनेट में फेरबदल की अटकलो को खारिज करने का ऐलान किया है।

भाजपा को केंद्र में सत्तासीन करने में अहीरवाल ने अहम भूमिका निभाई 2014 में रेवाड़ी में आयोजित सैनिक रैली में नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा के पक्ष में एक लहर बनने की शुरुआत हुई कांग्रेसमें अपनी उपेक्षा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चौधराहट से खफा रामपुरा के राजा राव इंदरजीत सिंह समय की नजाकत को भांपते हुऐ भाजपा का दामन थामा था। अस्तित्व और रसूख की लड़ाई लड़ने वाले रामपुरा हाउस के दिग्गज राव इंद्रजीत सिंह ने रुतबे के साथ कभी समझौता नहीं किया। “अहीरवाल” अपने दिग्गज राव इंद्रजीत सिंह की बात को मानते हुए लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में मतों से भाजपा को “लबालब” कर दिया। फलस्वरूप केंद्र में मोदी “सत्तासीन” हुए और हरियाणा में भाजपा को पहली बार” प्रबल बहुमत” के साथ सरकार बनाने का मौका मिला। यह दिगर बात है कि पूरे हरियाणा की भांति दक्षिणी हरियाणा में भी दो मुख्यमंत्री “प्रोजेक्ट” किए गए थे रामविलास शर्मा और राव इंद्रजीत सिंह। प्रबल बहुमत मिलने पर हरियाणा के दूसरे प्रोजेक्ट मुख्यमंत्रियों की भांति दक्षिण हरियाणा के भी इन दोनों नेताओं को दरकिनार कर दिया गया। 

गत विधानसभा चुनाव में भाजपा को केवल दक्षिणी हरियाणा से प्रबल बहुमत मिला। जाटलैंड के साथ अन्य क्षेत्रों में भाजपा बुरी तरह पिछड़ी। फलस्वरूप भाजपा को जजपा ओर निर्दलीयों के सहारे सरकार बनानी पड़ी। क्योंकि मनोहर लाल खट्टर को मोदी का वरदहस्त प्राप्त था, इसलिए उनकी दोबारा से ताजपोशी हुई। इस बार भी दक्षिण हरियाणा को पिछली बार की तरह” छला” गया। इस पीड़ा से हरा और राजा व्यथित थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद ने मिलने का भी मलाल उन्हें था पर उन्होंने फिर भी हाईकमान के साथ अपना सामंजस ओर तालमेल बैठाएं रखा। मनोहर लाल खट्टर ने अपने पूर्ववर्ती भूपेंद्र सिंह हुड्डा की नीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे राव इंदरजीत सिंह की राजनीतिक जड़ों में मट्ठा डालना जारी कर दिया।  उपेक्षा का यह दौर तब ज्यादा बढ़ता दिखाई दिया जब संगठन में राव के विरोधियों को ज्यादा महत्व दिया गया। उनके अनेक विरोधियों को संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर नवाजा गया।

अहीरवाल के राजा राव इंदरजीत सिंह के साथ भाजपा से पूर्व कांग्रेसी शासन के मुखिया चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ भी पटरी नहीं बैठ पाई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने शासनकाल व सत्ता से बाहर होने के बाद भी अपनी “कूटनीति” के दबाव से अपने विरोधियों को खुडडे लाइन लगा दिया। चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने तो रामपुरा हाउस को ही दो फाड़ कर दिया था। जिस भाई बलजीत को राव राजा ने विधायक बनाया, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उसे ही अपना तुरुप का पत्ता बना लिया। राव इंदरजीत सिंह से राव अजीत सिंह की भी यही नाराजगी थी कि आखिर उन्होंने उनकी अनदेखी करके छोटे को विधायक बनाया?

राव इंद्रजीतसिंह पर आरोप लगता है कि वह खुद के अलावा दक्षिण हरियाणा में नेताओं को उबरने नही देते। सिर्फ राजनीतिक 5 साल के लिए पौध लगाई जाती है, यही कारण है दक्षिण हरियाणा के पिछड़ेपन। संतोष यादव, रणधीर कापड़ीवास, राव नरबीर जैसे बीजेपी नेताओं की बलि देख सकते है, रामबिलास शर्मा गैर अहीर बीजेपी नेता का हारना और बीजेपी नेता अभय यादव को मंत्री नही बनने देना। पाला बदलने पर अपने भाई बलजीत तथा खासमखास विक्रम सिंह का हर्ष तो सभी देख चुके हैं।

खट्टर गब्बर में टक्कर!

हरियाणा सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार अब ज्यादा दिन तक नहीं लटका रहेगा। सीएम जल्द अपनी टीम में बड़ा फेरबदल और विस्तार करने की तैयारी में हैं। इन्हीं संभावनाओं को लेकर हरियाणा की राजनीति में उफान आ चुका है। सबसे बड़ी खबर यह आ रही है कि सीएम प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज से गृह विभाग वापस लेकर अपने पास रखना चाहते हैं। इसके बदले अनिल विज को दूसरे विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह अनिल विज को जरा भी मंजूर नहीं है। वह भी हाईकमान से मिलने के दूसरे दिन अपने स्वास्थ्य विभाग के “मातहत” आईएएस अफसर को लेकर मुख्य सचिव को नाराजगी भरा पत्र लिख मारा। इस पत्र के बाद उनकी नाराजगी और मुख्यमंत्री से दूरी उजागर हो गई।

दूसरी खबर यह है कि बिजली मंत्री रणजीत चौटाला को भी मंत्री पद से हटाया जा सकता है। इसका कारण यह है कि अविश्वास प्रस्ताव के समय सरकार का साथ देने वाले निर्दलीय विधायक बराबरी का अधिकार चाहते हैं। इन निर्दलीय विधायकों का तर्क है कि या तो सभी को मंत्री बनाया जाए या फिर किसी को भी नहीं। तीसरी खबर यह है कि नारनौल के विधायक ओपी यादव का स्थान नांगल चौधरी के विधायक डॉ. अभय सिंह यादव को दिया जा सकता है। डॉ अभय सिंह यादव के पक्ष में यही बात जाती है कि वह मुख्यमंत्री के साथ साथ बाबा रामदेव के भी नजदीकी बने हुए है। पर उनकी राह में राव इंदरजीत सिंह रोड़ा अटका रहे हैं वह अपने आदमी ओम प्रकाश यादव की “कुर्बानी” के बाद अभय सिंह यादव को मंत्रीसे संपर्क में हैं बनाने के घोर विरोधी है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समय मनोहर लाल खट्टर, अनिल विज व रणजीत चौटाला समेत हरियाणा के कई नेता दिल्ली से संपर्क में हैं। मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की आहट साफ नजर आ रही है। आने वाले कुछ दिनों में प्रदेश की राजनीति में निश्चित रूप से कुछ नया होने की उम्मीद है। मंत्रिमंडल विस्तार में कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव को भी जगह मिल सकती है क्योंकि वह बीजेपी का कैडर से है। जेजेपी के एक विधायक को भी मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा है। निर्दलीयों को बोर्ड के चेयरमैन अन्य जगह समायोजित किया जा सकता है। दूसरी ओर सीएम मनोहर लाल अभी मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावनाओं से इंकार कर रहे हैं। प्रदेश की राजनीति में अहंकार और वर्चस्व की लड़ाई की सियासत अब विवादों में फंसती नजर आ रही है आने वाले समय में हरियाणा में कुछ नया होने का अंदेशा जताया जा रहा है।

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