-कमलेश भारतीय

आत्मविश्वास और शब्दों व भावों का उतार चढ़ाव ही एंकरिंग के मूल गुण हैं और यही गुण वाॅयस ओवर में काम कर जाते हैं जादू जैसे । यह कहना है गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय में जूनियर लेक्चरर एसिस्टेंट के रूप में कार्यरत व हिसार आकाशवाणी और दूरदर्शन में सेवायें दे चुकी रश्मि का । मूल रूप से पंजाब के नवांशहर दोआबा की बेटी जो ननिहाल कपूरथला में जन्मी । आठवीं तक आदर्श स्कूल से पढ़ाई के बाद मोहाली के गवर्नमेंट स्कूल से दसवीं और फिर चंडीगढ़ के सेक्टर 35 के गवर्नमेंट स्कूल से जमा दो और फिर चंडीगढ़ के ही गवर्नमेंट काॅलेज, सेक्टर ग्यारह से ग्रेजुएशन मनोविज्ञान के साथ ।

-आगे क्या ?
-फिर हिसार के गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय से जनसंचार में प्रथम श्रेणी में दो साल की डिग्री ।

-पहली जाॅब ?
-जनसंचार की पढ़ाई के दौरान ही आकाशवाणी हिसार पर कार्यक्रम शुरू हुए और मुझे अनाउंसर की स्वर परीक्षा में सर्वप्रथम चुना गया और चयन करने वाले थे आवाज़ के जादूगर व आकाशवाणी रोहतक के डायरेक्टर श्रीवर्धन कपिल जी । बाद मे मुझे निखारने में विनोद मेहता, रूप चांदनी , राकेश पाहवा व अवतार पाराशर ने भी खूब टिप्स दिये ।दूरदर्शन हिसार के पहले डायरेक्टर एस एस रहमान का भी आभार जिन्होंने मुझमें न्यूज सेंस को पहचाना।

-अगली जाॅब ?
-गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के एम टैक पर्यावरण विज्ञान व विज्ञापन प्रबंधन व जनसम्पर्क में गेस्ट फैकल्टी के रूप में पढ़ाया ।
-फिर ?

-हिसार दूरदर्शन के समाचार विभाग में अढ़ाई वर्ष तक सहायक समाचार संपादक रही । इसके साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों की गतिविधियों की वाॅयस ओवर भी करती थी व आकाशवाणी पर कैजुअल अनाॅउंसर भी रही ।

-गुजवि में कब से ?
-सन् 2006 के नवम्बर माह से ।

-कोई लेखन कार्य ?
-विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख ।

-प्रेरक कौन ?
-मेरी मां नीलम । जो आपको यानी कमलेश भारतीय जी को आकाशवाणी व दूरदर्शन जालंधर कार्यक्रम देने जाते देखतीं और सपने लेतीं कि मेरी बेटी भी एक दिन ऐसे ही आकाशवाणी पर आयेगी और मैंने उनका सपना पूरा किया। पापा की लघुकथाओं के कुछ वीडियोज नवीन निषाद व पूनम जांगड़ा के निर्देशन में बनाये जो काफी लोकप्रिय रहे । रमन नास्सा के साथ नाट्य महोत्सव के खुले कार्यक्रम में पंजाबी गायन ।

-मंच पर पहली बार कब ?
-बड़ा मज़ेदार किस्सा है । नर्सरी में दाखिल हुई और स्कूल का फंक्शन था । सभी बच्चों को कोई न कोई कविता या स्पीच दी गयी पर मुझे नहीं । घर आकर पापा से शिकायत की तो उन्होंने कहा कि मैं कहने नहीं जाऊंगा । खुद कहना अपनी सिक्का मैम को । बस । दूसरे दिन गयी और पूछ लिया मैम से कि मुझे कोई कविता क्यों नहीं दी ? उन्होंने चिढ़ कर लम्बी अंग्रेजी कविता दे दी । पापा ने कहा कि अब चैलेंज स्वीकार करो और वह लम्बी कविता याद की और बोल आई । यह आत्मविश्वास पापा से ही आया कि अपनी बात रखने में संकोच कैसा ? पापा ने हमेशा प्रोत्साहित किया और मां ने साथ दिया।

-गुजवि में क्या कर पाई अब तक ?
-दो बार डायरेक्टर यूथ वेल्फेयर में काम करने का अवसर मिला और युवा समारोह के नाट्य दल का निरीक्षण का काम मिला जो प्रथम रहा । एंकरिंग की वेबिनार की ।इसका प्रोत्साहन मिला डीन प्रो दीपा मंगला से । सौ मीटर दौड़ में प्रथम रही खेल प्रतियोगिता में । शुरू में एक स्क्रिप्ट गुजवि पर लिखी थी ।

-आगे क्या ?
-एक अच्छी एंकर बन सकूं ।

हमारी शुभकामनाएं रश्मि को । आप अपनी प्रतिक्रिया इस नम्बर पर दे सकते हैं : 8708110168

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