–कमलेश भारतीय मैं पिछले पच्चीस साल से अधिक ग्रामीण क्षेत्र के एक काॅलेज बनवारी लाल जिंदल सूईवाला कॉलेज,तोशाम में बेशक काॅमर्स का प्राध्यापक हूँ लेकिन कल्चरल कोऑर्डिनेटर होने के नाते छात्रों में साहित्यिक व सांस्कृतिक अलख जगाने की कोशिश कर रहा हूँ । यह कहना है एमडीयू , रोहतक के श्रेष्ठ अभिनेता रहे और आकाशवाणी/दूरदर्शन में समाचार वाचक व उद्घोषक श्याम वाशिष्ठ का । वे मूल रूप से भिवानी के निवासी हैं और वैश्य काॅलेज से काॅमर्स में ग्रेजुएशन के बाद एमडीयू में एम काॅम की । इसके बाद थियेटर के शौक के चलते दिल्ली एन एस डी की कार्यशालाओं में चुने गये लेकिन जाॅब लगने के कारण बीच में ही छोड़ कर तोशाम के काॅलेज में बतौर लेक्चरर नौकरी शुरू की और अब एसोसिएट प्रोफैसर हैं । -थियेटर का शौक कैसे ?-अपने पिता फतेहचंद वाशिष्ठ से। वे मंच कलाकार भी रहे और वही पहले गुरु भी। पाँचवीं कक्षा में मंच पर देशभक्ति गीत गाये, संस्कृत श्लोकोच्चारण किया और वाहवाही मिली। तब के दो शिक्षा मंत्रियों श्रीमती शांति राठी और श्री हीरानंद आर्य से पुरस्कार भी मिले। -थियेटर की ओर कैसे झुकाव हुआ ?-भिवानी के एस डी स्कूल के प्रिंसिपल थे कुंज बिहारी शर्मा उन्होंने मुझे थियेटर की ओर मोड़ लिया। शर्मा जी ही मेरे रंगमंच के आधिकारिक गुरू हैं। शायरी का शौक भी साहित्य पढ़ते पढ़ते रंगमंच से ही पनपा। -एमडीयू की क्या उपलब्धि?-पांच सालों में हर बार युवा महोत्सव का श्रेष्ठ अभिनेता। हिंदी /उर्दू काव्य पाठ में भी पुरस्कृत। रंगमंच एवम मीडिया के प्रति प्रतिबद्धता?रेड़ियो के 50 से अधिक नाटक रिकॉर्ड किये हैं,भिवानी के मेघदूत थिएटर ग्रुप से 1987 से सक्रिय जुड़ाव है। रंगमंच के 35 से अधिक नाटकों में अभिनय एवम 15 नाटकों का निर्देशन। 20 से अधिक नाटकों के लिए गीत लिखे एवम् संगीत-संयोजन भी किया। -शायरी के गुरु कौन ?-कैलाश चंद्र शाहीं। अब तक कितनी पुस्तकें ?-सन् 1998 में पहली पुस्तक आई -मेरे हिस्से का आसमान। फिर 2004 में -मुखौटे और इसके बाद सन् 2018 में -मैं अपना प्यार क्यों रोकूँ। अभी चौथी पुस्तक -समय की ताल पर आने वाली है। -कोई और उपलब्धि?-देश के प्रसिद्ध शायरों/कवियों वसीम बरेलवी, हरिओम पँवार, ओमप्रकाश आदित्य,मुनव्वर राणा, राहत इंदौरी,कुमार विश्वास, हास्य कवियों सुरेंद्र शर्मा और अशोक चक्रधर,अरुण जैमिनी आदि अनेक के साथ मंच साझा करने का अवसर। -पुरस्कार?-प्रसिद्ध उदय भानु हंस पुरस्कार । राजेश चेतन पुरस्कार, शुक्ल काव्य सम्मान आदि । -लक्ष्य ?-एक शिक्षक के नाते अपने छात्रों को साहित्यिक व सांस्कृतिक माहौल देने के लिए पिछले पच्चीस साल से वर्कशाॅप लगा रहा हूँ। नयी पीढ़ी में साहित्यिक,सांस्कृतिक रूचि पैदा करना विशेष तौर पर रंगमंच के माध्यम से। हमारी शुभकामनाएं श्याम वाशिष्ठ को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 9996420600 Post navigation धमकी, राजद्रोह और कोर्ट कचहरी झेलते पत्रकारिता की यात्रा जारी : अनिल सोनी अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा ‘साहित्यकार से संवाद’…….