-मंत्रिमंडल ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

-कैशलैश और फेसलैस होगी प्रक्रिया और वाहन मालिकों को अपने पूरी तरह से निर्मित नए परिवहन वाहनों को संबंधित डीलर के माध्यम से पंजीकृत करवाने की होगी सुविधा

-पंजीकरण प्राधिकरणों के कार्यालयों में लोगों की आमद में आएगी उल्लेखनीय कमी

चण्डीगढ़, 15 जून-आमजन को और अधिक सुविधाएं देने तथा कैशलैश व फेसलैस तरीके से नागरिक सेवाओं की प्रदायगी को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से, हरियाणा मोटर वाहन नियम, 1993 में किए जा रहे संशोधनों के साथ ही हरियाणा सरकार ने प्रदेश में पूरी तरह से निर्मित नए परिवहन वाहनों का पंजीकरण डीलरों के माध्यम से करवाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से वाहन मालिक अपने पूर्ण रूप से निर्मित नए परिवहन वाहनों को संबंधित डीलर के माध्यम से पंजीकृत करवा सकेंगे। यह प्रक्रिया कैशलैश और फेसलैस होगी। इससे पंजीकरण प्राधिकरणों के कार्यालयों में लोगों की आमद में उल्लेखनीय कमी आएगी।        

 इस आशय का निर्णय आज यहां हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया, जिसमें मंत्रिमंडल ने नियम-33 के मौजूदा उप-नियम (3) में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। संशोधन के अनुसार, हरियाणा मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम-33 के मौजूदा उप-नियम (3) में ‘गैर-परिवहन’ शब्द और संकेत को हटाया जाएगा।        

 संशोधन के बाद, सरकार द्वारा किसी भी फर्म, डीलर या मोटर वाहन निर्माता को ऐसे कार्य करने के लिए सक्षम बनाया गया है। इस सम्बन्ध में वाहनों की पहली बिक्री पर उनके पंजीकरण के संबंध में उपयुक्त समझी जाने वाली शर्तें लागू होंगी।         

 पूरी तरह से निर्मित नए परिवहन वाहनों का पंजीकरण डीलरों द्वारा ऑनलाइन भी किया जा सकेगा, जैसा कि वर्तमान में नए गैर-परिवहन वाहनों के मामले में किया जा रहा है। पिछले 7 वर्षों में डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन के माध्यम से 48.80 लाख से अधिक नए निजी वाहन पंजीकृत किए गए हैं। इसकी सफलता से उत्साहित होकर, फेसलैस और कैशलैस ढंग से कारोबारी सुगमता में सुधार के दृष्टिगत अब इस सिस्टम का विस्तार पूरी तरह से निर्मित परिवहन वाहनों के लिए किया जा रहा है। आवेदक को अपेक्षित करों और शुल्कों के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसी भी तरह की ऑफलाइन गतिविधि नहीं होगी। संबंधित पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा पंजीकरण प्रमाण-पत्र आवेदक को डाक द्वारा भेजा जाएगा। पंजीकरण प्राधिकरणों में खरीददार के प्रत्यक्ष इंटरफेस की आवश्यकता नहीं होगी।

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