डीए व पुरानी पेंशन बहाली को लेकर 25 जूलाई को अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया जाएगा

पंचकूला ,20 जून। सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के अंधाधुंध निजीकरण के खिलाफ और डीए व पुरानी पेंशन बहाली आदि मांगों को लेकर 25 जूलाई को अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया जाएगा। प्रतिरोध दिवस पर सभी राज्यों में कर्मचारी प्रदर्शन करेंगे और प्रधानमंत्री के नाम मांगों का ज्ञापन उपायुक्तों को सौंपे जाएंगे। प्रदर्शन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बेनर तले राज्य के कर्मचारी भी शामिल होंगे। इस प्रतिरोध दिवस एवं प्रदर्शन का आह्वान आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन ने किया है।

यह जानकारी देते हुए आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केन्द्र सरकार ने कोरोना महामारी के नाम पर कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को जनवरी,2020 से रोका हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार 18 महीने में कर्मचारियों के लाखों करोड़ रुपए डीए के डकार गई है। कोरोना महामारी से सबक लेकर सार्वजनिक ढांचे को मजबूत करने की बजाय सरकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचा जा रहा है। इसके लिए केन्द्रीय आम बजट में 1.70 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों अनुसार नए हस्पतालों को खोलने और मेडिकल व पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती करने की बजाय ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकाल जा रहा है। ठेका प्रथा को समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को पक्का करने की बजाय ठेका प्रथा को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने शिक्षा व स्वास्थ्य को मौलिक अधिकारों में शामिल करने,कोविड से मरने वाले कर्मचारियों के आश्रितों को पचास लाख रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की। ््

हरियाणा के कर्मचारी भी होंगे शामिल

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश महासचिव सतीश सेठी ने बताया की 25 जूलाई के आल इंडिया प्रोटेस्ट डे पर आयोजित प्रदर्शनों में राज्य के कर्मचारी भी बढ़-चढ़कर शामिल होंगे। उन्होंने बताया की इसकी तैयारियों को लेकर 24 जून को रोहतक में राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई है। उन्होंने बताया की राज्य सरकार पिछले 18 महीने में करीब ढाई हजार करोड़ रुपए डीए के डकार गई है। सरकार ने पेंशनर्स तक का डीए रोक कर उनके आर्थिक हितों पर गहरा कुठाराघात किया है। महामारी को अवसर में बदल कर सार्वजनिक सेवाओं का निजीकरण किया जा रहा है और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने व पुरानी पेंशन बहाल करने आदि मांगों की अनदेखी की जा रही है। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

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