ऋषि प्रकाश कौशिक

मनोहर सरकार के छह सौ दिन पूरे होने पर मुख्यमंत्री ने 17 जून को बड़ी ठसक के साथ मीडिया को बताया था कि उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई है। यह बयान देते समय मुख्यमंत्री महज 48 घंटे पहले की अहम घटना भूल गए थे; ऐसी घटना जो भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मुख्यमंत्री के दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। मुख्यमंत्री कैसे भूल गए कि  उन्होंने मात्र 48 घंटे पहले ही 25 हजार करोड़ रुपए के जमीन घोटाले में कथित दोषी टीसी गुप्ता को नव गठित राइट टू सर्विस कमिशन (सेवा का अधिकार आयोग) का मुख्य आयुक्त बना कर बहुत बड़ा इनाम दिया है। उम्मीद तो यह थी कि उन पर मुकदमा चलेगा और दोषी पाए जाने पर सजा भी मिलेगी। लेकिन सभी अचंभित हैं कि यह कैसी सजा है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि मुख्यमंत्री की काबिल टीम ने टीसी गुप्ता के जमीन घोटाले से जुड़े सारे कारनामे बोनाफाइड घोषित कर दिए हैं और मुख्यमंत्री ने उन्हें मैलाफाइड की सूची से निकाल कर इनाम का हकदार बना दिया।

  बड़े साहसी हैं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर। भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का बयान देते समय आत्मविश्वास से भरे हुए थे और अपराधियों को सजा देने के सवाल पर राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर की तरह बोनाफाइड और मैलाफाइड का सिद्धांत समझा रहे थे।

बीजेपी की सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपये के मानेसर जमीन घोटाले के आरोपियों को जेल भेजने की पूरी तैयारी कर ली थी। आरोपियों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ आईएएस टीसी गुप्ता का नाम दूसरे नम्बर पर है। एफआईआर में 18 लोगों के नाम हैं जिनमें 16 बिल्डर हैं; एक पूर्व मुख्यमंत्री और आईएएस अधिकारी यानी टीसी गुप्ता हैं। एफआईआर में पहला नाम भूपिंदर सिंह हुड्डा का है और दूसरा नाम टीसी गुप्ता का। उसके बाद 16 बिल्डरों में से कई नामी बिल्डर हैं। बिल्डरों की सूची देख कर कहा जा सकता है कि कोई भी सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने का साहस नहीं कर सकती। यही वजह है कि 23 जनवरी 2019 को एफआईआर दर्ज होने के बाद सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। ढाई साल बीत गए, खट्टर सरकार इस घोटाले का जिक्र तक नहीं कर रही थी। वाड्रा मामला जिस तरह ठंडे बस्ते में चला गया है वैसे ही इस मामले की फाइलों पर धूल चढ़ गई है।

बिल्डरों का इतना दबदबा है कि सरकार ने उन्हें 25 हजार करोड़ रुपए की ईडीसी और आईडीसी डकारने की पूरी छूट दे रखी है। इतना ही नहीं, जिस टीसी गुप्ता ने बिल्डरों की चांदी की थी, उन्होंने सरकार पर दबाव बना कर न केवल उसे बचा लिया बल्कि इनाम भी दिलवा दिया। बिल्डरों ने अपने भक्त को बचा कर नौकरशाही को यह संदेश दिया है कि वे उन्हें उपकृत करने वालों पर कभी आंच नहीं आने देंगे। टीसी गुप्ता पर कार्रवाई हो जाती तो बिल्डरों के लिए कोई अफसर काम नहीं करता।

  प्रदेश की जनता लंबे समय से आस लगाए बैठी थी कि 25 हजार करोड़ रुपए का घोटाला करने वालों को देर सबेर सजा अवश्य मिलेगी। लेकिन, टीसी गुप्ता को इनाम दिए जाने के बाद लोगों में मायूसी है। जनता को समझ आ रहा है कि बाकी कथित दोषियों को भी किसी ना किसी बहाने से मुक्त कर दिया जाएगा। सारे कथित भ्रष्टाचारियों के दोष मुक्त होने पर प्रदेश स्वतः भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएगा। बीजेपी सरकार का कितना नायाब तरीका है प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का।

error: Content is protected !!